मामला अंडमान निकोबार द्वीप समूह का है, जहां पुलिस ने पिछले साल एक स्वतंत्र पत्रकार को कोविड-19 वायरस की रोकथाम को लेकर अपनाई जा रही अजीबोग़रीब क्वारंटीन नीति से संबंधित एक ट्वीट पर हिरासत में लिया था. पत्रकार ने ट्विटर पर अंडमान प्रशासन को टैग करते हुए सवाल किया था कि जिन परिवारों ने केवल कोविड मरीज़ों से केवल फोन पर बात की है, उन्हें क्वारंटीन के लिए मजबूर क्यों किया जा रहा है.
नई दिल्लीः कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के एक पत्रकार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को बेतुका बताते हुए रद्द कर दिया है.
द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर के स्वतंत्र पत्रकार जुबेर अहमद ने पिछले साल स्थानीय प्रशासन द्वारा कोविड-19 वायरस की रोकथाम को लेकर अपनाई जा रही अजीबोगरीब क्वारंटीन नीति पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया था.
पुलिस ने पत्रकार जुबेर अहमद पर अंडमान में कोविड-19 के प्रसार को रोकने में प्रशासन के प्रयासों में बाधा डालने की मंशा से झूठी खबर फैलाने का आरोपी बनाया था.
कलकत्ता हाईकोर्ट ने मामले में पत्रकार के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करते हुए कहा, ‘अदालत का मानना है कि याचिकाकर्ता (पत्रकार) के खिलाफ दर्ज एफआईआर के संदर्भ में आपराधिक कार्यवाही की मंजूरी देना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग और अदालत की शक्ति का दुरुपयोग है, क्योंकि एफआईआर में दर्ज आरोप बेतुके प्रतीत होते हैं.’
आरोपी पत्रकार ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को इस आधार पर रद्द करने की मांग की है कि उनका ट्वीट इस तरह का नहीं था कि जिस पर पुलिस केस दर्ज कर सके.
बता दें कि 26 अप्रैल 2020 को स्थानीय समाचार पत्र अंडमान क्रॉनिकल ने अंडमान फाइट्स कोविड-19: एन्टायर फैमिली पुट ऑन होम क्वारंटीन आफ्टर वन कॉल्स अप अ रिलेटिव इन बैम्बूफ्लैट शीर्षक के साथ एक खबर प्रकाशित की थी.
पिछले साल प्रकाशित इस खबर के मुताबिक, यह घटना कल हुई, जब केए रहमान ने अपने एक संबंधी को फोन किया, जो कोरोना संक्रमित थे. उन्हें फोन करने का उद्देश्य पीड़ित (बैम्बूफ्लैट के स्थानीय निवासी) के स्वास्थ्य का हालचाल जानना था. इस कॉल के कई घंटे बाद प्रशासन ने फोन करने वाले शख्स के पूरे परिवार को होम क्वारंटीन कर दिया.
खबर के मुताबिक, क्वारंटीन किए गए लोगों में केए रहमान (70 वर्ष), रेहाना रहमान (60 वर्ष), के. अब्दुल रशीद (32 वर्ष) और सायरा बानू (29 वर्ष) शामिल हैं. क्वारंटीन किया गया परिवार अब संदेह में है कि क्या अपने संबंधी को फोन करना अपराध है या अंडमान प्रशासन लोगों की सुरक्षा को लेकर जरूरत से अधिक चिंतित है.
Can someone explain why families are placed under home quarantine for speaking over phone with Covid patients? @MediaRN_ANI @Andaman_Admin
— Zubair Ahmed (@zubairpbl) April 26, 2020
इसी मामले पर सवाल उठाते हुए पत्रकार जुबैर अहमद ने 27 अप्रैल 2020 को एक ट्वीट किया था, जिसमें अंडमान प्रशासन को टैग किया गया था.
इस ट्वीट में उन्होंने प्रशासन से पूछा था कि कोरोना मरीज से फोन पर बात करने वाले परिवार को होम क्वारंटीन के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा था.
पुलिस का कहना है कि इस मामले में अहमद ने जो दावा किया है, वह गलत है. हालांकि, इस संदर्भ में कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि सवाल पूछने पर उन्हें गिरफ्तार क्यों किया गया.
बता दें कि 2020 में देशभर में 55 पत्रकारों को कोविड-19 की कवरेज और इस पर आधिकारिक रुख को लेकर गिरफ्तार किया गया था.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)