हरियाणा: संदिग्ध आतंकी की गिरफ़्तारी की जगह ग़लत प्रकाशित करने के आरोपी पत्रकार को ज़मानत

हरियाणा की अंबाला पुलिस ने संदिग्ध आतंकी की गिरफ़्तारी की जगह ग़लत प्रकाशित करने के मामले में दैनिक भास्कर के पत्रकार सुनील बरार और न्यूज़ एडिटर संदीप शर्मा के ख़िलाफ़ विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करने का आरोप लगाते हुए आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया था. पत्रकार को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि मामले में ऐसा कुछ भी नहीं, जिससे विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा की जा सके.

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(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

हरियाणा की अंबाला पुलिस ने संदिग्ध आतंकी की गिरफ़्तारी की जगह ग़लत प्रकाशित करने के मामले में दैनिक भास्कर के पत्रकार सुनील बरार और न्यूज़ एडिटर संदीप शर्मा के ख़िलाफ़ विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा करने का आरोप लगाते हुए आईपीसी की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया था. पत्रकार को ज़मानत देते हुए अदालत ने कहा कि मामले में ऐसा कुछ भी नहीं, जिससे विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा की जा सके.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

चंडीगढ़: हरियाणा में एक संदिग्ध आतंकवादी की गिरफ्तारी की कथित रूप से ‘गलत जगह’ बताने पर अंबाला छावनी में गिरफ्तार किए गए एक पत्रकार को जमानत देते हुए स्थानीय अदालत ने कहा कि मामले में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी पैदा की जा सके.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने एक सब इंस्पेक्टर की शिकायत पर दैनिक भास्कर के पत्रकार सुनील बरार को गिरफ्तार किया था.

इस मामले में बीते 16 सितंबर को अखबार के पत्रकार बरार और न्यूज एडिटर संदीप शर्मा के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 177 (गलत जानकारी देना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान करना) और 505 (2) (विभिन्न वर्गों के बीच शत्रुता या घृणा को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया है.

अंबाला छावनी थाने के प्रभारी विजय कुमार ने कहा कि पत्रकारों ने बिना सत्यापन के खबर छापी, इसलिए उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. उन्होंने कहा कि पत्रकार सुनील बरार और संदीप शर्मा ने झूठी खबर छापकर जनता के बीच डर पैदा किया है.

जानकारी के अनुसार, पंजाब पुलिस ने बुधवार (15 सितंबर) को अंबाला के मरदों साहिब गांव से एक संदिग्ध आतंकवादी को कथित टिफिन बम की साजिश के मामले में गिरफ्तार किया था. अगले दिन दैनिक भास्कर अखबार में छपी खबर का शीर्षक था, ‘पंजाब पुलिस ने कैंट में आईओसी डिपो के पास से आतंकवादी की गिरफ्तारी का दावा किया.’

हालांकि, अखबार ने अगले दिन स्थान को लेकर भूल सुधार छापा था.

पत्रकार बरार को न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (अंबाला) मुकेश कुमार की अदालत में पेश किया गया.

पुलिस ने कहा कि उन्होंने (बरार) सार्वजनिक शांति भंग करने को लेकर गंभीर अपराध किया है और उनकी रिपोर्ट से आमजन के बीच झूठी खबर प्रसारित हुई है, जिससे विभिन्न वर्गों में वैमनस्य को बढ़ावा मिला है.

अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि बरार जमानत मिलने पर साक्ष्यों से छेड़छाड़ कर सकते हैं.

उन्होंने कहा कि जिन मशीनों से उस अखबार को छापा गया था, वे आरोपी और उनके सहयोगियों के पास हैं तथा उनके सहयोगी (संदीप शर्मा) को अभी गिरफ्तार करना बाकी है.

अभियोजन पक्ष ने बरार से हिरासत में पूछताछ की मांग की, लेकिन अदालत ने इससे इनकार करते हुए कहा कि आगे की जांच के लिए इसकी कोई जरूरत नहीं है.

वहीं, बरार के वकील का कहना है, ‘पुलिस ने राजनीतिक दबाव में काम किया और उनके मुवक्किल को गलत तरीके से फंसाया गया.’

रिपोर्ट में गलती को लेकर जिसमें कहा गया है कि संदिग्ध आतंकी को अंबाला छावनी से पकड़ा गया, न कि अंबाला के एक गांव से, इस पर वकील ने कहा, ‘कुछ आतंकियों को अंबाला जिले के क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया और पत्रकार ने जानकारी के आधार पर दैनिक भास्कर में यह खबर प्रकाशित की. याचिकाकर्ता अंबाला जिले का स्थायी निवासी है और अदालत द्वारा लगाई गई किसी भी शर्त का पालन करने के लिए तैयार है.’

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष इससे इनकार नहीं करता कि पंजाब पुलिस ने अंबाला जिले से गिरफ्तारी की थी.

जज ने कहा, ‘आईपीसी की धारा 505 (2) को छोड़कर आरोपी पर लगाए गईं अन्य धाराएं जमानती हैं. यह अभियोजन पक्ष का आरोप है कि इस तरह की फर्जी खबर प्रकाशित कर आरोपी ने आमजन के दिमाग में गलत धारणा पैदा की और विभिन्न वर्गों के बीच दुश्मनी को बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन जांच अधिकारी द्वारा पेश किए गए रिमांड पेपर और अखबार की कॉपी पर गौर करने के बाद अदालत को लगता है कि ऐसा कुछ भी नहीं था, जिससे विभिन्न वर्गों के बीच वैमनस्य पैदा किया जा सके.’

पत्रकार बरार के वकील द्वारा प्रस्तुत किया गया था कि पुलिस ने गिरफ्तारी के मानदंडों का उल्लंघन किया था, यह कहते हुए कि पुलिस प्रक्रिया के अनुसार आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है, अगर आरोपी की गिरफ्तारी जांच के उद्देश्य के लिए आवश्यक है. हालांकि इस दलील का अदालत ने खारिज कर दिया.

वहीं, कांग्रेस ने इस मामले को लेकर भाजपा की अगुवाई वाली हरियाणा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि पुलिस ने दैनिक भास्कर के न्यूज एडिटर संदीप शर्मा के नहीं मिलने पर उनके बुजुर्ग पिता को पुलिस थाने में बुलाकर उन्हें वहां घंटों बैठाए रखा.

हालांकि, पुलिस ने इसकी जानकारी होने से इनकार किया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि ऐसा हुआ था और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों एवं अन्य सरकारी अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद शर्मा के बुजुर्ग पिता को थाने से जाने दिया गया था.

इस बीच कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) समेत विपक्षी दलों ने पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा की है.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता रोहित जैन ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के खिलाफ गिरफ्तारी की गई है. उन्होंने दावा किया कि पुलिस ने पत्रकारों को गिरफ्तार करने से पहले कोई नोटिस नहीं दिया.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)