असम में अगस्त 2019 में प्रकाशित एनआरसी अंतिम है: फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल

असम के करीमगंज ज़िले के एक व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि राष्ट्रीय पहचान पत्र अभी जारी किए जाने बाकी हैं लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 2019 में प्रकाशित नागरिक रजिस्टर फाइनल एनआरसी है.

/
Guwahati: An official checks the documents submitted by people at an National Register of Citizens (NRC) Seva Kendra in Guwahati, Friday, Aug 30, 2019. The NRC with the final list of citizens will be published tomorrow on August 31, 2019. Chief Minister of Assam Sarbananda Sonowal has asked people not to panic, and has directed all Government agencies of Assam to cooperate with people. (PTI Photo)(PTI8_30_2019_000055B)
(फोटोः पीटीआई)

असम के करीमगंज ज़िले के एक व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करते हुए ट्रिब्यूनल ने कहा कि राष्ट्रीय पहचान पत्र अभी जारी किए जाने बाकी हैं लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 2019 में प्रकाशित नागरिक रजिस्टर फाइनल एनआरसी है.

Guwahati: Data entry operators of National Register of Citizens (NRC) carry out correction of names and spellings at an NRC Seva Kendra at Birubari in Guwahati, Wednesday, Jan 2, 2019. The correction works are scheduled to end on January 31, 2019. (PTI Photo) (PTI1_2_2019_000037B)
(फाइल फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: असम में एक विदेशी न्यायाधिकरण (फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल) ने कहा है कि 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ‘अंतिम एनआरसी’ है. हालांकि भारत के महापंजीयक (रजिस्ट्रार जनरल) ने अभी इसे अधिसूचित नहीं किया है.

करीमगंज जिले में न्यायाधिकरण ने एक व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय पहचान पत्र अभी जारी किए जाने हैं ‘लेकिन इस बात में कोई संदेह नहीं है कि 2019 में प्रकाशित यह एनआरसी अंतिम एनआरसी है’.

विदेशी न्यायाधिकरण-द्वितीय, करीमगंज के सदस्य (संबद्ध) शिशिर डे ने जिले के पाथेरकांडी थाने के जमिराला गांव के बिक्रम सिंघा के खिलाफ ‘डी वोटर’ (संदिग्ध मतदाता) मामले की सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की.

डे ने कहा कि 31 अगस्त, 2019 को प्रकाशित फाइनल एनआरसी में सिंघा का नाम आया है, जो उनकी दादी, माता-पिता और छोटे भाई के साथ उनके संबंध स्थापित करता है, जिनके नाम भी सूची में दर्ज हैं.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इतना साक्ष्य होने से यह जरूरी नहीं है कि कानूनन उनकी नागरिकता की पुष्टि की जा सके. चूंकि उनके परिवार के अन्य लोगों का एनआरसी में नाम दर्ज है, इसलिए इसे उनकी भारतीय नागरिकता का निर्णायक सबूत माना जा सकता है.

पहले ये मामला 1999 में अवैध प्रवासी (न्यायाधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम के तहत दर्ज किया गया था. उच्चतम न्यायालय ने 2005 में उक्त कानून को रद्द कर दिया, जिसके बाद 2007 में इसे करीमगंज में विदेशी न्यायाधिकरण-प्रथम में स्थानांतरित किया गया. मामले में इस साल एक सितंबर को सुनवाई हुई.

मालूम हो कि असम के नागरिकों की तैयार अंतिम सूची यानी अपडेटेड एनआरसी 31 अगस्त, 2019 को जारी की गई थी, जिसमें 31,121,004 लोगों को शामिल किया गया था, जबकि 1,906,657 लोगों को इसके योग्य नहीं माना गया था.

इसी साल मई महीने में असम एनआरसी के समन्वयक हितेश शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन दायर कर दावा किया था कि एनआरसी अपडेट करने की प्रक्रिया में कई गंभीर, मौलिक और महत्वपूर्ण त्रुटियां सामने आई हैं, इसलिए इसके पुन: सत्यापन की आवश्यकता है. सत्यापन का कार्य संबंधित जिलों में निगरानी समिति की देखरेख में किया जाना चाहिए.

एनआरसी राज्य समन्वयक शर्मा ने दावा किया था कि कई अयोग्य व्यक्तियों को सूची में शामिल कर लिया गया है, जिसे बाहर किया जाना चाहिए.

मई 2014 से फरवरी 2017 तक असम एनआरसी के कार्यकारी निदेशक रहे शर्मा को अक्टूबर 2019 में हुए प्रतीक हजेला के तबादले के बाद 24 दिसंबर 2019 को एनआरसी का राज्य समन्वयक नियुक्त किया गया था.

इससे पहले पिछले साल भी शर्मा ने गुवाहाटी हाईकोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा था कि 31 अगस्त 2019 को जारी की गई एनआरसी लिस्ट फाइनल नहीं है और अभी इसका पुन: सत्यापन किया जाना है. असम सरकार ने भी इसे ‘फाइनल एनआरसी’ नहीं माना है और इसके सत्यापन के लिए दबाव बना रही है.

बहरहाल, इस मामले में सिंघा ने अपने दादा के नाम वाले साल 1968 का एक भूमि दस्तावेज, साल 1972 से लगभग तीन दशकों तक भारतीय वायु सेना में कर्मचारी रहे अपने पिता भरत चंद्र सिंघा के साथ-साथ परिवार के अंतिम एनआरसी दस्तावेजों सहित कई दस्तावेज जमा किए थे.

राज्य सरकार के वकील शंकर चक्रवर्ती ने दलील दी कि एनआरसी दस्तावेज को ‘कानूनी रूप से वैध दस्तावेज’ नहीं माना जा सकता है.

इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील मंजरी दास ने कहा कि असम में अंतिम एनआरसी को सुप्रीम कोर्ट के ‘निर्देश और निगरानी के अनुसार’ प्रकाशित किया गया था और ‘असम के लिए एनआरसी की अंतिमता या वैधता के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए.’

इस पर फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के सदस्य डे ने कहा कि एनआरसी नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता (नागरिकों का पंजीकरण और राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी करना) नियम, 2003 के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार तैयार किया गया था.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी को समयबद्ध तरीके से तैयार करने का निर्देश दिया था, जिसके अंतिम चरण का उल्लेख ‘अंतिम अपडेटेड एनआरसी को अंतिम रूप देने’ के रूप में किया गया था और प्रक्रिया को पूरा करने की तारीख 31 अगस्त, 2019 तय की गई थी.

डे ने कहा, ‘जिन नागरिकों के नाम अंतिम एनआरसी में शामिल किए गए हैं, उन्हें अभी तक राष्ट्रीय पहचान पत्र जारी नहीं किए गए हैं. लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि साल 2019 में प्रकाशित यह असम एनआरसी और कुछ नहीं बल्कि फाइनल एनआरसी है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)