सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अगले हफ्ते अंतरिम आदेश पारित करेगा. मौखिक तौर पर तकनीकी समिति गठित करने के बारे में कोर्ट ने कहा कि वह इसी हफ्ते आदेश देना चाहता था लेकिन जिन लोगों को इसमें लेना था, उनमें से कुछ ने निजी वजहों का हवाला देते हुए इसका हिस्सा बनने से मना कर दिया.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने गुरुवार को मौखिक रूप से कहा कि वह पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए एक तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित करेगा और इस मामले की स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर अगले हफ्ते अंतरिम आदेश पारित करेगा.
ये टिप्पणियां इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि केंद्र ने इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कुछ प्रतिष्ठित भारतीयों के फोन हैक करके कथित तौर पर उनकी जासूसी करने की शिकायतों की जांच करने के लिए खुद विशेषज्ञ समिति गठित करने की पेशकश की थी.
प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील सीयू सिंह से कहा कि आदेश अगले हफ्ते पारित किया जाएगा.
सीजेआई ने कहा, ‘हम इस हफ्ते आदेश देना चाहते थे.’ उन्होंने कहा कि उसे इसलिए रुकना पड़ा क्योंकि अदालत जिन लोगों को तकनीकी समिति का सदस्य बनाना चाहती थी उनमें से कुछ ने इसका हिस्सा बनने में ‘निजी मुश्किलें’ जताई हैं.
न्यायालय ने कहा, ‘इसलिए हम समिति गठित करने में वक्त ले रहे है. हम अगले सप्ताह तक तकनीकी विशेषज्ञ दल के सदस्यों के नाम तय कर पाएंगे और फिर अपना आदेश देंगे.’
प्रधान न्यायाधीश ने सिंह को बताया कि वह उन्हें यह बता रहे हैं क्योंकि वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार की पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पिछले कुछ दिनों से अदालतों में नहीं आ रहे हैं. इस पर सिंह ने पीठ को बताया, ‘मैं सिब्बल को सूचित कर दूंगा.’
इससे पहले 13 सितंबर की सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह इस बारे में कोई हलफनामा नहीं दायर करना चाहती है.
केंद्र ने कहा था कि वह यह जानने के लिए विस्तारपूर्वक हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहता कि कोई खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया या नहीं क्योंकि यह सार्वजनिक चर्चा का विषय नहीं है और यह ‘व्यापक राष्ट्रीय हित’ में नहीं होगा.
विधि अधिकारी ने दलील दी थी कि इसका खुलासा करना कि देश कोई खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहा है या नहीं, इससे ‘नुकसान’ हो सकता है और आतंकवादी समूह समेत सभी संभावित खतरे सतर्क हो सकते हैं.
इस पर अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि वह कुछ दिनों में फैसला सुनाएगा और उसने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा था कि अगर सरकार ने विस्तारपूर्वक हलफनामा दाखिल करने के बारे में पुन: विचार किया है तो वह इस मामले को रखे.
न्यायालय ने कहा था कि वह केवल यह जानना चाहता है कि केंद्र ने नागरिकों की कथित तौर पर जासूसी करने के लिए गैर कानूनी तरीकों से पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं. केंद्र ने जासूसी विवाद की स्वतंत्र जांच के लिए दायर याचिकाओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से दृढ़तापूर्वक इनकार कर दिया था.
पेगासस विवाद में निजता के उल्लंघन को लेकर पत्रकारों और अन्य द्वारा उठायी गई चिंताओं का जिक्र करते हुए न्यायालय ने कहा था कि वह उनकी याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित करेगा. साथ ही उसने कहा था कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को जाने में इच्छुक नहीं है.
उल्लेखनीय है कि स्वतंत्र जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाएं उन खबरों से संबंधित हैं, जिसमें सरकारी एजेंसियों पर कुछ प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर जासूसी करने का आरोप है.
बीते 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग से संबंधित याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था.
तब मेहता ने कहा था, ‘ये सॉफ्टवेयर हर देश द्वारा खरीदे जाते हैं और याचिकाकर्ता चाहते हैं कि इसका खुलासा किया जाए कि क्या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया गया. अगर हमने इसकी जानकारी दे दी तो आतंकी एहतियाती कदम उठा सकते हैं. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे हैं और हम अदालत से कुछ भी छिपा नहीं सकते.’
इससे पहले 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने पेगासस मामले में याचिकाकर्ताओं द्वारा लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया था. साथ ही सरकार ने कहा था कि वह इजरायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जुड़े आरोपों के सभी पहलुओं को देखने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन करेगी.
हालांकि, सरकार ने यह नहीं बताया था कि समिति में कौन होगा या जांच की समयसीमा क्या होगी. शीर्ष अदालत ने कहा था कि हलफनामे में सरकार द्वारा पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किए जाने या न होने के आरोपों को संतुष्ट नहीं किया गया है.
गौरतलब है कि द वायर सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचती हैं. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही इसकी पुष्टि की है.
जहां रक्षा और आईटी मंत्रालय ने पेगासस स्पायवेयर के इस्तेमाल से इनकार कर दिया है, तो वहीं मोदी सरकार ने इस निगरानी सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल और उसे खरीदने पर चुप्पी साध रखी है.
पेगासस मामले में सरकार की ‘संलिप्तता’ की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में हो: कांग्रेस
कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तकनीकी विशेषज्ञ समिति गठित करने के लिए कहे जाने के बाद कहा कि इस मामले में ‘केंद्र सरकार की संलिप्तता’ की सर्वोच्च अदालत की निगरानी में जांच होनी चाहिए.
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘पेगासस जासूसी कांड पर राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में पर्दा नही डाला जा सकता क्योंकि यह असल में मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा व निजता पर सुनियोजित हमले का मामला है.’
उन्होंने कहा, ‘हल साफ है- उच्चतम न्यायालय के निरीक्षण में मोदी सरकार की पेगासस मामले में संलिप्तता की जांच हो.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)