छत्तीसगढ़: सरकारी आश्रय गृह की मूक-बधिर नाबालिग से बलात्कार, पांच अन्य से छेड़छाड़

घटना छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले में विशेष रूप से सक्षम लड़कियों के लिए बने सरकारी आश्रय गृह में बीते 22 सितंबर को हुई. मामले के आरोपी आश्रय गृह के केयरटेकर और चौकीदार को गिरफ़्तार कर लिया गया है. यहां रहने वाली मूक और बधिर लड़कियां आदिवासी समुदाय से हैं.

(फोटोः रॉयटर्स)

घटना छत्तीसगढ़ के जशपुर ज़िले में विशेष रूप से सक्षम लड़कियों के लिए बने सरकारी आश्रय गृह में बीते 22 सितंबर को हुई. मामले के आरोपी आश्रय गृह के केयरटेकर और चौकीदार को गिरफ़्तार कर लिया गया है. यहां रहने वाली मूक और बधिर लड़कियां आदिवासी समुदाय से हैं.

(फोटोः रॉयटर्स)

जशपुरः छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में विशेष रूप से सक्षम (Differently Abled) बच्चों के लिए सरकार द्वारा वित्तपोषित आवासीय प्रशिक्षण केंद्र (आश्रय गृह) में रह रही 17 वर्षीय नाबालिग लड़की के साथ केंद्र के केयरटेकर द्वारा बलात्कार करने और पांच अन्य के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने का मामला सामने आया है.

पुलिस के मुताबिक, केयरटेकर के अलावा शिक्षण केंद्र का एक चौकीदार भी इसमें शामिल है. दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है.

जशपुर के पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने बताया, ‘यह घटना 22 सितंबर को विशेष रूप से सक्षम बच्चों के आवासीय प्रशिक्षण केंद्र में हुई और 22 सितंबर की रात इस संबंध में सूचना मिलने के बाद पुलिस हरकत में आई.’

अग्रवाल ने बताया, ‘सूचना मिलने पर जिले के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) को महिलाकर्मियों की एक टीम के साथ जांच के लिए केंद्र भेजा गया था, जिसके बाद पता चला कि एक नाबालिग का बलात्कार किया गया और 14 से 16 वर्ष की उम्र की पांच अन्य लड़कियों से छेड़छाड़ की गई थी.’

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ये मूक और बधिर नाबालिग लड़कियां आदिवासी समुदाय से हैं. आरोप है कि आरोपियों ने नशे की हालत में लड़कियों के साथ मारपीट की, उनके कपड़े फाड़ दिए गए, जिसकी वजह से उन्हें नग्न हालत में कॉरिडोर में भागने को मजबूर होना पड़ा.

जिला पुलिस ने केयरटेकर राजेश राम और चौकीदार नरेंद्र भगत को गिरफ्तार कर उन पर बलात्कार और उत्पीड़न के लिए आईपीसी और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सो) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है.

इन 14 से 16 साल की सभी लड़कियों का इलाज चल रहा है और उन्हें काउंसिलिंग दी जा रही है.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक महिला केयरटेकर ने आश्रय गृह में आरोपियों को लड़कियों का उत्पीड़न करने से रोकने की कोशिश की थी, लेकिन आरोपियों ने उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया था.

पुलिस ने इस घटना में उस महिला केयरटेकर को मुख्य गवाह के रूप में चिह्नित किया है.

महिला प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक, जब उन्होंने शोर मचाने की कोशिश की तो आरोपियों ने बाहर से उनके कमरे को बंद कर दिया.

महिला का दावा है कि उन्होंने आवाजें सुनी थी कि लड़कियों को थप्पड़ों और लातों से मारा जा रहा था. महिला ने आश्रय गृह के अधीक्षक संजय राम पर भी इस घटना को छिपाने की कोशिश करने का आरोप लगाया है.

महिला के एक स्थानीय पत्रकार से बात करने के बाद पुलिस को इसकी सूचना दी गई और घटना के लगभग 48 घंटे बाद एफआईआर दर्ज की गई.

घटना की जांच कर रही एडिशनल एसपी प्रतिभा पांडेय ने संवाददाताओं को बताया कि लड़कियां अभी शॉक में हैं और इस हालत में उनके बयान दर्ज करना पुलिस के लिए मुश्किल है.

पांडेय ने बताया कि बच्चों ने मूक बधिरों की सांकेतिक भाषा में घटना की जानकारी दी.

बता दें कि इसी तरह की एक घटना 2013 में छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के झलियामारी गांव के एक सरकारी कन्या आश्रम में हुई थी, जहां कम से कम 15 नाबालिग लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था.

इस घटना को लेकर फैले आक्रोश के बीच तत्कालीन भाजपा सरकार को राज्य के सभी आवासीय स्कूलों और हॉस्टलों का निरीक्षण कराने का आदेश देना पड़ा था.

इस मामले में शिक्षा विभाग के दो अधिकारियों और कई शिक्षकों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)