तीन विवादित कृषि क़ानूनों के विरोध में दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने इस प्रदर्शन के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के इन क़ानूनों पर मुहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके पर ‘भारत बंद’ का आयोजन किया था.
नई दिल्ली/मुंबई: केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विभिन्न किसान यूनियनों के भारत बंद के कारण भारत के कई हिस्सों में, विशेष रूप से हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनजीवन सोमवार को बाधित हो गया.
विभिन्न जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने राजमार्गों और प्रमुख सड़कों को अवरुद्ध कर दिया. कई स्थानों पर वे रेल की पटरियों पर भी बैठ गए जिससे रेल यातायात प्रभावित हुआ.
बंद में शामिल 40 से अधिक किसान यूनियनों के मंच ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ (एसकेएम) ने किसान विरोध के 10 महीने पूरे होने और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के तीनों कानून पर मोहर लगाने के एक साल पूरा होने के मौके को चिह्नित करने के लिए सोमवार को बंद का आह्वान किया है.
हालांकि देश का ज्यादातर हिस्सा इससे प्रभावित नहीं दिखा, उत्तर भारत में ट्रेनों के रद्द होने या देरी से चलने और सीमा पार आवाजाही को रोकने वाले बड़े पैमाने पर यातायात जाम के कारण लोगों को दिक्कत हुई.
बंद का अधिकतर असर गुड़गांव, गाजियाबाद और नोएडा सहित दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में दिखा, जहां से रोजाना हजारों लोग कामकाज के सिलसिले में सीमा पार करते हैं.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि भारत बंद सफल रहा. जनता ने इसका समर्थन किया. कोई बात नहीं कि जनता ने कुछ असुविधाओं का सामना किया. एक दिन किसानों के साथ एकजुट रहे, जो पिछले 10 महीने से धूप और गर्मी झेल रहे हैं.
Bharat Bandh was a success, public supported it. It's okay if public experienced some inconvenience, let one day be in solidarity with farmers who have been experiencing troubles (protesting against farm laws at Delhi border) under sun, heat for last 10 months: Rakesh Tikait, BKU pic.twitter.com/WVWDMRZhoh
— ANI (@ANI) September 27, 2021
टिकैत ने कहा, ‘हमारा भारत बंद सफल रहा. हमें किसानों का पूरा समर्थन मिला. हम सब कुछ सील नहीं कर सकते क्योंकि हमें लोगों की आवाजाही को सुविधाजनक बनाना है. हम सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन कोई बातचीत नहीं हो रही है.’
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की ओर से कृषि से संबंधित तीन विधेयक- किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक, 2020, किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 को बीते साल 27 सितंबर को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी थी, जिसके विरोध में नौ महीने से अधिक समय से किसान प्रदर्शन कर रहे हैं.
किसानों को इस बात का भय है कि सरकार इन अध्यादेशों के जरिये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) दिलाने की स्थापित व्यवस्था को खत्म कर रही है और यदि इसे लागू किया जाता है तो किसानों को व्यापारियों के रहम पर जीना पड़ेगा.
दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने इन अध्यादेशों को ‘ऐतिहासिक कृषि सुधार’ का नाम दे रही है. उसका कहना है कि वे कृषि उपजों की बिक्री के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था बना रहे हैं.
अब तक किसान यूनियनों और सरकार के बीच 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध जारी है, क्योंकि दोनों पक्ष अपने अपने रुख पर कायम हैं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के लिए किसानों द्वारा निकाले गए ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली में हुई हिंसा के बाद से अब तक कोई बातचीत नहीं हो सकी है.
राष्ट्रीय राजधानी में ऑटो-रिक्शा और टैक्सी की आवाजाही सामान्य रही और वहीं दुकानें खुली रहीं, जो किसानों द्वारा बुलाए गए भारत बंद को केवल ‘सैद्धांतिक समर्थन’ कर रहे हैं.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर सहित शहर की सीमाओं पर अफरातफरी मची रही, जहां किसानों ने वाहनों की आवाजाही को रोकने के लिए राजमार्ग को जाम कर दिया.
BHU Gate, Banaras#आज_भारत_बंद_है #BharathBandh #FarmersBharatBandh #FarmersProtest pic.twitter.com/W7vtdLc0ZU
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) September 27, 2021
हरियाणा के सोनीपत में कुछ किसान धरने पर बैठे. पंजाब के पास के पटियाला में भी बीकेयू-उग्रहां के सदस्य भी अपना विरोध दर्ज कराने के लिए पटरियों पर बैठ गए.
पंजाब के मोगा सहित कई जगहों पर पूर्ण रूप से बंद रहा. किसानों ने मोगा-फिरोजपुर और मोगा-लुधियाना राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जाम कर दिया.
पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने लिखा, ‘मैं किसानों के साथ खड़ा हूं और केंद्र सरकार ने तीन किसान विरोधी कानून वापस लेने की अपील करता हूं. हमारे किसान अपने अधिकारों के लिए एक साल से अधिक समय लड़ रहे हैं और अब समय आ गया है जब उनकी आवाज सुनी जानी चाहिए. मैं सभी किसानों से अपनी बात शांतिपूर्वक तरीके से रखने की अपील करता हूं.’
हरियाणा में सिरसा, फतेहाबाद और कुरुक्षेत्र में राजमार्गों को किसानों ने जाम किया.
जम्मू जिले में प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की गईं. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एमवाई तारिगामी के नेतृत्व में सैकड़ों कार्यकर्ता और किसान रैली में शामिल हुए और उन्होंने यहां मुख्य सड़क पर धरना दिया जिससे यातायात बाधित हुआ.
Jammu & Kashmir.#आज_भारत_बंद_है #BharathBandh #FarmersBharatBandh #FarmersProtest pic.twitter.com/5D8ALHZB1z
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) September 27, 2021
जम्मू में जम्मू कश्मीर किसान तहरीक की ओर से विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया. किसानों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए भारतीय ट्रेड यूनियन केंद्र के महासचिव ओम प्रकाश ने कहा कि मजदूर किसान एकता को मजबूत करने की जरूरत है ताकि नव उदारवादी नीतियों तथा किसानों और कामगारों की आजीविका पर हो रहे हमले का मुकाबला किया जा सके.
महाराष्ट्र में वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं एवं जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ, जबकि बंद के समर्थन में कई विपक्षी दलों ने प्रदर्शन किया और कई हिस्सों में बाइक रैली निकाली गयी. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
Pimpri Chindwad, Maharashtra.#आज_भारत_बंद_है #BharathBandh #FarmersBharatBandh #FarmersProtest pic.twitter.com/gSQszbNLQO
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) September 27, 2021
मुंबई में भी वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं. कांग्रेस के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए अंधेरी और जोगेश्वरी जैसी कुछ जगहों पर जमा हुए और कृषि कानूनों के खिलाफ नारेबाजी की. इसके अलावा शहर में बंद का अब तक कोई असर नहीं दिखा.
पुणे में एक कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) बंद रहा और किसान समर्थक एक संगठन ने नागपुर में सड़क जाम किया जबकि कुछ जगह प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में छोड़ दिया गया.
पुणे में वाणिज्यिक प्रतिष्ठान और स्थानीय परिवहन सेवाएं सामान्य रहीं, जबकि मंडई क्षेत्र में एक प्रदर्शन बैठक आयोजित की गई, जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी (आप), जनता दल (एस), शेतकारी कामगार पक्ष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित विभिन्न दलों के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
गोवा में कोई असर देखने को नहीं मिला है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तटीय राज्य में सार्वजनिक परिवहन और रेलगाड़ियों का परिचालन सामान्य रूप से हो रहा है. बैंक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान खुले हुए हैं.
इस बीच, अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक) ने बंद का समर्थन किया.
भारत बंद का मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कोई असर नजर नहीं दिखा और जनजीवन तथा कारोबारी गतिविधियां सामान्य बनी रहीं.
Atari Block, Amritsar.#आज_भारत_बंद_है #BharathBandh #FarmersBharatBandh pic.twitter.com/OvbbP0mgBj
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) September 27, 2021
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ समर्थित भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने भारत बंद को समर्थन नहीं दिया. बीकेएस के मालवा प्रांत (इंदौर-उज्जैन संभाग) के अध्यक्ष कमल सिंह आंजना ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि सरकार के साथ वार्ता के जरिये किसानों के मसले शांतिपूर्ण ढंग से हल किए जाएं.’
गुजरात में स्थिति काफी हद तक शांतिपूर्ण रही. हालांकि राजमार्गों पर अवरोध के कारण कुछ देर तक यातायात के बाधित होने की खबरें हैं. अधिकारियों ने बताया कि राज्य के कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.
एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सुरेंद्रनगर में भी विरोध प्रदर्शन हुए जहां बड़ी संख्या में किसान अहमदाबाद से राजकोट को जोड़ने वाले राजमार्ग पर एकत्र हो गए. लेकिन बाद में पुलिस ने उन्हें तितर-बितर कर दिया.
सूरत के ओलपाड इलाके में किसानों के एक समूह को प्रदर्शन शुरू करने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया. मेहसाणा, साबरकांठा, मोरबी और गांधीनगर जैसे जिलों में सुबह भारी बारिश होने से बंद का समर्थन करने वाले समूहों की योजना प्रभावित हुई.
बिहार में कई विपक्षी दलों ने इस बंद का समर्थन किया है. बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पहले ही घोषणा की थी कि उनकी पार्टी किसानों के देशव्यापी बंद का समर्थन करेगी.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटना, भोजपुर, लखीसराय, जहानाबाद, पूर्वी चंपारण, बेगूसराय, मधेपुरा और नालंदा जिलों में कुछ स्थानों पर यातायात बाधित करने की कोशिश की. पटना में राजद कार्यकर्ताओं और बंद समर्थकों ने बुद्ध स्मृति पार्क के पास यातायात बाधित करने का प्रयास किया और विरोधस्वरूप टायर भी जलाए.’
राजद एवं भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) कार्यकर्ताओं ने पटना, आरा, जहानाबाद और मधेपुरा सहित कई रेलवे स्टेशनों पर विरोध प्रदर्शन किया हालांकि स्थानीय पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हटा दिया.
झारखंड के कई इलाकों में सोमवार को संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद के आह्वान पर बंद समर्थकों ने सड़क एवं राजमार्ग को बाधित किया जिससे वाहनों का जाम लग गया. प्रदेश की राजधानी रांची में दुकानें बंद रहीं, जबकि सरकारी कार्यालय एवं बैंकों में सामान्य दिनों की तरह काम काज हुआ.
Tupudan Namkun , Jharakhand#आज_भारत_बंद_है #BharathBandh #FarmersBharatBandh #FarmersProtest pic.twitter.com/tQhXRUzSxa
— Kisan Ekta Morcha (@kisanektamorcha) September 27, 2021
केरल में सार्वजनिक परिवहन प्रभावित हुए, जहां हड़ताल का सत्तारूढ़ एलडीएफ और विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने समर्थन कर रहे हैं.
राज्य के लगभग सभी व्यापार संघों ने बंद का समर्थन किया और केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की बसें भी सड़कों से नदारद रहीं. अधिकतर लोगों ने जरूरत पड़ने पर निजी वाहनों से ही यात्रा की.
‘इंटक’ के प्रदेश अध्यक्ष आर चंद्रशेखरन सहित यूनियन नेताओं का कहना है कि बंद शांतिपूर्ण रहेगा और वाहनों को रोका नहीं किया जाएगा या दुकानों को जबरन बंद नहीं किया जाएगा.
पश्चिम बंगाल में भी बंद का असर देखा गया, जहां वाम मोर्चे ने बंद के आह्वान का समर्थन किया है. कोलकाता से सामने आईं तस्वीरों में प्रदर्शनकारियों को एक रेलवे ट्रैक पर बैठे देखा जा सकता है. इसी तरह की तस्वीरें पश्चिम मिदनापुर से भी आईं, जिसमें वाम मोर्चा समर्थकों ने आईआईटी खड़गपुर-हिजरी रेलवे लाइन को बाधित किया.
कर्नाटक में शुरुआती कुछ घंटों में जनजीवन कुछ खास प्रभावित नहीं हुआ, सामान्य रूप से कामकाज हुआ तथा यातायात सेवाएं सामान्य रूप से उपलब्ध रहीं.
Bengaluru, Karnataka | We deployed 45 officers and 600 staff to ensure a peaceful rally. So far, 30 people have been detained near Maurya Junction: MN Anucheth, DCP Central pic.twitter.com/lpjlWDLGK8
— ANI (@ANI) September 27, 2021
हालांकि विरोध प्रदर्शनों और प्रमुख राष्ट्रीय एवं राज्य राजमार्गों पर किसानों द्वारा रास्ता रोकने के प्रयासों के कारण राज्य के कई हिस्सों, खासकर बेंगलुरु में वाहनों की आवाजाही बाधित हुई.
ओडिशा में सोमवार को भारत बंद के मद्देनजर बाजार बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन सड़कों से नदारद दिखा, जिससे राज्य में जनजीवन प्रभावित हुआ.
कांग्रेस और वाम दलों के सदस्यों सहित बंद समर्थकों ने बारिश के बीच राज्य भर में महत्वपूर्ण चौराहों पर धरना दिया. भुवनेश्वर, बालासोर, राउरकेला, संबलपुर, बरगढ़, बोलांगीर, रायगढ़ा और सुबर्णपुर सहित अन्य जगहों पर सड़कें अवरुद्ध कर दी गईं.
असम की राजधानी गुवाहाटी में ‘सोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया’ के कार्यकर्ताओं ने विरोध मार्च निकाला. अस्पताल, दवा की दुकानें, राहत एवं बचाव कार्य सहित सभी आपातकालीन प्रतिष्ठानों, आवश्यक सेवाओं और किसी परेशानी का सामना कर रहे लोगों को हड़ताल से छूट दी गई है.
रायजोर दल और कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) ने भी बंद को अपना समर्थन दिया.
अरुणाचल प्रदेश में कोई असर देखने को नहीं मिला. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन, बैंक और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों में कामकाज सामान्य रूप से हुआ. ईटानगर राजधानी क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक जिम्मी चिराम ने बताया कि कहीं कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ और राज्य की राजधानी में जनजीवन सामान्य रहा.
तेलंगाना में कांग्रेस, वाम दलों, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) और अन्य ने राज्य के विभिन्न स्थानों पर प्रदर्शन किए. विपक्षी दलों के कार्यकर्ताओं ने बसों का संचालन बाधित करने के लिए राज्य में विभिन्न स्थानों पर बस अड्डों के बाहर प्रदर्शन किए.
Chennai, Tamil Nadu | Farmers are continuously protesting & Modi govt is refusing to withdraw the laws. The struggle will continue & intensify further: K Balakrishnan, CPI (M) State Secretary pic.twitter.com/7e1vBT55o3
— ANI (@ANI) September 27, 2021
केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार और तेलंगाना की तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. वनपर्थी, नलगोंडा, नागरकुरनूल, आदिलाबाद, राजन्ना-सिरसिला, विकराबाद और अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए.
आंध्र प्रदेश में कुछ खास असर नहीं पड़ा. हालांकि सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस ने बंद का समर्थन किया है. राज्य के विभिन्न जिलों में सोमवार तड़के से हो रही भारी से अत्यंत भारी बारिश का सामान्य जनजीवन के साथ ही ‘भारत बंद’ पर भी असर पड़ा है.
तिरुपति, अनंतपुरामु और कडप्पा जैसे कुछ स्थानों पर विपक्षी दलों ने कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन किया.
मुख्य विपक्षी दल तेलुगुदेशम पार्टी ने भी कांग्रेस और वाम दलों के साथ बंद का समर्थन किया.
राजस्थान में किसानों के ‘भारत बंद’ का असर कृषि बहुल गंगानगर और हनुमानगढ़ सहित अनेक जिलों में दिखा जहां प्रमुख मंडिया तथा बाजार बंद रहे. किसानों ने प्रमुख मार्गों पर चक्काजाम किया और सभाएं की.
श्रमिक संघों ने किसानों के समर्थन में जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों द्वारा आहूत ‘भारत बंद’ के समर्थन में श्रमिक संघों और नागरिक समाज समूहों के एक वर्ग ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने लोगों से बंद में शामिल होने की बृहस्पतिवार को अपील की थी. तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने और सभी के लिए समान अवसर की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने जंतर मंतर पर मार्च निकाला. इस दौरान उन्होंने ‘किसान एकता जिंदाबाद’ के बैनर पकड़ रखे थे.
ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू), सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू), अखिल भारतीय किसान सभा, जनवादी महिला समिति और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) सहित कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और किसानों से जुड़े मुद्दों के अलावा भी कई अन्य मुद्दों पर आवाज उठाई.
दिल्ली में व्यावसायिक गतिविधियां प्रभावित नहीं हुईं, सीमावर्ती इलाकों में भारी यातायात जाम
भारत बंद के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में बाजार खुले रहे और व्यावसायिक गतिविधियां काफी हद तक प्रभावित नहीं हुईं. हालांकि, प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कों को अवरूद्ध करने और पुलिस द्वारा सुरक्षा जांच के कारण सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर यातायात जाम देखा गया.
दिल्ली में ऑटो-रिक्शा तथा टैक्सी सामान्य रूप से सड़कों पर चलती नजर आईं और अधिकतर दुकानें भी खुली दिखीं. उनकी यूनियन तथा संघों ने किसानों के बंद को केवल ‘सैद्धांतिक समर्थन’ देते हुए हड़ताल नहीं करने का फैसला किया है.
Delhi | In view of Bharath Bandh, we barricaded the Rajokri border (Delhi-Gurugram) which resulted in a traffic jam at this section. Now, the situation is normal and traffic is smooth as we loosened the barricades: Ingit Pratap Singh, DCP South West pic.twitter.com/BerzeA1ZPa
— ANI (@ANI) September 27, 2021
ऑटो, टैक्सी यूनियन और व्यापारी संघों का कहना है कि कोविड-19 वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के कारण उनकी आजीविका पहले ही बुरी तरह प्रभावित हुई है, इसलिए वे किसी भी हड़ताल में शामिल नहीं हो रहे हैं.
बंद के दौरान किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने कुछ प्रमुख सड़कों को बंद कर दिया, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में सुबह के समय यातायात बाधित रहा. शहर की सीमाओं, विशेषकर दिल्ली-गुड़गांव सीमा को पार करते समय लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ा.
डीएनडी पर भी यातायात प्रभावित रहा. गाजीपुर बॉर्डर को वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया है. अक्षरधाम मंदिर के पास गाजीपुर बॉर्डर से सराय काले खां की ओर आने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के एक तरफ अफरातफरी का माहौल रहा.
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में बंद के मद्देनजर कानून एवं व्यवस्था बनाए रखने और किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं.
पुलिस के अनुसार, गश्त बढ़ा दी गई है, विशेष रूप से सीमा से लगे इलाकों में चौकियों पर अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं और राष्ट्रीय राजधानी आ रहे वाहनों की तलाशी ली जा रही है.
भारत बंद के मद्देनजर सुरक्षा कारणों के चलते टिकरी बॉर्डर के पास स्थित पंडित श्रीराम शर्मा मेट्रो स्टेशन सोमवार को बंद कर दिया गया. हरियाणा स्थित यह स्टेशन ‘ग्रीन लाइन’ पर है और किसानों के प्रदर्शन स्थल के निकट स्थित है.
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, भारत बंद के कारण दिल्ली-अमृतसर शान-ए-पंजाब, नई दिल्ली-मोगा एक्सप्रेस, पुरानी दिल्ली-पायहाजोत एक्सप्रेस, वंदे भारत एक्सप्रेस नई दिल्ली से कटरा और अमृतसर शताब्दी सहित लगभग 25 रेलगाड़ियां प्रभावित हुई हैं.
उत्तर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘दिल्ली, अंबाला और फिरोजपुर मंडलों में 20 से अधिक स्थानों को अवरुद्ध किया जा रहा है. इसके कारण लगभग 25 रेलगाड़ियां प्रभावित हैं.’
‘चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री’ (सीटीआई) के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने कहा कि शहर में बाजार और दुकानें खुली हैं क्योंकि किसानों ने हड़ताल के लिए हमारे संघ से कोई संपर्क नहीं किया.
उन्होंने कहा, ‘साथ ही, त्योहारों के नजदीक होने के चलते यह व्यापारियों का वैश्विक महामारी और लॉकडाउन के कारण हुए नुकसान से उबरने का समय है. हालांकि, हम किसानों का पूरा समर्थन करते हैं और सरकार से उनकी मांग पूरी करने की अपील करते हैं.’
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने दावा किया कि दिल्ली सहित देशभर के बाजारों पर बंद का कोई असर नहीं पड़ा.
उन्होंने कहा, ‘दिल्ली सहित सभी बाजार पूरी तरह खुले रहे और बाजारों में कारोबारी गतिविधियां सामान्य रूप से चलती रहीं. हमने किसान नेताओं को संघर्ष का रास्ता छोड़कर सरकार से बातचीत के रास्ते तलाशने की सलाह दी है.’
किसानों के साथ बातचीत करें प्रधानमंत्री, तीनों ‘काले कानून’ वापस लिए जाएं: कांग्रेस
कांग्रेस ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के ‘भारत बंद’ का सोमवार को समर्थन किया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किसानों के साथ बातचीत करनी चाहिए और तीनों ‘काले कानूनों’ को वापस लेना चाहिए.
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है, लेकिन शोषण करने वाली सरकार को यह नहीं पसंद है, इसलिए आज भारत बंद है.’
किसानों का अहिंसक सत्याग्रह आज भी अखंड है
लेकिन शोषण-कार सरकार को ये नहीं पसंद है
इसलिए #आज_भारत_बंद_है #IStandWithFarmers— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 27, 2021
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तीनों ‘काले कानून’ वापस लेना चाहिए.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘खेत किसान का, मेहनत किसान की, फसल किसान की, लेकिन भाजपा सरकार इन पर अपने खरबपति मित्रों का कब्जा जमाने को आतुर है. पूरा हिंदुस्तान किसानों के साथ है. नरेंद्र मोदी, काले कानून वापस लीजिए.’
खेत किसान का
मेहनत किसान की
फसल किसान कीलेकिन, भाजपा सरकार इन पर अपने खरबपति मित्रों का कब्जा जमाने को आतुर है।
पूरा हिंदुस्तान किसानों के साथ है।@narendramodi काले क़ानून वापस लो।#IStandWithFarmers
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) September 27, 2021
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘लड़ाई लड़ेंगे फसलों की, अडिग रहेंगे, डटे रहेंगे, हे अहंकारी निर्दयी मोदी सरकार! हमारे खेतों की चीख और माटी की तड़प, तुम्हें सोने नही देगी. किसान के बेटे हैं, इस विराट आंदोलन में तुम्हारे दमन, उत्पीड़न, हिंसा के खिलाफ सड़कों पर किसानों के साथ फसलों की लड़ाई लड़ेंगे.’
लड़ाई लड़ेंगे फसलों की,
अडिग रहेंगे,
डंटे रहेंगे,
हे अहंकारी निर्दयी मोदी सरकार!
हमारे खेतों की चीख,
और माटी की तड़प,
तुम्हें सोने नही देंगी।किसान के बेटे है,
इस विराट आन्दोलन में तुम्हारे दमन,उत्पीड़न,हिंसा,के खिलाफ सड़कों पर किसानों के साथ फसलों की लड़ाई लड़ेंगे।#भारत_बंद— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) September 27, 2021
पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने संवाददाताओं से कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, क्या कारण है कि आप किसानों से बातचीत नहीं कर रहे हैं. सरकार के इस रवैये से सिर्फ किसानों का नहीं, बल्कि देश का नुकसान हो रहा है. जिस देश के किसान परेशान हों, वहां के प्रधानमंत्री को नींद नहीं आनी चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘प्रदर्शन करना, किसानों का लोकतांत्रिक अधिकार है. हम सभी का कर्तव्य है कि हम किसानों का समर्थन करें. हम सभी को मिलकर किसानों का समर्थन करना होगा, तभी यह सरकार झुकेगी.’
उन्होंने प्रधानमंत्री से किसान संगठनों से बातचीत करने का आग्रह किया और यह सवाल भी किया, ‘आपने 22 जनवरी को कहा था कि मैं किसानों से सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी पर हूं. कहां है वो फोन कॉल?’
खेड़ा ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार उद्योगपतियों के दबाव के कारण किसानों की उचित मांग को अनसुना कर रही है.
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता प्रवीण मलिक ने कहा, ‘हमने उनसे कहा कि उन्हें बंद के दौरान उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देते हैं, लेकिन हमारा एक गैर-राजनीतिक विरोध और मंच है. हमने पहले घोषणा की थी कि हम अपने मंच पर राजनीतिक दलों को अनुमति नहीं देंगे. इसलिए हमने उनसे अनुरोध किया कि वे हमारे प्रदर्शन स्थलों से थोड़ी दूर पर विरोध करें.’
We told him that we thank him for his support during Bandh but ours is an apolitical protest&platform. We announced earlier that we won't allow political parties on our platform. So we requested him to protest a little distant from our site. We're not opposing: Praveen Malik, BKU pic.twitter.com/6pU9NsO2kB
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 27, 2021
प्रवीण मलिक ने ये टिप्पणी उस घटनाक्रम पर की जिसमें गाजीपुर सीमा पर कुछ आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली कांग्रेस प्रमुख अनिल चौधरी को उनके विरोध स्थल से जाने के लिए कहा, जहां वह उनके साथ शामिल होने आए थे.
गौरतलब है कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने 27 सितंबर को ‘भारत बंद’ का ऐलान किया था. कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने किसानों के भारत बंद का समर्थन किया.
कांग्रेस ने अपने कार्यकर्ताओं, राज्य इकाई प्रमुखों और अग्रिम संगठनों के प्रमुखों को ‘भारत बंद’ में हिस्सा लेने को कहा है. कई राजनीतिक दलों ने 10 घंटे के बंद का समर्थन किया है.
इनमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेलुगु देशम पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, वाम दल और स्वराज इंडिया शामिल हैं. आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस सरकार ने भी भारत बंद को समर्थन देने की घोषणा की है.
केंद्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर एकजुटता दिखाते हुए किसान संगठनों और वाम दलों ने तमिलनाडु के कई हिस्सों में भी विरोध प्रदर्शन किया.
तमिलनाडु में भाकपा और माकपा के राज्य सचिवों, आर मुथारासन तथा के. बालकृष्णन, विदुथलाई चिरुथिगल काची प्रमुख थोल थिरुमावलवन और सत्तारूढ़ द्रमुख से संबद्ध ‘लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन’ के पदाधिकारियों ने भी प्रदर्शन में हिस्सा लिया.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)