तमिलनाडु के कोयंबटूर में वायुसेना प्रशासनिक कॉलेज में प्रशिक्षण ले रहे एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट पर एक सहकर्मी द्वारा बलात्कार का आरोप लगाए जाने के बाद उन्हें गिरफ़्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. बताया गया है कि वायुसेना द्वारा आरोपी पर कार्रवाई करने में कथित तौर पर विफल रहने के बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई.
नई दिल्ली: बीते 26 सितंबर को वायुसेना के एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट को एक महिला अधिकारी के बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.
पुलिस ने बताया कि तमिलनाडु के कोयंबटूर में रेडफील्डस स्थित वायुसेना प्रशासनिक कॉलेज में प्रशिक्षण ले रहे छत्तीसगढ़ निवासी अमितेश पर एक महिला सहकर्मी ने रेप का आरोप लगाया था. पुलिस सूत्रों के अनुसार, वायुसेना के अधिकारियों द्वारा अमितेश पर कार्रवाई करने में कथित तौर पर विफल रहने के बाद महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई.
शिकायतकर्ता का आरोप है कि सितंबर महीने की शुरुआत में वे जख्मी होने के बाद जब दवा खाकर सो रही थीं, तो अमितेश ने उनसे बलात्कार किया. वायुसेना के अधिकारियों द्वारा उनकी शिकायत पर कार्रवाई न करने के बाद उन्होंने पुलिस में शिकायत की.
द न्यूज़ मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, एफआईआर में अमितेश के खिलाफ लगाए गए इल्ज़ाम के अतिरिक्त भारतीय वायुसेना पर भी गंभीर आरोप लगाए गए हैं.
इसमें शिकायतकर्ता पर प्रतिबंधित टू फिंगर टेस्ट करने, उन्हें धमकाने और इस घटना के बारे में आधिकारिक शिकायत दर्ज करने को लेकर हतोत्साहित करने की बात कही गई है.
इस वेबसाइट ने एफआईआर की प्रति देखी है, जिसमें विस्तार से बताया गया है कि 10 सितंबर (जिस दिन यह घटना हुई) को क्या-क्या हुआ था. महिला ने बताया है कि 9 तारीख की शाम को उन्हें चोट लग गई थी और उन्हें दर्दनिवारक (पेनकिलर) दवाइयां दी गई थीं. इसी दिन देर शाम शिकायतकर्ता अपने कुछ साथियों के साथ ऑफिसर्स मेस के बार में गईं, जहां उन्होंने दो ड्रिंक लिए. अमितेश भी वहां मौजूद थे और एक ड्रिंक उन्होंने ही महिला के लिए खरीदा.
उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद उनकी तबियत ख़राब हुई और उन्हें उल्टी हुई, जिसके बाद उनकी दो साथियों ने उन्हें उनके कमरे में ले जाकर सुला दिया. इसके बाद आरोपी अमितेश उनके कमरे में आए और उन्हें कई बार जगाने का प्रयास किया. इस पर महिला ने उन्हें कहा कि वे उन्हें सोने दें और वहां से चले जाएं.
शिकायत के अनुसार, महिला को अगली सुबह उनकी उसी दोस्त ने उठाया, जो पिछली रात उन्हें कमरे में छोड़कर गई थीं. दोस्त ने महिला से पूछा कि अमितेश उनके साथ कमरे में क्यों थे और क्या उन्होंने इसके लिए सहमति दी थी. उनकी दोस्त ने जो देखा (न्यूज़ मिनट ने इसकी जानकारी साझा नहीं की है) उसके आधार पर उन्हें संदेह हुआ कि महिला के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है. इसके बाद महिला को भी अपनी शारीरिक अवस्था के चलते एहसास हुआ कि उनके साथ बलात्कार हुआ है. इसे लेकर जब उन्होंने अमितेश से सवाल किया तब उन्होंने कथित तौर पर उनकी निजता में दखल देने के लिए माफ़ी मांगी और कहा कि वे चाहें तो ‘उनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई’ कर सकती हैं.
‘शिकायत दर्ज करने से हतोत्साहित किया गया’
महिला का यह कहना है कि उन्होंने और उनकी दोस्त ने जब इस बारे में अपने वरिष्ठ लोगों को बताया तब सर्वाइवर की शिकायत दर्ज करने या उनका साथ देने के बजाय एक विंग कमांडर ने कहा कि उन्हें अपने परिवार और उसकी प्रतिष्ठा के बारे में सोचना चाहिए. इन विंग कमांडर के साथ एक पुरुष अधिकारी भी थे, इन दोनों ने बाद में महिला से कहा कि वे शिकायत दर्ज करवा सकती हैं लेकिन पसोपेश और नाम बाहर आने के डर से उन्होंने तब ऐसा नहीं किया.
इसके अगले रोज इन अधिकारियों ने महिला और उनकी दोस्त को बुलाया और कथित तौर पर दो विकल्प दिए- या तो वे शिकायत दर्ज करवाएं या लिखित में स्वीकार करें कि यह सहमति से बनाया गया संबंध था. इसी के बाद महिला ने शिकायत दर्ज करवाने का निर्णय लिया और अपनी दोस्त के साथ मेडिकल जांच के लिए अस्पताल पहुंचीं.
‘किया गया प्रतिबंधित टू फिंगर टेस्ट’
महिला का आरोप है कि जब वे मेडिकल के लिए वायुसेना के अस्पताल पहुंचीं तब वहां मौजदू दो डॉक्टरों को इस बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं थी कि मेडिकल कैसे किया जाता है.
उनका आरोप है कि जांच के दौरान वजाइनल स्वैब लेने के साथ चिकित्सक ने उनका टू फिंगर टेस्ट भी किया. सर्वाइवर का कहना है कि उन्हें यह बाद में मालूम चला कि रेप की मेडिकल जांच में यह टेस्ट वर्जित है.
उल्लेखनीय है कि इस टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा सालों पहले रोक लगाई जा चुकी है, हालांकि कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं जहां ये टेस्ट किया गया.
महिला का यह भी कहना है कि उनसे यहां उनकी सेक्सुअल हिस्ट्री (पूर्व में रहे यौन संबंधों) के बारे में भी सवाल किया गया, जो प्रतिबंधित है.
सबूतों को लेकर बरती गई लापरवाही
शिकायतकर्ता का कहना है कि उन्हें बताया गया कि 11 सितंबर को लिया गया स्वैब सैंपल टेस्ट में निगेटिव पाया गया, लेकिन उन्हें बाद में मालूम चला कि यह बात झूठ थी. उन्होंने एफआईआर दर्ज होने वाले दिन- 20 सितंबर को कहा था कि उस दिन तक यह सैंपल संबंधित अथॉरिटी को नहीं भेज गया था.
न्यूज़ मिनट ने जिन फॉरेंसिक मेडिकल जानकर से बात की है, उन्होंने बताया वजाइनल स्वैब को उसी दिन टेस्ट करना चाहिए, जब उसे लिया गया. देर होने की स्थिति में स्वैब को एयरटाइट डिब्बे में रखा जाना चाहिए. ऐसा न किए जाने पर उस पर संक्रमण हो सकता है जिससे टेस्ट के नतीजे प्रभावित हो सकते हैं.
इस वेबसाइट से बातचीत में जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि महिला सही कह रही हैं. शिकायत दर्ज किए जाने के समय तक स्वैब सैंपल जांच के लिए नहीं भेजे गए थे.
एफआईआर में अन्य साक्ष्यों के संरक्षण को लेकर भी संदेह जताया गया है. शिकायतकर्ता का कहना है कि उनके कमरे की चादर, जिस पर अमितेश के सीमेन के दाग थे, को उन्होंने वायुसेना अस्पताल में दे दिया था और बताया था कि गद्दे के गिलाफ को उनके कमरे से ले लिया जाए. इस समय तक उन्हें नया कमरा आवंटित कर दिया गया था और पुराने कमरे पर ताला डाला जा चुका था. इसी कमरे में वह गद्दा था. महिला का आरोप है कि 17 सितंबर तक उनके पुराने कमरे को अच्छी तरह सील नहीं किया गया था.
‘हृदयहीन रवैया और उत्पीड़न’
महिला की शिकायत के अनुसार, कथित बलात्कार के दो दिन बाद 12 सितंबर, 2021 को संस्था के दो अधिकारियों ने उन्हें और उनकी दोस्त को मिलने के लिए बुलाया. दोनों को अलग करने के बाद एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें सर्वाइवर का बयान दर्ज करना है. जब महिला ने कहा कि वह ठीक मानसिक अवस्था में नहीं है, तो इन अधिकारी ने कथित तौर पर कहा कि वह बहुत व्यस्त हैं और महिला को तुरंत फैसला करना है कि क्या वह शिकायत दर्ज करना चाहती हैं या फिर लिखित में देना चाहती हैं कि वह ऐसा नहीं करना चाहतीं.
एफआईआर के अनुसार, सर्वाइवर जब शिकायत वापस लेने के लिए अपना बयान लिख रही थीं, उस समय यह अधिकारी बहुत ख़राब तरीके से पेश आए. अधिकारी ने कथित तौर पर शिकायतकर्ता की दोस्त से शिकायत वापस लेने के बयान पर दस्तखत करवाने का भी प्रयास किया. जब इन दोस्त ने कहा कि वह ऐसा करने से पहले कानूनी सलाह लेना चाहेंगी, तो उन पर कथित तौर पर चिल्लाया गया, कहा गया कि वे किसी को फोन नहीं कर सकतीं; सर्वाइवर और दोस्त दोनों को कथित तौर पर उनके फोन बंद करने और उन्हें मेज पर रखने के लिए कहा गया था.
‘डराना-धमकाना’
घटना के बाद अमितेश के रोज कक्षाओं में आने, इधर-उधर घूमकर सबसे बात करने और कथित तौर पर यह बताने कि उन्होंने क्या किया है, पर सर्वाइवर ने 14 सितंबर को इस बारे में पूछताछ कि उन्हें (अमितेश को) कब ऐसा करने से मना किया जाएगा और अगर ऐसा नहीं होता तो क्या वे कोर्स छोड़ सकती हैं.
एफआईआर के अनुसार, सर्वाइवर ने बताया कि वे जिनके मार्गदर्शन में कोर्स कर रही थीं, उन कानूनी अधिकारियों से उन्हें किसी तरह की मदद नहीं मिली. उनका आरोप है कि उन्हें ‘ब्लैकमेल’ किया गया कि या तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवाएं या ‘सिस्टम पर भरोसा’ करें. महिला का आरोप है कि उनसे कई बार उनकी शिकायत वापस लेने की अर्जी हाथ से लिखकर देने को कहा गया. 15 सितंबर को जब उन्होंने अपने बयान का प्रिंट मांगा तब उन्हें मालूम चला कि उनके और उनकी दोस्त के बयान को बदला गया था.
भारतीय वायुसेना से टू फिंगर टेस्ट और आंतरिक तौर पर शिकायत दर्ज करवाने पर महिला को धमकाने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर रक्षा जनसंपर्क अधिकारी ने द न्यूज़ मिनट को बताया कि मामला विचाराधीन और और वायुसेना इस समय इस पर कोई टिप्पणी नहीं सकती.
इस बीच अमितेश ने अदालत में हलफनामा दायर कर कहा है कि कोर्ट मार्शल का मामला होने के चलते न ही पुलिस न ही कोई क्रिमिनल अदालत उनकी जांच कर मुकदमा चला सकते हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जब अमितेश को अदालत में पेश किया गया था तब वायुसेना ने याचिका दायर कर अधिकारी को उसे सौंपने के लिए कहा ताकि उसका कोर्ट मार्शल किया जा सके और कहा कि सिविल पुलिस नागरिक कानूनों के तहत जांच एवं गिरफ्तारी नहीं कर सकती है. लेकिन पुलिस ने कहा कि वे अपनी जांच जारी रखेंगी क्योंकि वायुसेना ने महिला की शिकायत के 15 दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की थी.