यूपी पुलिस ने पिछले साल अक्टूबर में हाथरस जाने के रास्ते में केरल के पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन समेत चार युवकों को गिरफ़्तार किया था. पुलिस ने कप्पन के लेखों के आधार पर कहा है कि वे ज़िम्मेदार पत्रकार नहीं हैं और माओवादियों के समर्थन में लिखते हैं.
नई दिल्ली: केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने कहा है कि वे ‘जिम्मेदार’ पत्रकार नहीं है और ‘सिर्फ मुसलमानों’ को भड़काने के लिए रिपोर्ट करते हैं.
यूपी की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कप्पन के खिलाफ दायर हलफनामे में यह भी कहा है कि वे ‘माओवादियों और वामपंथियों के समर्थन’ में लिखते थे.
सिद्दीक कप्पन को उनके साथी मसूद अहमद, मोहम्मद आलम और अतीकुर्रहमान के साथ पिछले साल पांच अक्टूबर को यमुना एक्सप्रेस-वे के रास्ते हाथरस जाते समय मांट टोल प्लाजा पर गिरफ्तार किया गया था. वे हाथरस में एक दलित लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले को कवर करने जा रहे थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, करीब 5,000 पेज की चार्जशीट में जांच अधिकारी द्वारा 23 जनवरी 2021 को लिखित एक नोट का उल्लेख किया गया है, जिसमें कप्पन द्वारा मलयालम मीडिया हाउस के लिए लिखे गए 36 लेखों का सार पेश किया गया है.
इसमें कोरोना महामारी के दौरान निजामुद्दीन मरकज में हुए जमावड़े, सीएए विरोधी आंदोलन, दिल्ली दंगा, अयोध्या में राम मंदिर निर्माण और राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शरजील इमाम के खिलाफ चार्जशीट जैसे विषय शामिल हैं.
इसमें से एक लेख, जो कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए विरोध प्रदर्शन के संबंध में लिखा गया था, को लेकर पुलिस ने कहा, ‘इसमें मुसलमानों को पीड़ितों के रूप में दर्शाया गया है, जिन्हें पुलिस ने पीटा था और पाकिस्तान जाने के लिए कहा गया था. इससे यह स्पष्ट होता है कि यह मुसलमानों को भड़काने के लिए लिखा गया था.’
इतना ही नहीं यूपी पुलिस से इसके आधार पर यहां तक दावा किया है कि इन लेखों को सांप्रदायिक करार दिया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘दंगों के दौरान अल्पसंख्यकों का नाम लेना और उनसे जुड़ीं घटनाओं के बारे में बात करना भावनाओं को भड़का सकता है. जिम्मेदार पत्रकार ऐसी सांप्रदायिक रिपोर्टिंग नहीं करते हैं. कप्पन केवल और केवल मुसलमानों को उकसाने के लिए रिपोर्ट करते हैं, जो कि पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) का एक छिपा हुआ एजेंडा है. माओवादियों और वामपंथियों के प्रति सहानुभूति जताते हुए कुछ कहानियां लिखी गई हैं.’
कप्पन, पीएफआई के सदस्य अतीकुर्रहमान रहमान और मसूद अहमद तथा उनके ड्राइवर आलम को पिछले साल हाथरस जाते समय मथुरा में गिरफ्तार किया था. इसके कई महीनों बाद इस साल अप्रैल में ये चार्जशीट दायर की गई थी. उन पर यूएपीए के तहत और देशद्रोह के आरोप में मामला दर्ज किया गया था.
एसटीएफ का दावा है कि पीएफआई हाथरस पीड़िता के लिए न्याय मांगने के नाम पर विरोध प्रदर्शन करके दंगे जैसी स्थिति खड़े करना चाहता था. उन्होंने कहा कि कप्पन पीएफआई के लिए ‘थिंक टैंक’ के रूप में काम कर रहे थे.
पुलिस ने उन पर दिल्ली दंगों के दौरान खुफिया ब्यूरो (आईबी) के अधिकारी अंकित शर्मा और हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत को छिपाने की कोशिश करने और निलंबित आप पार्षद ताहिर हुसैन की कथित भूमिका को कम करने का भी आरोप लगाया.
जांच एजेंसी का यह भी आरोप है कि कप्पन ने अपने लेखन के माध्यम से प्रतिबंधित संगठन सिमी द्वारा किए गए आतंकवाद को नकारने की कोशिश की है.
पुलिस ने दो चश्मदीदों के बयान भी सौंपे हैं जो दावा करते हैं कि कप्पन और रहमान हाथरस पीड़िता के शव का अंतिम संस्कार करने के एक दिन बाद प्रशासन के खिलाफ भीड़ को भड़काने की कोशिश कर रहे थे.
हालांकि, आरोपियों के वकील ने कहा कि वे उस समय संबंधित क्षेत्र में भी नहीं थे और घटना के दो दिन बाद हाथरस जाते समय उन्हें गिरफ्तार किया गया था.
वकील मधुवन दत्त ने कहा, ‘ये संदिग्ध चश्मदीदों के बयान हैं, क्योंकि आरोपी तो गांव तक पहुंच भी नहीं पाए थे और रास्ते में ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.’
मालूम हो कि कप्पन और तीन अन्य को उस समय गिरफ्तार किया गया था, जब ये लोग हाथरस में एक युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में उसके गांव जा रहे थे. उनके गिरफ्तारी के दो दिन बाद यूपी पुलिस ने उनके खिलाफ राजद्रोह और यूएपीए के तहत विभिन्न आरोपों में अन्य मामला दर्ज किया था.
यूएपीए के तहत दर्ज मामले में आरोप लगाया गया था कि कप्पन और उनके सह-यात्री हाथरस सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले के मद्देनजर सांप्रदायिक दंगे भड़काने और सामाजिक सद्भाव को बाधित करने की कोशिश कर रहे थे. कप्पन न्यायिक हिरासत में है.
बाद में मथुरा की स्थानीय अदालत ने केरल के कप्पन और तीन अन्य लोगों को शांति भंग करने के आरोप से बीते 15 जून को मुक्त कर दिया था, क्योंकि पुलिस इस मामले की जांच तय छह महीने में पूरा नहीं कर पाई. बीते जुलाई महीने में एक निचली अदालत ने कप्पन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.