राजस्थान: कनिष्ठ अधिकारी के साथ कई बार बलात्कार के आरोप में श्रम आयुक्त गिरफ़्तार

महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि संयुक्त श्रम आयुक्त ने उनके ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई करने की धमकी देकर दो साल तक उनसे बलात्कार और उसका यौन शोषण किया. आरोपी को रविवार को अदालत में पेश किया गया था, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

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(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि संयुक्त श्रम आयुक्त ने उनके ख़िलाफ़ विभागीय कार्रवाई करने की धमकी देकर दो साल तक उनसे बलात्कार और उसका यौन शोषण किया. आरोपी को रविवार को अदालत में पेश किया गया था, जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया.

(प्रतीकात्मक फोटो: रॉयटर्स)

कोटा: कनिष्ठ अधिकारी के साथ दो साल तक बलात्कार करने के आरोप में श्रम आयुक्त को गिरफ्तार कर रविवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.

पुलिस ने बताया कि कोटा शहर पुलिस ने जिले के श्रम आयुक्त कार्यालय में पदस्थापित एक कनिष्ठ महिला अधिकारी का बलात्कार और यौन शोषण करने के सिलसिले में संयुक्त श्रम आयुक्त प्रदीप कुमार झा (55) को गिरफ्तार किया है.

पीड़िता द्वारा इस साल 12 जुलाई को कोटा सिटी एसपी के पास शिकायत दर्ज कराने के बाद शहर के नयापुरा थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 376, 354 और 384 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

डीएसपी और क्षेत्राधिकारी भागवत सिंह हिंगाड ने बताया कि जांच शुरू करके आरोपी को शनिवार को गिरफ्तार किया गया.

उन्होंने कहा कि झा को रविवार को अदालत में पेश किया गया जिसने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. आरोपी फिलहाल जोधपुर में पदस्थापित हैं और उन्होंने कोटा में 2019 से 2020 तक अपनी पदस्थापना के दौरान उक्त अपराध किया.

डीएसपी ने बताया कि झा को मामले में पूछताछ के लिए जोधपुर से कोटा तलब किया गया था, उसके बाद गिरफ्तार किया गया.

महिला अधिकारी ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि झा ने उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने की धमकी देकर दो साल तक उससे बलात्कार किया और उसका यौन शोषण किया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, महिला ने आरोप लगाया कि सरकारी काम के बहाने एक बार आरोपी अधिकारी उन्हें दिल्ली ले गया जहां उसने राजस्थान हाउस में उनके साथ दुष्कर्म किया और अगली बार जबरन उन्हें कोटा के पीपलदा हाउस ले गया, जहां उसने फिर वही अपराध दोहराया.

पीड़िता का पहले ही मेडिकल परीक्षण हो चुका है और सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उनके बयान भी पहले दर्ज किए जा चुके हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)