इस हफ़्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिज़ोरम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
गुवाहाटी: असम विधानसभा ने 15 सितंबर को एक विधेयक पारित किया जिसमें प्रावधान किया गया है कि अगर राज्य सरकार के कर्मचारी अपने अभिभावकों और दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल नहीं करेंगे तो उनके मासिक वेतन में 10 प्रतिशत की कटौती की जाएगी.
वेतन से काटी गई राशि उनके अभिभावकों या भाई-बहनों को उनकी देखभाल के लिए दी जाएगी.
असम कर्मचारी अभिभावक जवाबदेही एवं निगरानी विधेयक, 2017 के प्रावधानों के तहत राज्य सरकार या असम में किसी अन्य संगठन के कर्मचारी अपने अभिभावकों या दिव्यांग भाई-बहनों की देखभाल करेंगे.
राज्य के मंत्री हिमंत बिश्व सर्मा ने सदन में यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि ऐसे उदाहरण भी सामने हैं जिनमें अभिभावक वृद्धाश्रमों में रहते हैं और उनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं कर रहे.
उन्होंने कहा कि इस विधेयक का मकसद राज्य कर्मचारियों के निजी जीवन में हस्तक्षेप करने का नहीं बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि अनदेखी किए जाने की स्थिति में अभिभावक या दिव्यांग भाई-बहन कर्मचारियों के विभाग में शिकायत कर सकते हैं.
सदन ने चर्चा करने के बाद विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. सर्मा ने कहा कि बाद में सांसदों, विधायकों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और असम में संचालित निजी कंपनियों के कर्मचारियों के लिए भी एक ऐसा ही विधेयक पेश किया जाएगा.
मेघालय: तीन पूर्व मंत्रियों और दो विधायकों ने पार्टी टिकट के लिए नहीं किया आवेदन
शिलॉन्ग: कांग्रेस के तीन पूर्व मंत्रियों और दो विधायकों ने अगले साल होने वाले मेघालय विधानसभा चुनाव के वास्ते पार्टी टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है. यह इस बात का संकेत है कि वे कांग्रेस से फिर से निर्वाचन नहीं चाह रहे हैं.
पार्टी पदाधिकारियों ने बताया कि कांग्रेस टिकट के लिए आवेदन देने की अंतिम तारीख़ 15 सितंबर को देर रात तक पूर्व उपमुख्यमंत्री रॉवेल लिंगदोह, मंत्री प्रेस्टोन टिनसोंग और स्नियाभालंग धर ने आवेदन नहीं किया.
उन्होंने बताया कि निलंबित विधायक और जनजातीय खासी पर्वतीय स्वाया ज़िला परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य पीएन सीयम और धर के विधायक भाई गैतलांग धर ने भी पार्टी टिकट के लिए आवेदन नहीं किया है.
शहरी मामलों के मंत्री रॉनी वी. लिंगदोह ने बताया कि 100 से अधिक उम्मीदवारों ने 60 सदस्यीय विधानसभा के वास्ते पार्टी टिकट के लिए आवेदन किया है. संबंधित पार्टी पदाधिकारियों द्वारा छंटनी के बाद अगले दो महीने में उनके नामों की घोषणा की जाएगी.
फिलहाल विधानसभा में कांग्रेस के 30 विधायक हैं.
मिज़ोरम: कुलपति की मांग को लेकर मिज़ोरम विश्वविद्यालय के छात्र अनिश्चितकालीन हड़ताल पर
आइजोल: मिज़ोरम विश्वविद्यालय में पूर्णकालिक कुलपति की नियुक्ति की मांग को लेकर छात्र-छात्राएं अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. विश्वविद्यालय के छात्रों ने बीते छह सितंबर से सारे नियमित शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक गतिविधियों का बहिष्कार भी किया है.
शिलॉन्ग स्थित नॉर्थ ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आर. लालथनत्लुआंगा मिज़ोरम विश्वविद्यालय के आख़िरी कुलपति थे. उन्होंने मई 2016 में इस्तीफा दिया था. तब से यह पद खाली है.
कुलपति के अलावा शिक्षक, सहयोगी और सहायक शिक्षकों के 68 पद साल 2001 में स्थापित इस केंद्रीय विश्वविद्यालय में खाली हैं.
मिज़ोरम विश्वविद्यालय छात्र परिषद (एमजीयूएससी) की प्रेस रिलीज के अनुसार, ‘विश्वविद्यालय तकरीबन दो साल से बिना किसी नियमित कुलपति के चल रहा है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर से बार-बार अपील करने के बाद भी कोई निष्कर्ष नहीं निकला है.’
मिज़ोरम विश्वविद्यालय छात्र परिषद के अध्यक्ष मलसावमसंगा कहते हैं, ‘इतने लंबे समय तक कुलपति के न होने से न सिर्फ कर्मचारियों और विद्यार्थियों को नुकसान पहुंच रहा है बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हुई है.’
उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन महीने से कुलपति पद के लिए दावेदारों की सूची तैयार करने के बावजूद मानव संसाधन विकास मंत्रालय विश्वविद्यालय के लिए कुलपति नियुक्त करने में असमर्थ रहा है.
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार प्रदर्शन कर रहे है छात्र-छात्राओं ने शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया. विद्यार्थियों ने नारेबाज़ी की और एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का पुतला जलाकर अपना विरोध प्रदर्शन जताया.
एमजीयूएससी ने 28 अगस्त को मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को एक ज्ञापन देकर इस मुद्दे पर तुरंत विचार करने के लिए उन्हें आग्रह किया था और यह चेतावनी भी दी थी कि अगर वह पांच सितंबर तक मांग को पूरा करने में विफल रहे तो छात्रों को हड़ताल का सहारा लेना पड़ेगा.
मलसावमसंगा कहते हैं, ‘हमारे बार-बार अपील करने के बावजूद भी केंद्र सरकार ने इस मुद्दे से अपना मुंह मोड़ रखा है. यह साफ तौर पर मिज़ोरम विश्वविद्यालय के छात्रों का अपमान है. यदि केंद्र सरकार मिज़ोरम को भारत का हिस्सा मानती है तो उसे मिज़ोरम के छात्र-छात्राओं के मुद्दे पर ध्यान देना चाहिए.
राज्य के मुख्यमंत्री लाल थनहवला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर जल्द से जल्द कुलपति नियुक्त करने की मांग की है.
अरुणाचल प्रदेश: चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को मिलेगी भारतीय नागरिकता
नई दिल्ली: केंद्र सरकार लगभग पांच दशक पहले तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान से भारत में आए करीब एक लाख चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को जल्द ही भारतीय नागरिकता प्रदान कर देगी.
गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने बीते 12 सितंबर यह जानकारी देते हुए बताया कि पूर्वोत्तर राज्यों में रह रहे अधिकांश चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने से स्थानीय नागरिकों के अधिकारों में कोई कटौती नहीं होने दी जाएगी.
चकमा और हाजोंग शरणार्थियों के मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में 12 सितंबर को हुई उच्चस्तरीय बैठक में चर्चा की गई.
उच्चतम न्यायालय ने साल 2015 में चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का आदेश दिया था. इनमें से अधिकांश शरणार्थी अरुणाचल प्रदेश में रह रहे हैं.
अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, किरण रिजिजू और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की मौजूदगी में हुई बैठक में अदालत के इस फैसले को लागू करने की कार्ययोजना पर चर्चा की गई.
बैठक के बाद रिजिजू ने कहा कि इन शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के लिए बीच का रास्ता अपनाया जाएगा जिससे न्यायपालिका के आदेश का पालन भी सुनिश्चित हो सके और स्थानीय लोगों के अधिकारों में कोई कटौती भी न हो.
उन्होंने कहा कि चकमा शरणार्थी अरुणाचल प्रदेश में 1964 से रह रहे हैं और इन्हें नागरिकता देने संबंधी अदालत के आदेश का यथाशीघ्र पालन करने की ज़रूरत है.
अरुणाचल प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले रिजिजू ने भरोसा दिलाया कि इससे स्थानीय लोगों और आदिवासी समुदायों के नागरिक अधिकारों में कोई कटौती नहीं होगी.
अरुणाचल प्रदेश के तमाम सामाजिक संगठन शरणार्थियों को नागरिकता देने का विरोध कर रहे हैं. इनकी दलील है कि इससे राज्य की जनसांख्यिकी की स्थिति बदल जाएगी.
इसके मद्देनजर केंद्र सरकार बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करते हुए चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को ज़मीन ख़रीदने सहित अन्य अधिकार नहीं देने के प्रस्ताव सहित अन्य विकल्पों पर विचार कर रही है.
रिजिजू ने मौजूदा स्थिति के लिए कांग्रेस को कसूरवार ठहराते हुये कहा कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में स्थानीय लोगों को विश्वास में लिए बिना इन शरणार्थियों को राज्य में बसाया था.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ऐसा कर स्थानीय लोगों के साथ घोर अन्याय किया और अब हम इस मामले में बीच का रास्ता निकालने का प्रयास कर रहे हैं जिससे अदालत के आदेश का भी सम्मान किया जा सके और स्थानीय लोगों के अधिकार भी प्रभावित नहीं हों. साथ ही चकमा और हाजोंग शरणार्थियों के मानवाधिकार भी सुरक्षित किए जा सकें.
राज्य सरकार ने चकमा शरणार्थियों के मुद्दे का राजनीतिकरण बंद करने को कहा
अरुणाचल प्रदेश सरकार ने बीते 16 सितंबर को विपक्षी कांग्रेस से चकमा-हाजोंग शरणार्थियों के मुद्दे का राजनीतिकरण बंद करने और तार्किक समाधान की दिशा में काम करने का आग्रह किया.
पूर्वोत्तर में चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता देने के केंद्र सरकार के हालिया निर्णय को लेकर राज्य में रोष का माहौल है. सूबे में छात्रों के शीर्ष संगठन ऑल अरुणाचल प्रदेश स्टूडेंट्स यूनियन (एएपीएसयू) ने 19 सितंबर को राज्यव्यापी बंद का आह्वान किया है.
राज्य सरकार के प्रवक्ता पसांग दोर्जी सोना ने संवाददाता सम्मेलन में बताया, इस विवादास्पद मुद्दे के समाधान को लेकर सभी राजनीतिक दलों के एकजुट होने का वक्त है. उन्होंने कांग्रेस से मामले को राजनीतिक रंग देने की बजाय उसके समाधान के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया.
अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) ने राज्य में चकमा और हाजोंग शरणार्थियों को नागरिकता दिए जाने के केंद्र के फैसले की 14 सितंबर को आलोचना की थी.
असम: संस्कृति और पर्यटन के क्षेत्र में संभावनाओं के लिए राजस्थान से साझेदारी
नई दिल्ली: राजस्थान के साथ असम सिलसिलेवार कार्यक्रम कर रहा है ताकि दोनों राज्यों के लोगों को एक-दूसरे राज्य की सांस्कृतिक विविधता का अनुभव दिया जा सके.
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने इसका शुभारंभ करते हुए बीते 15 सितंबर को इस बात का ज़िक्र किया कि दोनों राज्य काफी समय से बहुत मजबूत सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंधों को साझा करते हैं.
कार्यक्रम के तहत यहां राजस्थान गेस्ट हाउस में एक असमी फूड फेस्टिवल का आयोजन किया गया. पारंपरिक असमी जीवनशैली से जुड़ी चीजें भी प्रदर्शित की गई जिनमें हथकरघा और हस्तकला उत्पाद शामिल हैं.
सोनोवाल ने कहा कि इस कोशिश ने दोनों राज्यों के बीच संबंध बेहतर बनाया है. यह आदान-प्रदान केंद्र सरकार के एक भारत श्रेष्ठ भारत कार्यक्रम का हिस्सा है. इसके तहत दोनों राज्य अपनी-अपनी संस्कृति और परंपरा को दूसरे राज्यों के लोगों के समक्ष प्रदर्शित करेंगे.
अरुणाचल प्रदेश: सरकार ने कहा, कांग्रेस गबन साबित करे नहीं तो मानहानि का मुकदमा करेंगे
इटानगर: अरुणाचल प्रदेश की पेमा खांडू सरकार ने बीते 16 सितंबर को कांग्रेस की तरफ से लगाए गए एक हज़ार करोड़ रुपये के गबन के आरोपों को ख़ारिज किया और कहा कि अगर पार्टी ने इसे साबित नहीं किया तो सरकार पीसीसी अध्यक्ष के ख़िलाफ़ मानहानि का मामला दायर कर सकती है.
सरकार के प्रवक्ता पासंग दोरजी सोना ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, यह समझा से परे है कि कहां से यह बकवास आंकड़े लिए गए. यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि विपक्ष राज्य की मौजूदा वित्तीय स्थिति से अवगत नहीं है.
उन्होंने कहा, कांग्रेस के पास मुद्दे नहीं हैं इसलिए वे ऐसी बातों को मुद्दा बना रहे हैं जो मुद्दा नहीं हैं. अगर उसने आंकड़ों की पुष्टि नहीं की तो सरकार एपीसीसी अध्यक्ष के ख़िलाफ़ मानहानि का मामला दायर करेगी.
असम: गुवाहाटी के आसपास राज्य राजधानी क्षेत्र का गठन होगा
गुवाहाटी: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की राह पर चलते हुए असम में गुवाहाटी के चारों ओर के क्षेत्रों में राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) का गठन होगा. इस संबंध में आज राज्य विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया.
राज्य में एससीआर के त्वरित विकास के लिए एक योजना तैयार करने के वास्ते क्षेत्रीय प्राधिकरण का गठन करने के लिए विधानसभा में ध्वनि मत से असम राज्य राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (एएससीआरडीए) विधेयक 2017 को पारित किया किया गया.
सदन में इस विधेयक को पेश करते हुए वरिष्ठ मंत्री हिमंत बिस्व सर्मा ने कहा कि एससीआर में कामरूप मेट्रोपोलिटन, कामरूप, नलबाड़ी, दारांग और मोरीगांव ज़िलों को पूर्ण या आंशिक रूप से शामिल किया जाएगा. राजधानी गुवाहाटी कामरूप मेट्रोपोलिटन ज़िले में है.
सर्मा ने बताया कि मौजूदा गुवाहाटी नगर निगम विकास प्राधिकरण (जीएमडीए), गुवाहाटी नगर निगम (जीएमसी) और अन्य शहरी प्राधिकरणों के दिशा-निर्देश एससीआर के विकास के लिए पर्याप्त नहीं है.
राज्य के स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्री ने कहा कि एएससीआरडीए को एससीआर के विकास और उस पर निगरानी रखने के सभी अधिकार दिए जाएंगे.
मणिपुर: तस्करी का शिकार हुईं 14 लड़कियों को बचाया गया
इम्फाल: म्यांमार के अधिकारियों ने यांगून के एक होटल से चूराचांदपुर ज़िले से लापता 14 लड़कियां को बचाया है. म्यांमार के अधिकारियों ने ये बचावकार्य केंद्रीय विदेश मंत्रालय के अनुरोध के बाद किया.
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने बीते 12 सितंबर को स्थानीय पत्रकारों को बताया कि लड़कियों को यांगून के रास्ते से थाईलैंड भेजा जाने वाला था. उन्होंने यह भी कहा कि अब तक इस मामले में पांच महिलाएं और एक पुरुष को गिरफ्तार किया जा चुका है.
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, दलालों ने हर लड़की के परिवार को नौकरी देने का झूठा वादा करते हुए उन्हें ले जाने के लिए 10,000 रुपये दिए थे और बाद में 90 हज़ार रुपये देने का वादा भी किया था.
यह जानने के बाद कि उनको ठगा गया है कुछ लड़कियों ने किसी तरह चूराचांदपुर ज़िले की पुलिस से संपर्क किया और बचाने की गुज़ारिश की. राज्य सरकार ने फ़ौरन केंद्र सरकार को इस बारे में सूचित किया. केंद्र सरकार ने म्यांमार के अधिकारियों इस बारे में बताया जिसके बाद लड़कियों को बचाया जा सका. चूराचांदपुर पुलिस ने इस मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित किया है.
(संगीता बरूआ पिशारोती और समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)