लखीमपुर खीरी हिंसा में पत्रकार रमन कश्यप की मौत की अदालत के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल द्वारा अलग से जांच कराने की मांग करते हुए एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने कहा कि यह किसानों में डर फैलाने के लिए स्पष्ट रूप से एक आतंकवादी हमला है. वहीं, भारतीय प्रेस परिषद ने घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए योगी सरकार से रिपोर्ट तलब की है.
नई दिल्ली: एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) ने मंगलवार को कहा कि लखीमपुर खीरी हिंसा में टीवी पत्रकार रमन कश्यप की मौत चौंकाने वाली है और इससे कई सवाल खड़े होते हैं.
गिल्ड ने मांग की कि जिन परिस्थितियों में पत्रकार की मृत्यु हुई, उनका पता लगाने के लिए अदालत के नेतृत्व वाले विशेष जांच दल द्वारा अलग से जांच की जानी चाहिए.
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि कश्यप की मौत के बारे में मीडिया में अलग-अलग बातें सामने आ रही हैं, जिनमें एक दावा यह किया गया है कि गोली लगने से उनकी मौत हुई.
ईजीआई ने कहा, ‘ईजीआई रमन कश्यप की मौत से स्तब्ध है. जिनकी कथित तौर पर केंद्रीय राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा के निर्देश पर प्रदर्शनकारी किसानों पर वाहन चढ़ाने के बाद भड़की हिंसा में जान चली गई.’
The Editors Guild of India is shocked by the death of Raman Kashyap, a TV journalist who was reporting on Lakhimpur Kheri’s farmers protest on October 3. pic.twitter.com/UU5SvvoHbE
— Editors Guild of India (@IndEditorsGuild) October 5, 2021
बयान में कहा गया है, ‘यह किसानों में डर फैलाने के लिए स्पष्ट रूप से एक आतंकवादी हमला है. कश्यप की हत्या से कई सवाल उठते हैं. कश्यप की मौत के बारे में कई बातें में सामने आई हैं, जिसमें एक दावा यह भी किया गया है कि गोली लगने से उनकी मौत हुई.’
ईजीआई ने कहा कि इसलिए टीवी पत्रकार की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए स्वतंत्र जांच की जरूरत है.
गिल्ड की मांग है कि कश्यप की मौत की अलग से जांच एक अदालत के नेतृत्व वाली विशेष जांच टीम द्वारा की जाए ताकि उनकी मौत की परिस्थितियों का पता लगाया जा सके.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, गिल्ड ने कहा कि कश्यप उस दिन की घटनाओं पर रिपोर्टिंग कर रहे थे, जब प्रदर्शनकारी किसानों के काफिले पर यह ‘भयावह घटना’ हुई, जिसमें कुछ लोग मारे गए.
संपादकों के निकाय ने मीडिया के विभिन्न वर्गों में घटना के अलग-अलग संस्करण पर भी चिंता व्यक्त की और सुझाव दिया कि मीडिया को तथ्यों की रिपोर्ट करनी चाहिए, न कि संस्करण की.
गिल्ड ने एक बयान में कहा कि कश्यप की मौत के बारे में मीडिया में ‘अलग-अलग बातें’ सामने आ रही हैं, जिसमें से में दावा किया गया है कि वह गोली लगने से मारे गए थे.
गिल्ड ने कहा, ‘ईजीआई मीडिया के विभिन्न वर्गों में घटना के अलग-अलग संस्करणों के बारे में चिंतित है. मीडिया के लिए तथ्यों की रिपोर्ट करना अनिवार्य है, न कि संस्करण की.’
पत्रकार संघ ने यह भी मांग की कि विशेष जांच दल को घटनाओं के क्रम को फिर से बनाने के लिए कश्यप के कैमरे से फुटेज को पुनर्प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए.
भारतीय प्रेस परिषद ने यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी
वहीं, भारतीय प्रेस परिषद ने लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए पत्रकार पर यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भारतीय प्रेस परिषद ने लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के दौरान एक पत्रकार की मौत का स्वत: संज्ञान लिया और मामले के तथ्यों पर उत्तर प्रदेश सरकार से जल्द से जल्द रिपोर्ट देने के लिए कहा.
एक बयान में भारतीय प्रेस परिषद ने कहा कि वह इस मुद्दे पर स्वत:संज्ञान ले रही है और उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को इस मामले के तथ्यों पर जल्द से जल्द एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में बीते तीन अक्टूबर को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया और इसके बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई.
घटना लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई, जहां प्रदर्शनकारी किसान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बनबीरपुर दौरे का विरोध कर रहे थे. किसानों का आरोप है कि इसी बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला.
हालांकि मिश्रा ने आरोप को खारिज करते हुए रविवार को एक चैनल से कहा कि दुर्घटना के वक्त उनका बेटा दूसरी जगह किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)