मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट के जर्मन वैज्ञानिक बेंजामिन लिस्ट और प्रिंसटन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक डेविड डब्ल्यूसी मैकमिलन को रसायन विज्ञान क्षेत्र में नोबेल दिया गया है. इससे पहले जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे, जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन और इटली के जिओर्जिओ पारिसी को जलवायु परिवर्तन के संबंध में काम करने के लिए भौतिकी के नोबेल के लिए चुना गया है.
स्टॉकहोम: आणविक निर्माण का एक ‘सरल’ नया तरीका खोजने के लिए दो वैज्ञानिकों को रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार दिये जाने की बुधवार को घोषणा की गई. अणुओं के निर्माण के इस नये तरीके का इस्तेमाल दवाओं से लेकर भोजन के स्वाद तक सब कुछ बनाने के लिए किया जा सकता है.
जर्मनी के बेंजामिन लिस्ट और स्कॉटलैंड में जन्मे डेविड डब्ल्यू.सी. मैकमिलन के इस तरीके के जरिये वैज्ञानिकों को अणुओं को अधिक किफायती, कुशलतापूर्वक, सुरक्षित रूप से और काफी कम पर्यावरणीय प्रभाव के साथ उत्पादन करने की अनुमति मिली है.
विजेताओं की घोषणा ‘रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज’ के महासचिव गोरान हैन्सन ने की.
नोबेल समिति के एक सदस्य, पर्निला विटुंग-स्टाफशेड ने कहा, ‘यह पहले से ही मानव जाति को बहुत लाभान्वित कर रहा है.’
The discovery – asymmetric organocatalysis – being awarded the 2021 #NobelPrize in Chemistry has taken molecular construction to an entirely new level. It has not only made chemistry greener, but also made it much easier to produce asymmetric molecules. pic.twitter.com/TsgSmgEmqb
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2021
अणु बनाना, जिसके लिए विशिष्ट व्यवस्था में अलग-अलग परमाणुओं को एक साथ जोड़ने की आवश्यकता होती है – एक कठिन और धीमा कार्य है. सहस्राब्दी की शुरुआत तक, रसायन वैज्ञानिकों के पास प्रक्रिया को गति देने के लिए केवल दो तरीके या उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) थे.
यह सब 2000 में बदल गया, जब मैक्स प्लैंक इंस्टिट्यूट के लिस्ट और प्रिंसटन विश्वविद्यालय के मैकमिलन ने स्वतंत्र रूप से बताया कि छोटे कार्बनिक अणुओं का उपयोग बड़े एंजाइम और धातु उत्प्रेरक के समान काम करने के लिए किया जा सकता है.
स्टाफशेड ने कहा, ‘नई विधि, जिसे एसिमेट्रिक ऑर्गेनोकैटलिसिस के नाम से जाना जाता है, का आज व्यापक उपयोग किया जाता है. उदाहरण के लिए इसका उपयोग दवा की खोज में और रसायनों के उत्पादन में किया जाता है.’
नोबेल समिति के अध्यक्ष जोहान इकविस्ट ने नई पद्धति को सरल बताया. उन्होंने कहा, ‘तथ्य यह है कि बहुत से लोगों ने सोचा है कि हमने इसके बारे में पहले क्यों नहीं सोचा?’
पुरस्कार की घोषणा के बाद लिस्ट ने कहा कि उनके लिए पुरस्कार एक ‘‘बहुत बड़ा आश्चर्य’’ है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इसकी बिल्कुल उम्मीद नहीं थी.’’
उन्होंने कहा कि जब स्वीडन से फोन आया तो वह अपने परिवार के साथ एम्स्टर्डम में छुट्टियां मना रहे थे. उन्होंने टेलीफोन पर पत्रकारों से कहा, ‘आपने वास्तव में आज मेरा दिन बना दिया.’
लिस्ट (53) ने कहा कि उन्हें शुरू में नहीं पता था कि मैकमिलन उसी विषय पर काम कर रहे थे. उन्होंने कहा कि उन्हें लगा कि जब तक यह सफल नहीं होता, तब तक उनका यह प्रयास एक खराब विचार हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगा कि यह कुछ बड़ा हो सकता है.’
लिस्ट ने कहा कि यह पुरस्कार उन्हें अपने भविष्य के काम में और भी अधिक स्वतंत्रता प्रदान करेगा. उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि मैं इस पर खरा उतरूंगा, इस मान्यता के लिए और अद्भुत चीजों की खोज जारी रखूंगा.’
संबंधित क्षेत्रों में काम करने वाले कई वैज्ञानिकों के लिए पुरस्कार साझा करना आम बात है.
पिछले साल, रसायन विज्ञान पुरस्कार फ्रांस के इमैनुएल चार्पेंटियर और अमेरिका के जेनिफर ए. डौडना को एक जीन उपकरण विकसित करने के लिए दिया गया था जिसने डीएनए को बदलने का एक तरीका प्रदान करके विज्ञान में क्रांति ला दी है.
Researchers long believed that there were just two types of catalysts available: metals and enzymes. Independently of each other #NobelPrize laureates Benjamin List and David MacMillan developed a third type – asymmetric organocatalysis – which builds upon small organic molecules
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 6, 2021
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार में एक स्वर्ण पदक और एक करोड़ स्वीडिश क्रोनोर (11.4 लाख डॉलर से अधिक) की राशि दी जाती है. पुरस्कारों की स्थापना 1895 में स्वीडिश नागरिक अल्फ्रेड नोबेल ने की थी.
भौतिकी का नोबेल पुरस्कार
वहीं, जलवायु परिवर्तन की समझ को बढ़ाने समेत जटिल प्रणालियों पर काम करने के लिए जापान, जर्मनी और इटली के तीन वैज्ञानिकों को इस वर्ष भौतकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है.
जापान के रहने वाले स्यूकूरो मनाबे (90) और जर्मनी के क्लॉस हैसलमैन (89) को ‘पृथ्वी की जलवायु की भौतिक ‘मॉडलिंग’, ग्लोबल वॉर्मिंग के पूर्वानुमान की परिवर्तनशीलता और प्रामाणिकता के मापन’ क्षेत्र में उनके कार्यों के लिए चुना गया है.
पुरस्कार के दूसरे भाग के लिए इटली के जिओर्जिओ पारिसी (73) को चुना गया है. उन्हें ‘परमाणु से लेकर ग्रहों के मानदंडों तक भौतिक प्रणालियों में विकार और उतार-चढ़ाव की परस्पर क्रिया की खोज’ के लिए चुना गया है.
तीनों ने ‘जटिल प्रणालियों’ पर काम किया है जिनमें से जलवायु एक उदाहरण है.
Giorgio Parisi – awarded this year’s #NobelPrize in Physics – discovered hidden patterns in disordered complex materials. His discoveries are among the most important contributions to the theory of complex systems. pic.twitter.com/ggdbuauwcY
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 5, 2021
निर्णायक मंडल ने कहा कि मनाबे और हैसलमैन ने ‘पृथ्वी की जलवायु और मनुष्य के इस पर प्रभाव के बारे में हमारे ज्ञान की बुनियाद रखी.’
अब न्यूजर्सी के प्रिंसटन विश्वविद्यालय में रहने वाले मनाबे ने 1960 के दशक की शुरुआत में दर्शाया था कि वातावरण में कार्बन डाईऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से वैश्विक तापमान किस तरह बढ़ेगा और इस तरह उन्होंने मौजूदा जलवायु मॉडलों की बुनियाद रखी थी.
इसके करीब एक दशक बाद जर्मनी के हैमबर्ग स्थित मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट फॉर मीटियोरोलॉजी के हैसलमैन ने एक मॉडल बनाया जिसमें मौसम और जलवायु को जोड़ा गया. इससे यह समझने में मदद मिली कि मौसम की तेजी से बदलाव वाली प्रकृति के बाद भी जलवायु संबंधी मॉडल किस तरह प्रामाणिक हो सकते हैं.
उन्होंने जलवायु पर मनुष्य के प्रभाव के विशेष संकेतों का पता करने के तरीके भी खोजे.
2021 #NobelPrize laureate Klaus Hasselmann created a model that links together weather and climate. His methods have been used to prove that the increased temperature in the atmosphere is due to human emissions of carbon dioxide. pic.twitter.com/lWcGrm9SDW
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 5, 2021
रोम की सैपियेंजा विश्वविद्यालय के पारिसी ने एक गहन भौतिक और गणितीय मॉडल तैयार किया जिससे जटिल प्रणालियों को समझना आसान हुआ.
पुरस्कारों की घोषणा के बाद पारिसी ने कहा, ‘इस बात की बहुत आवश्यकता है कि हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए बहुत कठोर फैसले लें और बहुत तेज रफ्तार से बढ़ें.’ उन्होंने कहा, ‘भावी पीढ़ियों के लिए संदेश है कि हमें अब काम करना होगा.’
Syukuro Manabe – awarded the 2021 #NobelPrize in Physics – demonstrated how increased levels of carbon dioxide in the atmosphere lead to increased temperatures at the surface of the Earth. His work laid the foundation for the development of current climate models. pic.twitter.com/jOZEnOSxGV
— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 5, 2021
नोबेल पुरस्कार समिति ने सोमवार को चिकित्सा के क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों डेविड जूलियस और आर्डम पातापूशियन को नोबेल पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की थी.
आने वाले दिनों में साहित्य, शांति और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)