केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा द्वारा किसानों को दी गई चेतावनी का एक कथित वीडियो सामने आने के बाद बीते तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी ज़िले में प्रदर्शन कर रहे किसानों के समूह पर कथित तौर पर उनके बेटे द्वारा वाहन चढ़ा देने से चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से गुरुवार को यह बताने के लिए कहा कि तीन अक्टूबर की लखीमपुर खीरी हिंसा के सिलसिले में किन आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है और उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं. इस घटना में किसानों के प्रदर्शन के दौरान चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी.
मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए वकील को इस बारे में स्थिति रिपोर्ट में जानकारी देने का निर्देश दिया.
न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वे कल (आठ अक्टूबर) तक इस मामले को लेकर स्टेटस रिपोर्ट दायर करें, जिसमें आरोपियों के विवरण होने चाहिए और ये बताया जाना चाहिए कि उन्हें गिरफ्तार किया गया है या नहीं.
शीर्ष अदालत ने सरकार से यह भी कहा कि मृतक लवप्रीत सिंह की मां को पर्याप्त मेडिकल सुविधा प्रदान की जाए, जो कि सदमें के चलते काफी बीमार हैं.
वकील ने पीठ से कहा कि घटना की जांच के लिए एक न्यायिक आयोग का गठन किया गया है और राज्य मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करेगा. शीर्ष अदालत ने मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को तय की है.
Supreme Court Directs State of UP to provide all medical facilities to mother of one of the deceased in #LakhimpurKheriViolence.
Bench was informed that the mother is in critical condition due to shock of her son’s death & is need of urgent medical attention #SupremeCourt https://t.co/sixmcz91xy
— Live Law (@LiveLawIndia) October 7, 2021
इससे पहले दोपहर में शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह उन दोनों वकीलों का पक्ष जानना चाहती है, जिन्होंने लखीमपुर खीरी घटना में सीबीआई को शामिल करते हुए उच्चस्तरीय जांच का अनुरोध किया था.
पीठ ने कहा कि पत्र को जनहित याचिका (पीआईएल) के तौर पर पंजीकृत किया जाना था और कुछ ‘गलतफहमी’ की वजह से इसे स्वत: संज्ञान के मामले के तौर पर सूचीबद्ध कर दिया गया.
पीठ ने कहा, ‘कोई फर्क नहीं पड़ता, हम तब भी इस पर सुनवाई करेंगे.’
पीठ ने अदालत के अधिकारियों से कहा कि वे दो वकीलों- शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा को पेश होने के लिए सूचित करें.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘यह पत्र दो वकीलों द्वारा लिखा गया था. हमने रजिस्ट्री को इसे पीआईएल के तौर पर पंजीकृत करने को कहा था, लेकिन किसी गलतफहमी की वजह से यह स्वत: संज्ञान वाले मामले के रूप में पंजीकृत हो गया. पत्र लिखने वाले दोनों वकीलों को मौजूद रहने के लिए सूचित करें.’
इसके बाद जब सुनवाई शुरू हुई तो वकील शिव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने लोकतांत्रिक अधिकारों को बचाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं. उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज करने के लिए न्यायालय को ये पत्र लिखा गया था.
इस पीठ ने कहा कि एफआईआर तो पहले ही दर्ज कर ली गई है.
वहीं उत्तर प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल गरिमा प्रसाद ने कहा कि ये पूरी घटना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ थी और इस मामले में न्यायिक जांच के लिए एक एसआईटी का गठन किया गया है.
मालूम हो कि इस घटना ने उत्तर प्रदेश में बड़ा सियासी भूचाल खड़ा दिया है, जहां विपक्षी दल उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर दोषियों को बचाने का आरोप लगा रहे हैं.
मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले को लेकर जो जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं, उसका क्या हुआ? ये जानकारी भी न्यायालय को दी जाए.
केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहा किसानों का एक समूह उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की यात्रा के खिलाफ तीन अक्टूबर को प्रदर्शन कर रहा था, जब लखीमपुर खीरी में एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया गया था.
लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में बीते तीन अक्टूबर को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था. इसके बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई.
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में करीब दस महीने से आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के उस बयान के बाद और बढ़ गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को ‘दो मिनट में सुधार देने की चेतावनी’ और ‘लखीमपुर खीरी छोड़ने’ की चेतावनी दी थी.
आरोप है कि गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने भाजपा के दो कार्यकर्ताओं और एक ड्राइवर की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी, जबकि हिंसा में एक स्थानीय पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
घटना लखीमपुर खीरी ज़िले के तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई, जहां प्रदर्शनकारी किसान उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के बनबीरपुर दौरे का विरोध कर रहे थे. किसानों का आरोप है कि इसी बीच केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला.
इस संबंध में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, लेकिन अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है.
प्राथमिकी भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 149 (तीनों दंगों से संबंधित धाराएं), 279 (रैश ड्राइविंग), 338 (किसी भी व्यक्ति को जल्दबाजी या लापरवाही से गंभीर चोट पहुंचाना, जिससे मानव जीवन को खतरा हो) 304ए (लापरवाही से मौत), 302 (हत्या), 120बी (आपराधिक साजिश का पक्ष) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
मृतक किसानों की पहचान- गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह (दोनों की उम्र का उल्लेख नहीं) के रूप में की गई है.
हालांकि मिश्रा ने आरोप को खारिज करते हुए रविवार को एक चैनल से कहा कि दुर्घटना के वक्त उनका बेटा दूसरी जगह किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले रहा था.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री मिश्रा ने कहा था कि कार्यक्रम में शिरकत करने आ रहे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को साथ लाने के लिए कुछ कार्यकर्ता जा रहे थे. रास्ते में तिकोनिया में धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कार्यकर्ताओं की गाड़ी पर पथराव कर दिया, जिससे वह गाड़ी पलट गई. उसकी चपेट में आकर कुछ लोग घायल हो गए.
हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का ये दावा सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो से पूरी तरह झूठा साबित होता है. करीब 29 सेकंड के इस वीडियो का एक-एक फ्रेम रोंगटे खड़े कर देने वाला है, जिसमें ये स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि किसान शांतिपूर्ण तरीके से जा रहे थे और पीछे से आ रही दो गाड़ियों ने उन्हें कुचल दिया.
लखीमपुर मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग गठित
लखनऊ: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच के लिए एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया गया है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है, जिन्हें दो महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया गया है.
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान के अनुसार, ‘आयोग के गठन के लिए अधिसूचना जारी कर दी गई है. आयोग को मामले की जांच के लिए दो महीने का समय दिया गया है. इस मामले की जांच इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) प्रदीप कुमार श्रीवास्तव करेंगे.’
उन्होंने कहा कि जांच आयोग अधिनियम, 1952 (1952 की अधिनियम संख्या 60) की धारा 3 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राज्यपाल ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को आयोग के एकल सदस्य के रूप में नियुक्त किया है.
बयान में बताया गया, ‘आयोग इस अधिसूचना के जारी होने की तारीख से दो महीने की अवधि के भीतर जांच पूरी करेगा. इसके कार्यकाल में कोई भी बदलाव सरकार के आदेश पर होगा.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)