आतंकी हमले में मृत प्रिंसिपल और शिक्षक का अंतिम संस्कार, जम्मू कश्मीर में विरोध-प्रदर्शन

जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों सात नागरिकों की हत्या आतंकियों द्वारा की गई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई. पांच अक्टूबर को कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू समेत तीन लोगों की और दो अक्टूबर को दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.

Jammu: Wife of Deepak Chand, a teacher who was killed by militants during a terrorist attack in Srinagar, reacts during the funeral ceremony in Jammu, Friday, Oct. 8, 2021. Two government school teachers, including a woman, were shot dead by militants in Eidgah area of the city amid increasing attacks on civilians in Jammu and Kashmir on Thursday. (PTI Photo)(PTI10 08 2021 000025B)

जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों सात नागरिकों की हत्या आतंकियों द्वारा की गई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई. पांच अक्टूबर को कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू समेत तीन लोगों की और दो अक्टूबर को दो नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.

आतंकवादियों द्वारा मारी गईं स्कूल की प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के अंतिम संस्कार के दौरान विलाप करते परिजन. (फोटो: पीटीआई)

जम्मू/श्रीनगर: जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर के ईदगाह इलाके में एक सरकारी स्कूल में बृहस्पतिवार (सात अक्टूबर) को आतंकियों के हाथों मारी गईं स्कूल प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद का शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया.

इस दौरान लोगों ने नम आंखों से प्रिंसिपल और शिक्षक को अंतिम विदाई दी. हाल के दिनों में आतंकियों द्वारा आम नागरिकों की हत्याओं की बढ़ती वारदात से गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने जम्मू कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में विरोध-प्रदर्शन किया, जबकि विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि केंद्र शासित प्रदेश में बिगड़ते हालात के लिए केंद्र की गलत नीतियां जिम्मेदार हैं.

श्रीनगर के करण नगर इलाके में एक श्मशान घाट पर परिवार और रिश्तेदारों की मौजूदगी में सुपिंदर कौर का अंतिम संस्कार किया गया.

अलूची बाग इलाके में कौर के आवास पर समुदाय के सैकड़ों सदस्य एकत्रित हुए और उन्होंने एक स्ट्रेचर पर उनके पार्थिव शरीर को रख कर वहां से एक प्रदर्शन मार्च निकाला.

उन्होंने अलूची बाग से जहांगीर चौक तक पैदल प्रदर्शन किया और प्रिंसिपल सुपिंदर कौर तथा उनके सहकर्मी शिक्षक दीपक चंद के लिए न्याय की मांग करते हुए नारे लगाए.

कश्मीरी प्रवासी शिक्षक दीपक चंद का अंतिम संस्कार शुक्रवार को जम्मू के एक श्मशान घाट में किया गया. उस दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं सहित हजारों लोग मौजूद थे.

शक्तिनगर श्मशान घाट में दीपक चंद के अंतिम संस्कार के समय काफी गमगीन माहौल था. उनका पार्थिव शरीर देर रात श्रीनगर से जम्मू के पटोली स्थित उनके घर लाया गया.

इस दौरान चंद की मां कांता देवी और उनकी पत्नी अनुराधा बेसुध थीं. बेटे के गम में डूबीं कांता देवी ने कहा, ‘मैं कुछ नहीं चाहती, मुझे कोई नौकरी नहीं चाहिए, बस मेरे दीपक को वापस लौटा दो.’

जम्मू कश्मीर में बीते छह दिनों में सात नागरिकों की हत्या हुई है, जिनमें से छह श्रीनगर में हुईं. मृतकों में से चार अल्पसंख्यक समुदाय से हैं. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आतंकवादियों ने 2021 में अब तक 28 नागरिकों की हत्या की है. अभी तक 97 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें 71 सुरक्षा बलों पर और 26 नागरिकों पर हुए हैं.

बीते सात अक्टूबर को श्रीनगर में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद की हत्या कर दी गई.

इससे पहले बीते पांच अक्टूबर को आतंकियों ने कश्मीरी पंडित समुदाय के प्रसिद्ध केमिस्ट माखन लाल बिंद्रू, बिहार के निवासी विक्रेता वीरेंद्र पासवान और बांदीपोरा में एक टैक्सी स्टैंड एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहम्मद शफी लोन की हत्या कर दी थी.

श्रीनगर में आतंकवादियों द्वारा मारे गए शिक्षक दीपक चंद की पत्नी. (फोटो: पीटीआई)

इनके अलावा बीते दो अक्टूबर को श्रीनगर में माजिद अहमद गोजरी और बटमालू में मोहम्मद शफी डार की भी हत्या आतंकियों द्वारा कर दी गई थी.

एक कश्मीरी पंडित संगठन ने कहा कि 2010-11 में पुनर्वास पैकेज के दौरान सरकारी नौकरी हासिल करने वाले समुदाय लोग अपनी सुरक्षा को लेकर डरे हुए हैं. आरोप लगाया गया कि प्रशासन इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में नाकाम रहा है.

वहीं, आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि प्रशासन ने अल्पसंख्यक समुदाय के कर्मचारियों को 10 दिन का अवकाश प्रदान किया है.

कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति के अध्यक्ष संजय टिक्कू ने कहा, ‘500 से अधिक लोगों ने बडगाम, अनंतनाग और पुलवामा जैसी जगहों को छोड़कर जाना शुरू कर दिया है. कई ऐसे गैर कश्मीरी पंडित परिवार भी हैं, जो कि चले गए हैं. यह दोबारा 1990 के दौर की वापसी जैसा है. हमने जून में उप-राज्यपाल कार्यालय से समय मांगा था, अब तक समय नहीं दिया गया है.’

नेताओं ने घटना की निंदा की

इस बीच, विपक्षी दलों ने भी हत्याओं को लेकर सरकार पर निशाना साधा है. पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने आतंकवादियों की गोलियों की शिकार स्कूल प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के परिवार से मिलने के बाद शुक्रवार को कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए गलत कदम जम्मू कश्मीर में ‘बिगड़ती’ स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं.

महबूबा ने कौर के अलूचीबाग स्थित आवास के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं और इसके लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व वाली सरकार जिम्मेदार है. सरकार द्वारा पांच अगस्त 2019 (अनुच्छेद 370 को निरस्त करने) के बाद से और उससे पहले उठाए गए गलत कदम कश्मीर में तेजी से बिगड़ते हालात के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं.’

शुक्रवार को उन्होंने आरोप लगाया कि हाल ही में निशाना बनाकर की गईं हत्याओं के मद्देनजर पीडीपी ने एकता मार्च निकालने का प्रयास पुलिस द्वारा रोक दिया. विडंबना यह है कि भारत सरकार यह अफवाह फैलाती है कि कश्मीरी मुसलमान यहां अल्पसंख्यकों के लिए खड़े नहीं होते हैं. सच्चाई यह है कि यह घृणित प्रचार भाजपा के चुनावी आख्यानों और संभावनाओं के अनुकूल है.

महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर कहा, ‘बीते कुछ दिनों तक सुरक्षा में लगे लोग पूरी तरह से सामान्य पिकनिक टूर और दौरे पर आए मंत्रियों के लिए घुड़सवारी के आयोजन में डूबे हुआ थे. शायद इन हमलों को टाला जा सकता था यदि उनका एकमात्र ध्यान इन मंत्रिस्तरीय यात्राओं और स्थिति को सामान्य दिखाने की कलाबाजी पर नहीं होता.’

कश्मीर घाटी में पांच दिनों में आतंकवादियों द्वारा सात नागरिकों की हत्याओं के बीच महबूबा ने मांग की कि है बार-बार हो रही सुरक्षा चूक के लिए जवाबदेही तय की जाए.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘यहां हर कोई दमन और भय के माहौल में जी रहा है. सत्ता में शीर्ष पर बैठे जिम्मेदार लोगों को बार-बार हो रही इन सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.’

पीडीपी प्रमुख ने दावा किया कि यह साबित हो गया है कि सुरक्षा एजेंसियों को इस तरह के हमलों के बारे में पहले से सूचना थी.

महबूबा ने सवाल किया, ‘फिर भी वे इन बेकसूर लोगों के जीवन की रक्षा करने में विफल रहे. क्या ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे अपनी सारी ऊर्जा सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त करने और आम कश्मीरियों के पासपोर्ट जब्त करने में लगा रहे हैं?’

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को कहा कि जम्मू कश्मीर में नागरिकों पर हाल में हुए हमलों का उद्देश्य समुदायों के बीच दरार पैदा करना है और यह बहुसंख्यक समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह हमारे भाइयों को सुरक्षा की भावना दें.

उन्होंने कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों से अपने घरों को छोड़कर 1990 के दशक में जो हुआ, उसे नहीं दोहराने की अपील की.

अब्दुल्ला ने यहां अलूची बाग में प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के आवास पर जाने के बाद संवाददाताओं से बात करते हुए हमलावरों को पकड़ने में विफल रहने के लिए प्रशासन की भी आलोचना की.

तत्कालीन जम्मू कश्मीर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही वह सरकार का हिस्सा नहीं हैं, लेकिन वह ‘पिछले महीने से सुन रहे थे कि यहां अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया जाएगा.’

उन्होंने कहा, ‘मैंने यह बात बहुत जिम्मेदार लोगों से सुनी. जब यह सूचना मेरे पास पहुंची तो क्या यह प्रशासन के जिम्मेदार व्यक्तियों तक नहीं पहुंची? उन्होंने इसके बारे में कुछ क्यों नहीं किया?’

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने जम्मू कश्मीर में पिछले कुछ दिनों के भीतर आतंकवादियों द्वारा सात नागरिकों की हत्या किए जाने की निंदा करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार को इस केंद्रशासित प्रदेश के निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाना चाहिए.

उन्होंने ट्वीट किया, ‘आतंकियों द्वारा हमारे कश्मीरी बहनों-भाइयों पर बढ़ते हमले दर्दनाक और निंदनीय हैं. इस मुश्किल घड़ी में हम सब अपनी कश्मीरी बहनों-भाइयों के साथ हैं.’

विभिन्न संगठनों किया विरोध प्रदर्शन

इस बीच जम्मू कश्मीर में हाल में आतंकवादियों द्वारा आम नागरिकों की हत्या पर कई संगठनों ने शुक्रवार को यहां विरोध प्रदर्शन किया और कहा कि इस तरह की हिंसा अलगाववादियों के बीच हताशा का परिणाम है, क्योंकि इस क्षेत्र में तेजी से विकास और शांति हो रही है.

श्रीनगर में शुक्रवार को आतंकवादियों द्वारा मारी गईं स्कूल प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के अंतिम संस्कार के दौरान नारे लगाते सिख समुदाय के लोग. (फोटो: पीटीआई)

इन हत्याओं के विरोध में जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम (जेकेपीएफ) के बैनर तले आयोजित एक रैली में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया और आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

पाकिस्तान विरोधी नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों ने जम्मू के तवी पुल पर यातायात अवरुद्ध कर दिया और कश्मीर के अंतिम राजा महाराजा हरि सिंह की प्रतिमा के नीचे एकत्र हो गए.

जेकेपीएफ के अलावा, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, शिवसेना और जागरण मंच ने भी घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किया, जबकि कश्मीरी पंडित समुदाय के सदस्यों ने पुरखू, बूटानगर और मुठी में विरोध प्रदर्शन किया.

जेकेपीएफ सदस्य राजीव पंडित ने संवाददाताओं से कहा, ‘हम पिछले कुछ दिनों के दौरान कश्मीर में अल्पसंख्यकों (सिखों और हिंदुओं) की चुनिंदा और योजनाबद्ध तरीके से की गई हत्या पर अपना गुस्सा व्यक्त करने के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. टीआरएफ (द रेजिस्टेंस फ्रंट) के आतंकियों ने चुनिंदा तरीके से अल्पसंख्यक समुदायों के दो शिक्षकों को निशाना बनाया और उन्हें गोली मार दी.’

पंडित ने कहा कि हत्याएं कश्मीर घाटी में तेजी से हो रही शांति और विकास के कारण अलगाववादियों और आतंकवादियों के बीच हताशा का परिणाम हैं.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जम्मू कश्मीर इकाई के उपाध्यक्ष युद्धवीर सेठी ने कहा कि हत्याओं के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित किया जाएगा और उन्हें छोड़ा नहीं जाएगा.

सेठी ने कहा, ‘आतंकवादी कश्मीर में भय और आतंक पैदा करने के लिए ‘सॉफ्ट टारगेट’ और निहत्थे अल्पसंख्यकों पर हमला कर रहे हैं. दबाव के कारण वे (आतंकी) हिंसा का सहारा ले रहे हैं.’

विहिप के केंद्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने एक बयान में कहा, ‘केंद्र सरकार जिहादी आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए पाकिस्तान को करारा सबक सिखाए तथा हिंदुओं के पुनर्वास व घाटी में उनके स्वच्छंद विचरण की पुख्ता व्यवस्था सुनिश्चित करे.’

कश्मीर के पीड़ित परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि विहिप का प्रत्येक कार्यकर्ता व हिंदू समाज पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है और उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘भारत जहरीले सांपों का सिर कुचलना अच्छी तरह जानता है. अब भारत के हाथों से ही खुदेगी इस्लामिक जिहादी आतंकवाद की कब्र.’

जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने भी विरोध मार्च निकाला और हत्याओं की निंदा की. उद्योग संघ के अध्यक्ष अरुण गुप्ता के नेतृत्व में सैकड़ों व्यापारियों, और उद्योगपतियों ने पाकिस्तान विरोधी नारे लगाए और घाटी में अल्पसंख्यकों को तत्काल सुरक्षा दिए जाने की मांग की.

जम्मू कश्मीर नेशनल पैंथर पार्टी (जेकेएनपीपी) के अध्यक्ष हर्ष देव सिंह के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने जम्मू में प्रदर्शन किया और हिंसा तथा इसे रोकने में नाकामी के लिए सरकार की निंदा की.

प्रदर्शनकारियों ने भाजपा विरोधी नारे लगाए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की.

जेकेएनपीपी के नेताओं की पुलिस कर्मियों से भिड़ंत भी हो गई, जिन्होंने राजभवन की ओर मार्च करने से रोकने के लिए बड़े-बड़े बैरिकेड लगा रखे थे.

कश्मीर में खौफ का ऐसा माहौल 1990 के बाद से कभी नहीं देखा: पीएजीडी

गुपकर घोषणा-पत्र गठबंधन (पीएजीडी) ने शुक्रवार को कहा कि कश्मीर में आम निवासियों की हत्या की हालिया घटनाओं ने डर का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है, जो 1990 के दशक की शुरुआत के बाद से कभी नहीं देखा गया था. पीएजीडी ने मौजूदा हालात के लिये सरकारी नीतियों की विफलता को जिम्मेदार ठहराया.

पीएजीडी के प्रवक्ता एमवाई तारिगामी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में मौजूदा स्थिति का जायजा लेने के लिए शुक्रवार को पीएजीडी के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के आवास पर एक बैठक बुलाई गई.

बैठक में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, माकपा नेता मोहम्मद यूसुफ तारिगामी और नेशनल कांफ्रेंस के नेता जस्टिस (सेवानिवृत्त) हसनैन मसूदी ने शिरकत की.

प्रवक्ता ने कहा कि पीएजीडी ने घाटी में हाल में हुई निर्दोष लोगों की हत्या की निंदा की.

उन्होंने कहा, ‘इन हत्याओं ने कश्मीर में डर का ऐसा माहौल पैदा कर दिया है, जो 90 के दशक की शुरुआत के बाद से कभी नहीं देखा गया था. जम्मू कश्मीर में मौजूदा स्थिति सरकार की नीतियों की विफलता का परिणाम है, जिन्होंने जम्मू कश्मीर को इस मुकाम तक पहुंचा दिया है.’

तारिगामी ने कहा कि चाहे नोटबंदी हो या अनुच्छेद 370 को हटाना, इन फैसलों को कश्मीर में आतंकवाद और अलगाव की समस्याओं के समाधान के रूप में देश के सामने पेश किया गया.

उन्होंने कहा, ‘आज, यह बात साफ हो गई है कि न तो विमुद्रीकरण और न ही अनुच्छेद 370 को हटाने से जम्मू कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में सुधार हुआ. वास्तव में, जम्मू कश्मीर प्रशासन के कुछ हालिया फैसलों ने केवल उन समुदायों के बीच मतभेदों को बढ़ाने का काम किया है जो एक-दूसरे के साथ शांति से रह रहे थे.’

पीएजीडी के प्रवक्ता ने कहा कि एक अनुकूल सुरक्षा माहौल बनाना भारत सरकार की जिम्मेदारी है तो वहीं जम्मू कश्मीर के जिम्मेदार राजनीतिक दलों के रूप में हम संदेह और भय के स्तर को कम करने में अपनी भूमिका निभाएंगे.

उन्होंने कहा, ‘यह सच है कि कश्मीर में मरने वाले अधिकांश लोग मुसलमान थे, लेकिन ऐसा कहकर हम अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित लोगों को सुरक्षित महसूस कराने की अपनी जिम्मेदारी से नहीं भाग सकते. हम घाटी छोड़ने की सोच रहे लोगों से उनके फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हैं.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)