जम्मू कश्मीर के रामबन ज़िले में बनिहाल, रामसू और उखराल ब्लॉकों के पंचायत सदस्यों ने इस्तीफ़ा दिया है. अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों ने वादों के अनुसार सशक्तिरण नहीं करने, अनावश्यक हस्तक्षेप और केंद्रशासित प्रदेश में जनता तक पहुंचने के कार्यक्रमों में प्रशासन द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए पद त्याग दिया है.
बनिहाल/जम्मू: जम्मू कश्मीर के रामबन जिले के तीन ब्लॉकों के करीब 70 सरपंचों और पंचों ने विभिन्न मुद्दों को लेकर सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. अधिकारियों ने बीते शनिवार को यह जानकारी दी.
अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों ने वादों के अनुसार सशक्तिरण नहीं करने, अनावश्यक हस्तक्षेप और केंद्रशासित प्रदेश में जनता तक पहुंचने के कार्यक्रमों में प्रशासन द्वारा उनकी अनदेखी किए जाने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है.
ग्रामीण निकाय में प्रतिनिधियों के इस्तीफे के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भाजपा सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘काल्पनिक सामान्य हालात और जो आंडबर दिखाया जा रहा था, उसकी पोल खुल गई है.’
अधिकारियों ने बताया कि जिला पंचायत अधिकारी अशोक सिंह ने विरोध कर रहे सदस्यों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की है और उनसे इस्तीफा वापस लेने का अनुरोध किया है और आश्वासन दिया है कि उनकी शिकायतों का यथाशीघ्र निस्तारण किया जाएगा.
सिंह और इस्तीफा देने वाले प्रतिनिधियों की सोमवार को दूसरे चरण की बैठक प्रस्तावित है.
अधिकारियों ने बताया कि बनिहाल और रामसू ब्लॉक के करीब 50 सरपंचों और पंचों ने बीते शुक्रवार को आपात बैठक के बाद सामूहिक रूप से ब्लॉक विकास परिषद के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंप दिया. इसी तरह उखराल ब्लॉक के एक दर्जन से अधिक सरपंचों और पंचों ने इस्तीफा दिया है.
सरपंच गुलाम रसूल मट्टू, तनवीर अहमद कटोच और मोहम्मद रफीक खान ने आरोप लगाया कि सरकार द्वारा उनसे किए गए वादें अब भी कागजों तक सीमित हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी अनदेखी की जा रही है और विकास कार्यों में बेवजह हस्तक्षेप किया जा रहा है, जबकि 30 सरकारी विभागों के कार्यों में ग्रामसभा की हिस्सेदारी का वादा ‘क्रूर मजाक’ साबित हो रहा है.
The governments claim of taking democracy to grass roots stands exposed by this mass resignation. Panch and Sarpanches were ignored during the recent Union minsters visit & the administration continues to treat them as decorative pieces.
— Mohit Bhan موہت بھان (@buttkout) October 8, 2021
जनसंपर्क अभियान के तहत हाल में केंद्रीय मंत्रियों के दौरों का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन उनके प्रोटोकॉल का सम्मान नहीं कर रहा है और केवल चुनिंदा प्रतिनिधियों को ही मंत्रियों से मुलाकात के लिए आमंत्रित किया जा रहा है, ताकि सरकार को भ्रमित किया जा सके.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, केंद्र की योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने के लिए ग्रामीण विकास राज्य मंत्री निरंजन ज्योति ने रामसू ब्लॉक के क्रावा पंचायत का दौरा किया था, लेकिन इस कार्यक्रम में किसी स्थानीय या पड़ोसी गांव के सरपंच को आमंत्रित नहीं किया गया था.
सरपंच तनवीर अहमद कटोच ने कहा, ‘12 में से सिर्फ एक सरपंच को बनिहाल में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री से मिलने की इजाजत दी गई थी.’
सरपंचों ने प्रशासन पर अनुचित हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए यह भी मांग की कि तीन लाख रुपये तक के विकास कार्य पंचायतों के माध्यम से ही किए जाएं.
पंचों और सरपंचों के दो पन्नों का इस्तीफा ट्विटर पर साझा करते हुए पीडीपी के प्रवक्ता मोहित भान ने लिखा, ‘55 पंचों और सरपंचों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है. काल्पनिक सामान्य हालत और आडंबर, जिसका प्रदर्शन किया जा रहा था, उसकी पोल खुल गई है. सरकार न तो इन जनप्रतिनिधियों को सुरक्षित रख सकी और न ही उन्हें जनकल्याण के लिए सशक्त कर सकी.’
उन्होंने कहा, ‘सरकार का जमीनी स्तर तक लोकतंत्र ले जाने के दावे की पोल इन सामूहिक इस्तीफों से खुल गई है. पंचों और सरपंचों की केंद्रीय मंत्रियों के हालिया दौरों के दौरान अनदेखी की गई और प्रशासन उनके साथ सजावट की वस्तुत की तरह व्यवहार करना जारी रखे हुए है.’
जिला पंचायत अधिकारी (डीपीओ) अशोक सिंह ने दावा किया कि उन्होंने इस्तीफा वापस लेने के लिए सरपंचों और पंचों को मना लिया है, लेकिन रामसू बीडीसी अध्यक्ष ने कहा कि सोमवार को और पंचायत सदस्यों के इस्तीफा देने की संभावना है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)