जम्मू कश्मीरः प्रवासी कर्मचारियों को मिला फ़रमान, काम पर लौटें वरना होगी कार्रवाई

नागरिकों की हत्याओं के कई मामलों के बाद कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने सभी दस ज़िलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किसी भी प्रवासी कर्मचारी को घाटी छोड़ने की ज़रूरत नहीं है और जो भी घाटी छोड़ेगा, उसके ख़िलाफ़ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.

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(फोटो: रॉयटर्स)

नागरिकों की हत्याओं के कई मामलों के बाद कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने सभी दस ज़िलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि किसी भी प्रवासी कर्मचारी को घाटी छोड़ने की ज़रूरत नहीं है और जो भी घाटी छोड़ेगा, उसके ख़िलाफ़ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.

(फोटो: रॉयटर्स)

नई दिल्लीः कश्मीर के संभागीय आयुक्त ने शनिवार को कश्मीर के सभी 10 जिलों के उपायुक्तों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कोई भी प्रवासी कर्मचारी घाटी छोड़कर नहीं जाए. ऐसा करने पर उसके खिलाफ सेवा नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ उपायुक्तों ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘वे किसी तरह की कार्रवाई करने से पहले सरकारी आदेश का इंतजार करेंगे.’

पिछले हफ्ते आतंकियों द्वारा एक सिख स्कूल प्रिंसिपल और कश्मीरी हिंदू शिक्षक की मौत के बाद घाटी छोड़ चुके कर्मचारी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उनका कहना है कि प्रशासन असंवेदनशील हो रहा था.

हालांकि, जम्मू वापसी करने वाले लोग अभी भी घाटी में काम पर लौटने को लेकर सतर्क हैं, वहीं कुछ ने फिलहाल यहां नहीं आने का फैसला किया है.

रिपोर्ट के अनुसार, साल 2015 में श्रीनगर लौटे सिद्धार्थ रैना (बदला हुआ नाम) प्रधानमंत्री के पैकेज के तहत जम्मू एवं कश्मीर शिक्षा विभाग में काम करते हैं और बीते हफ्ते ही जम्मू लौटे हैं.

उनका कहना है कि उनमें से अधिकतर शिक्षक हैं और छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज दे रहे हैं.

ऐसे ही एक कर्मचारी का कहना है, ‘कर्मचारी अपनी जान को खतरा में डालकर जम्मू वापस आए हैं. उनके डर को दूर करने, उन्हें सुरक्षा का आश्वासन देने और आवश्यक इंतजाम करने के बजाय प्रशासन उन्हें सेवा नियमों के अनुरूप कार्रवाई करने की धमकी दे रहा है.’

प्रधानमंत्री पैकेज के तहत रोजगार पाने वाले एक अन्य अल्पसंख्यक सदस्य ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘बेशक यह आदेश अच्छी मंशा से जारी किया गया है लेकिन कई कर्मचारी दक्षिण कश्मीर में अपने-अपने किराए के मकान में रह रहे हैं. यह अब स्पष्ट नहीं है कि उन्हें सुरक्षा कैसी दी जाएगी.’

कश्मीर के संभागीय आयुक्त पांडुरंग पोल द्वारा शनिवार को बुलाई गई बैठक में घाटी के जिलों के डीसी और एसपी के साथ कई मुद्दों पर चर्चा की गई.

इस दौरान सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा की गई और जिन लोगों को सुरक्षा दी गई है, उनके लिए सरकारी आवास की पहचान की गई.

कश्मीर के संभागीय आयुक्त के अध्यक्ष ने निर्देश दिया कि सभी उपायुक्त और एसएसपी दो-तीन दिनों के भीतर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नेताओं से बैठक करेंगे ताकि सुरक्षा, आवास आदि को लेकर उनकी आशंकाओं का समाधान किया जा सके और उनकी वास्तविक मांगों पर विचार किया जा सके.

संभागीय आयुक्त ने जिलों में गैर प्रवासी अल्पसंख्यक आबादी, मजदूरों, कुशल मजदूरों आदि की पहचान और उनसे नियमित बातचीत के साथ उनके लिए पर्याप्त सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल प्रवासी मजदूरों को दूर-दराज और संवेदनशील इलाकों में तैनात करने के बजाय सुरक्षित क्षेत्रों में तैनात किया जाए.