इस कार्यक्रम में समाजशास्त्री सतीश देशपांडे, अभिनेता माया राव, गायक सोनम कालरा और महिला अधिकार कार्यकर्ता आभा भैया को आमंत्रित किया गया था.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, आईआईटी मद्रास और जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी में विवादास्पद वक्ताओं को आमंत्रित करने पर कार्यक्रम रद्द करने के बाद अब इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने सोमवार को भारत के संविधान का जश्न मनाने वाले कार्यक्रम के लिए दी गई अनुमति को वापस ले लिया है.
थियेटर, कविता और गीतों पर चर्चा करने और संविधान के विचार का जश्न मनाने वाले दिन भर के कार्यक्रम ‘लिबर्टी महोत्सव’ को पहले 13 सितंबर को उप-कुलपति (वीसी) द्वारा सीनेट हॉल में आयोजित होने की अनुमति दी गई थी. इसमें कुलपति भी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होने वाले थे. हालांकि, अनुमति को तीन दिनों के बाद वापस ले लिया गया.
इस कार्यक्रम में समाजशास्त्री सतीश देशपांडे, अभिनेता माया राव, गायक सोनम कालरा और महिला अधिकार कार्यकर्ता आभा भैया को आमंत्रित किया गया था.
ज्वॉइंट एक्शन कमेटी के मनीष शर्मा ने कुलपति को लिखे एक खुले पत्र में कहा है कि वो सीनेट हॉल के सामने लॉन में कार्यक्रम को आयोजित करेंगे. उन्होंने पत्र में यह भी लिखा है कि उन्हें पता है कि उन पर हमला किया जाएगा और कार्यक्रम को स्थगित करने का प्रयास भी किया जाएगा.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उसकी छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस कार्यक्रम के बारे में कथित तौर पर अफवाहें फैलाने का अभियान शुरू किया था. विद्यार्थियों ने आरोप लगाया है कि आमंत्रित वक्ताओं को लेकर पर्चे बांटे जा हैं, जिसमें उन्हें राज्य विरोधी और राष्ट्र-विरोधी बताकर बदनाम किया जा रहा है.
मनीष शर्मा ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी को जेएनयू बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
पत्र के अनुसार, कुलपति ने कहा, ‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय से बहुत दबाव के चलते अनुमति वापस ली जा रही है.’ जब पूछा गया कि क्यों पहले अनुमति दी गई, तो वीसी ने कहा कि अनुमति इलाहाबाद में कहीं भी आयोजित करने के लिए दी गई थी.
पत्र में आगे लिखा गया है, ‘सभी तैयारी हो चुकी हैं. थियेटर, कविता और गीतों के साथ संविधान का जश्न मनाने के लिए मेहमान और कलाकार देश के अलग-अलग हिस्सों से कार्यक्रम में शामिल होने आने वाले हैं. सभी वक्ता और मेहमानों को सोच समझकर आमंत्रित किया गया है और वे अपने क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ हैं. यूनिवर्सिटी के छात्र और शिक्षकों लिए यह एक दुर्लभ अवसर माना जाएगा, जहां ऐसे महान हस्तियों के साथ चर्चा करने का मौका मिलेगा.
पत्र में यह भी कहा गया, ‘हम जानते है कि संस्थान की स्वतंत्रता खत्म हो चुकी है और यहां तक कि स्वतंत्र विचारों के लिए भी अब कोई स्थान नहीं बचा. विश्वविद्यालय के नेताओं को हर तरह से तंग किया जाता है. संस्थान के सामाजिक सोच और विचार पर प्रहार हो रहा है. यह भी एक संकेत है कि कुछ समय बाद हमसे हमारी निजी सोच, विचार और स्वतंत्रता को भी छीन लिया जाएगा.’
छात्र संगठन ने कहा कि अनुमति वापस लिए जाने पर कुलपति को दोषी नहीं ठहरा रहे. बल्कि उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कुलपति से अनुरोध किया है.
गौरतलब है कि हाल ही में आईआईटी मद्रास में फिल्मकार और सामाजिक कार्यकर्ता के. स्टालिन, दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर नंदिनी सुंदर और सामाजिक उद्यमी अधीक कदम के लेक्चर को दी गई अनुमति भी वापस ले ली गई थी.
दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों ने भी आरोप लगाया था कि यूनिवर्सिटी ने उन्हें ‘विश्वविद्यालयों में घटता लोकतंत्र’ नामक एक कार्यक्रम को लेकर अनुमति नहीं दी गई थी.