प्रसार भारती के पुरानी सामग्री के मौद्रिकरण के ख़िलाफ़ माकपा सांसद, कहा- सही क़दम नहीं

प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के अभिलेखागार में संग्रहीत पुरानी रिकार्डेड सामग्री को विभिन्न मंचों को बेचने का निर्णय लिया है, जिसका विरोध करते हुए तमिलनाडु के मदुरै से माकपा सांसद एस. वेंकटेशन ने कहा है कि इस तरह प्रसार भारती के ऐतिहासिक ख़जाने की मार्केंटिंग नहीं होनी चाहिए. प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर का कहना है कि इस पॉलिसी को ग़लत समझा जा रहा है.

/

प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के अभिलेखागार में संग्रहीत पुरानी रिकार्डेड सामग्री को विभिन्न मंचों को बेचने का निर्णय लिया है, जिसका विरोध करते हुए तमिलनाडु के मदुरै से माकपा सांसद एस. वेंकटेशन ने कहा है कि इस तरह प्रसार भारती के ऐतिहासिक ख़जाने की मार्केंटिंग नहीं होनी चाहिए. प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर का कहना है कि इस पॉलिसी को ग़लत समझा जा रहा है.

नई दिल्ली: प्रसार भारती ने आकाशवाणी और दूरदर्शन के अभिलेखागार में संग्रहीत पुरानी रिकॉर्ड की हुई सामग्री (आर्काइवल कंटेंट) को मोनेटाइज करने यानी कि इसे व्यवसायिक तरीके से सैटेलाइट टीवी चैनलों और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को बेचने का फैसला किया है.

हालांकि संसद के एक सदस्य ने इस कदम का विरोध किया है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक बीते सोमवार को तमिलानाडु के मदुरै के सांसद व माकपा नेता एस. वेंकटेशन ने सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को पत्र लिखकर आपत्ति जताई और इसे तत्काल वापस लेने की मांग की है.

प्रसार भारती के इन फुटेज या कंटेट में ऐतिहासिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण कई सामग्री जैसे संविधान सभा की बहसें, आजादी आंदोलन के अविस्मरणीय पल जैसी कई चीजें हैं.

सांसद ने कहा कि यह बेहद घृणित है कि अब मौद्रिकरण इस हद तक चला गया है कि ऐतिहासिक खजाने की मार्केंटिंग हो रही है. इसका देश की राजनीति के साथ-साथ शांति और अमन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.

माकपा नेता ने कहा, ‘राजनीतिक लाभ के लिए इतिहास को फिर से लिखने के प्रयास पहले से ही किए जा रहे हैं. इसलिए अभिलेखीय सामग्री तक पहुंच प्रदान करके कॉरपोरेट मीडिया की भागीदारी एक विवेकपूर्ण कदम नहीं है.’

हालांकि प्रसार भारती के सीईओ शशि शेखर ने कहा कि ऐसा कोई फैसला नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इस नीति को गलत समझा गया है.

इसे लेकर शेखर ने संबंधित सिंडिकेशन पॉलिसी डॉक्यूमेंट का उल्लेख किया. इसमें कहा गया है, ‘टीवी चैनलों के साथ-साथ ओटीटी पर नए चैनल लगातार अच्छी बिक्री योग्य सामग्री की तलाश में हैं. इसने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रसारण के साथ-साथ स्ट्रीमिंग के उद्देश्य से भारत और विदेशों में प्रसार भारती की सामग्री की मांग पैदा कर दी है. इस सामग्री के मुद्रीकरण की एक उज्ज्वल संभावना है, जिसके लिए एक उचित और अच्छी तरह से परिभाषित सामग्री सिंडिकेशन नीति की आवश्यकता होती है.’

बीते आठ अक्टूबर को जारी अपने इस नोटिफिकेशन में प्रसार भारती ने कहा था कि ई-नीलामी के जरिये पारदर्शी तरीके से भारतीय व अंतरराष्ट्रीय चैनल, फिल्म मेकर्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म को सामग्री उपलब्ध कराने का फैसला हुआ है, ताकि प्रसार भारती के इस खजाने का इस्तेमाल हो सके.

इसने कहा कि लोक सेवा प्रसारक के रूप में प्रसार भारती ने भारतीय संस्कृति, इतिहास और मूल्यों के संरक्षण और प्रचार के लिए आधुनिक समय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. शुरुआत से ही सामग्री निर्माण में यह प्रमुख कारक रहा है.

दस्तावेज में यह भी कहा गया है, ‘प्रसार भारती ने अभिलेखागार में अपने केंद्रीकृत भंडार के साथ-साथ देश के सभी कोनों में स्थित कई स्टेशनों, केंद्रों में समृद्ध और विरासत सामग्री जमा की है. आकाशवाणी और दूरदर्शन के समाचार प्रभाग के पास भी भारत के विकास के कई महत्वपूर्ण मील के पत्थर की शानदार रिकॉर्डिंग है.’