कांग्रेस नेता और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने अमरिंदर सिंह के एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और भाजपा से साथ सीट बंटवारे को लेकर तैयार होने की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि अगर कैप्टन भाजपा के साथ जाना चाहते हैं तो ऐसा कर सकते हैं. उन्हें ‘सर्वधर्म सम्भाव’ का प्रतीक माना जाता था. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने अंदर के ‘धर्मनिरपेक्ष अमरिंदर’ को मार दिया है.
चंडीगढ़/नई दिल्ली:कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने बीते मंगलवार को कहा कि वह जल्द ही अपने राजनीतिक दल के गठन की घोषणा करेंगे और अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के पक्ष में होता है तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ सीटों को लेकर समझौता होने की उम्मीद है.
कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के साथ मतभेद और प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह के बाद अमरिंदर ने मुख्यमंत्री पद से बीते 18 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था. पार्टी ने उनके स्थान पर चरणजीत सिंह चन्नी को नया मुख्यमंत्री बनाया है.
इसी बीच सिद्धू ने बीते 28 सितंबर को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.
सिंह ने मंगलवार को कहा, ‘पंजाब के भविष्य को लेकर लड़ाई जारी है. मैं जल्द ही अपनी राजनीतिक पार्टी के गठन की घोषणा करूंगा, ताकि पंजाब और उसके लोगों, साथ ही पिछले एक साल से अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे किसानों के हितों के लिए काम किया जा सके.’
‘The battle for Punjab’s future is on. Will soon announce the launch of my own political party to serve the interests of Punjab & its people, including our farmers who’ve been fighting for their survival for over a year’: @capt_amarinder 1/3 pic.twitter.com/7ExAX9KkNG
— Raveen Thukral (@Raveen64) October 19, 2021
उन्होंने यह भी कहा, ‘मैं अपने लोगों और अपने राज्य का भविष्य सुरक्षित बनाने तक चैन की सांस नहीं लूंगा.’
अमरिंदर के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने एक ट्वीट में उनके हवाले से कहा, ‘पंजाब को राजनीतिक स्थिरता और आंतरिक तथा बाहरी खतरों से सुरक्षा की जरूरत है. मैं अपने लोगों से वादा करता हूं कि शांति और सुरक्षा के लिए जो भी करना होगा, मैं करूंगा, क्योंकि फिलहाल दोनों खतरे में हैं.’
‘I will not rest till I can secure the future of my people and my state. Punjab needs political stability and protection from internal & external threats. I promise my people I will do what it takes to ensure its peace and security, which is today at stake’: @capt_amarinder 3/3 https://t.co/HB4xYwYcKM
— Raveen Thukral (@Raveen64) October 19, 2021
सिंह ने कहा, ‘अगर किसान आंदोलन का समाधान किसानों के हित में होता है तो 2022 के पंजाब विधानसभा में भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे को लेकर आशांवित हूं. इसके अलावा समान विचार रखने वाली पार्टियों के साथ समझौते के बारे में भी विचार किया जा रहा है. जैसे अकाली दल से टूट कर अलग हुए समूह, खासतौर से सुखदेव सिंह ढींढसा और रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा गुट.’
ढींडसा ने शिरोमणि अकाली दल (लोकतांत्रिक) का गठन किया था, जबकि ब्रह्मपुरा ने शिरोमणि अकाली दल (टकसाली) का गठन किया. बाद में दोनों नेताओं ने शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) का गठन किया.
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद सिंह ने कहा था कि वह खुद को ‘अपमानित’ महसूस कर रहे हैं. बाद में उन्होंने कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ‘अनुभवहीन’ भी कहा था.
सिंह ने प्रदेश कांग्रेस प्रमुख सिद्धू को ‘राष्ट्र विरोधी’ और ‘खतरनाक’ करार दिया था और कहा था कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में सिद्धू के खिलाफ एक मजबूत उम्मीदवार खड़ा करेंगे.
सिंह ने पिछले महीने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के साथ संकट को तत्काल हल करने का आग्रह करते हुए उनसे लंबे समय से जारी किसान आंदोलन पर चर्चा की थी.
शाह के साथ मुलाकात से सिंह के भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई थीं. बाद में उन्होंने भाजपा में शामिल होने की अटकलों को खारिज कर दिया, लेकिन यह भी कहा कि वह कांग्रेस छोड़ देंगे.
उन्होंने जोर देकर कहा था कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की जा रही है. 79 वर्षीय नेता ने कहा था, ‘मैं भाजपा में शामिल नहीं होऊंगा, (लेकिन) मैं कांग्रेस पार्टी में नहीं रहूंगा.’
पिछले साल सितंबर में तीन नए कृषि कानून लागू होने के बाद 26 नवंबर से ही दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने अमरिंदर सिंह के एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और भाजपा से साथ सीट बंटवारे को लेकर तैयार होने की बात पर प्रतिक्रिया देते हुए बुधवार को कहा कि अगर कैप्टन भाजपा के साथ जाना चाहते हैं, वह ऐसा कर सकते हैं.
रावत ने कहा, ‘अगर वह (अमरिंदर सिंह) धर्मनिरपेक्षता के लिए अपनी पुरानी प्रतिबद्धता के साथ नहीं रह सकते हैं तो उन्हें कौन रोक सकता है. उन्हें ‘सर्वधर्म सम्भाव’ का प्रतीक माना जाता था और वह लंबे समय तक कांग्रेस की परंपराओं से जुड़े थे. अगर वह जाना चाहते हैं तो उन्हें जाना चाहिए.’
उन्होंने कहा, ‘भाजपा को कौन माफ कर सकता है, जिसने किसानों को 10 महीने तक (दिल्ली की) सीमा पर रखा है. क्या पंजाब उन्हें माफ कर सकता है जिस तरह से किसानों के आंदोलन से निपटा गया है? उनका (अमरिंदर सिंह) बयान वाकई चौंकाने वाला है. ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने अंदर के ‘धर्मनिरपेक्ष अमरिंदर’ को मार दिया है.’
पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर एस. रंधावा ने कहा, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जिस भाजपा की हमेशा निंदा की उसके साथ सीट व्यवस्था की घोषणा करके खुद को नष्ट कर दिया है. भाजपा को साल 1984 में इस्तीफे के बाद अमरिंदर सिंह के ठिकाने और पाकिस्तान के साथ उनके साथ की जांच करनी चाहिए.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)