विपक्षी दलों ने पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से कुछ भारतीय नागरिकों की जासूसी और सर्विलांस के प्रयास के आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा समिति गठित करने के निर्णय की सराहना करते हुए कहा कि जांच से केंद्र सरकार की ओर से किया गया क़ानूनों के उल्लंघन का सच सामने आ जाएगा. वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने इस आदेश को ‘अंधेरे में रोशनी की किरण’ बताया.
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा पेगासस स्पायवेयर के माध्यम से भारतीय नागरिकों की जासूसी और सर्विलांस के प्रयास के आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित करने के फैसले को विपक्ष और कानूनी जानकारों ने हाथोंहाथ लिया है.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट के समिति बनाने संबंधी फैसले के बाद केंद्र सरकार पर देश के लोकतंत्र को कुचलने और राजनीति पर नियंत्रण करने के प्रयास का आरोप लगाते हुए कहा कि संसद के आगामी सत्र में इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए.
उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की ओर से जांच के फैसले को ‘अच्छा कदम’ करार दिया और कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकरण में विपक्ष के रुख का समर्थन किया है.
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि इन दोनों नेताओं के अलावा पेगासस के उपयोग की अनुमति कोई नहीं दे सकता तथा ऐसा करना एक ‘आपराधिक कृत्य’ है.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने इज़रायली स्पायवेयर ‘पेगासस’ के जरिये भारत में कुछ लोगों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए बुधवार को विशेषज्ञों की तीन सदस्यीय समिति का गठन किया.
शीर्ष अदालत ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को निजता के उल्लघंन से सुरक्षा प्रदान करना जरूरी है और ‘सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा’ की दुहाई देने मात्र से न्यायालय ‘मूक दर्शक’ बना नहीं रह सकता.
कोर्ट ने कहा कि उसका प्रयास ‘राजनीतिक बयानबाजी’ में शामिल हुए बिना संवैधानिक आकांक्षाओं और कानून के शासन को बनाए रखना है, लेकिन उसने साथ ही कहा कि इस मामले में दायर याचिकाएं ‘ऑरवेलियन चिंता’ पैदा करती हैं.
उल्लेखनीय है कि ये याचिकाएं इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के स्पायवेयर ‘पेगासस’ के जरिये सरकारी एजेंसियों द्वारा नागरिकों, राजनेताओं और पत्रकारों की कथित तौर पर जासूसी कराए जाने की खबरों की स्वतंत्र जांच के अनुरोध से जुड़ी हैं.
केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस मामले पर विस्तृत हलफनामा दाखिल करने से इनकार कर दिया था.
मालूम हो कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, जिसमें द वायर भी शामिल था, ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे.
इस कड़ी में 18 जुलाई से द वायर सहित विश्व के 17 मीडिया संगठनों ने 50,000 से ज्यादा लीक हुए मोबाइल नंबरों के डेटाबेस की जानकारियां प्रकाशित करनी शुरू की थी, जिनकी पेगासस स्पायवेयर के जरिये निगरानी की जा रही थी या वे संभावित सर्विलांस के दायरे में थे.
एनएसओ ग्रुप यह मिलिट्री ग्रेड स्पायवेयर सिर्फ सरकारों को ही बेचता है. भारत सरकार ने पेगासस की खरीद को लेकर न तो इनकार किया है और न ही स्वीकार किया है.
इस खुलासे के बाद भारत सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं करने के चलते एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, वरिष्ठ पत्रकार एन. राम, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी एवं गैर सरकारी संगठन कॉमन काज ने याचिका दायर कर मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की थी.
अन्य याचिकाकर्ताओं में पत्रकार शशि कुमार, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पेगासस स्पायवेयर के पुष्ट पीड़ित पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता और एसएनएम अब्दी और स्पायवेयर के संभावित लक्ष्य पत्रकार प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी शामिल हैं.
बुधवार को अदालत के फैसले के बाद राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ‘संसद के पिछले सत्र के दौरान हमने यह मुद्दा उठाया था क्योंकि हमें लगा कि यह हमारे संविधान और लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला है. अब न्यायालय ने जांच का फैसला किया है…यह एक अच्छा कदम है. हम जो कह रहे थे, उच्चतम न्यायालय ने बुनियादी तौर पर उसका समर्थन किया है. हमारे तीन सवाल थे. पहला यह कि पेगासस को किसने खरीदा तथा इसे किसने अधिकृत किया? दूसरा यह है कि किनके खिलाफ इस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया गया? तीसरा यह कि क्या किसी अन्य देश ने हमारे लोगों के बारे में सूचना हासिल की, उनका डेटा लिया?’
राहुल गांधी ने कहा, ‘इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिला. इसके बाद हमने संसद की कार्यवाही बाधित की. हमने संसद की कार्यवाही को इसलिए रोका क्योंकि यह हमारे देश और हमारे जीवंत लोकतंत्र को कुचलने एवं नष्ट करने का प्रयास है.’
उन्होंने यह आरोप भी लगाया, ‘यह भारत के विचार (आइडिया ऑफ इंडिया) पर हमला है. यह देश की राजनीति पर नियंत्रण करने का एक तरीका है, लोगों को नियंत्रित करने, ब्लैकमेल करने, लोकतांत्रिक प्रक्रिया को नहीं चलने देने का एक तरीका है. हम बहुत खुश हैं कि उच्चतम न्यायालय ने इसकी जांच करने की बात स्वीकार की.’
एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा, ‘हम इस मामले को फिर से संसद में उठाएंगे और इस पर चर्चा कराने का प्रयास करेंगे. पता है कि भाजपा चर्चा नहीं चाहेगी. लेकिन हम इस पर चर्चा चाहेंगे. हम चाहेंगे कि संसद में इस पर चर्चा अवश्य हो.’
राहुल गांधी ने यह आरोप भी लगाया, ‘प्रधानमंत्री या गृह मंत्री ने कुछ न कुछ गैर कानूनी काम किया है क्योंकि उन्हें तो पूरी स्पष्टता के साथ जवाब देना चाहिए था कि हां, हमने यह किया या नहीं किया तथा अगर किया, तो इसलिए किया. अगर वो जवाब नहीं दे पा रहे हैं, तो इसका कारण यह है कि कुछ ना कुछ छुपाया जा रहा है.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी इस मामले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस जांच से सरकार की ओर से कानून का किए गए उल्लंघन का सच सामने आएगा.
उन्होंने ट्वीट कर यह दावा भी किया कि शीर्ष अदालत ने सच छिपाने की सरकार की कोशिशों को बेनकाब कर दिया है.
The second basis of the order is that Pegasus was used against Indian citizens.
I am certain that the Inquiry ordered by the SC will bring out the multiple violations of law by the government.
All freedom-loving people must welcome the order of the SC.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) October 27, 2021
पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा, ‘संसद के मानसून सत्र में भाजपा सरकार अपने अड़ियल और अभिमानी रुख के कारण पेगासस कांड पर चर्चा से इनकार करती रही, जिससे पूरा सत्र बेकार हो गया. पेगासस पर न्यायालय के आदेश के बाद हुई सरकार की बेइज़्ज़ती पर सरकार को ईमानदारी से विचार करना चाहिए.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उम्मीद है कि सरकार शीतकालीन सत्र को उपयोगी बनाएगी और सीमा सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, काले कृषि कानून और नागरिकों के मौलिक अधिकारों सहित राष्ट्रीय विषयों और चिंताओं पर सकारात्मक चर्चा होगी.’
उधर, माकपा ने भी विशेषज्ञों का पैनल बनाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत का यह कथन उसके रुख की पुष्टि करता है कि सरकार बस राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देकर नहीं बचकर निकल सकती.
उसने एक बयान में कहा, ‘सरकार उच्चतम न्यायालय को इस बात का जवाब नहीं दे पायी कि क्या किसी एजेंसी ने पेगासस स्पायवेयर का इस्तेमाल किया था या नहीं. टालमटोल वाला रवैया अपने आप ही इस मामले में उसकी संलिप्तता की स्वीकारोक्ति है.’
भाकपा ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. तृणमूल कांग्रेस ने शीर्ष अदालत के फैसले की सराहना करते हुए कहा कि सरकार कानून से ऊपर नही है.
तृणमूल कांग्रेस के एक नेता फरहाद हकीम ने कहा कि मोदी सरकार को अब जासूसी प्रकरण पर देश के लोगों के सामने स्पष्टीकरण देना चाहिए.
उल्लेखनीय है कि पेगासस मुद्दे पर विपक्ष ने पिछले मानसून सत्र में कई बार चर्चा की मांग की थी और इसके चलते हुए हंगामे के चलते पूरे सत्र में सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से नहीं हो सकी थी.
कानूनी विशेषज्ञों ने न्यायालय के आदेश को ऐतिहासिक बताया
कानूनी विशेषज्ञों ने पेगासस के कथित इस्तेमाल की जांच के लिए साइबर विशेषज्ञों की समिति गठित करने के उच्चतम न्यायालय के फैसले की सराहना की.
वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे, राकेश द्विवेदी, गीता लूथरा ने एक स्वर में शीर्ष अदालत के आदेश का स्वागत किया.
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के पूर्व अध्यक्ष दवे ने फैसले को ऐतिहासिक क्षण बताया और कहा कि आदेश सरकार को यह चेतावनी देने के संदर्भ में लंबा सफर तय करेगा कि वह राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में नागरिकों की जासूसी नहीं कर सकती.
Dushyant Dave has called the Supreme Court’s Pegasus order "sunshine in these dark days”.
He said, “The Supreme Court has clearly and categorically stood with the citizens of India,” adding that, “It has told the government enough is enough”.https://t.co/90OqlccUOm
— The Wire (@thewire_in) October 28, 2021
दवे ने इस आदेश को अंधेरे में रोशनी की किरण बताते हुए कहा, ‘फैसला सचमुच में ऐतिहासिक है और यह भारत के उच्चतम न्यायालय के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण है क्योंकि शीर्ष अदालत न सिर्फ गैरकानूनी व असंवैधानिक जासूसी की शिकायत करने वाले नागरिकों के साथ खड़ी रही , बल्कि उसने आरोपों की व्यापक जांच का भी आदेश दिया है.’
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने निजता के अधिकार का संरक्षण किया और यह सुनिश्चित किया कि देश में कानून का शासन कायम रहे तथा संवैधानिक मूल्यों का सरकार तथा निजी एजेंसियों द्वारा सम्मान किया जाए.
उन्होंने कहा कि न्यायालय ने सरकार की तथा कथित राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी दलील को स्वीकार नहीं कर बहुत अच्छा किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बना कर न्यायालय को समिति गठित करने से दूर रखने की कोशिश की.
संवैधानिक कानून विशेषज्ञ राकेश द्विवेदी ने कहा, ‘आदेश में ऐसी कई महत्वपूर्ण टिप्पणी है कि महज राष्ट्रीय सुरक्षा का नारा लगा कर आप (सरकार) अदालत को निगरानी करने से नहीं रोक सकते.’
गीता लूथरा ने व्यक्तियों की स्वतंत्रता के महत्व पर जोर दिया, जबकि द्विवेदी ने इसे याचिकाकर्ताओं की जीत बताया. लूथरा ने कहा, ‘राज्य की सुरक्षा जितनी महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण व्यक्ति की स्वतंत्रता भी है.’
भाजपा ने कहा- कोर्ट का आदेश केंद्र सरकार के हलफनामे के अनुरूप
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को कहा कि पेगासस जासूसी प्रकरण की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाने का उच्चतम न्यायालय का फैसला केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालत में दिए गए हलफनामे के अनुरूप है.
भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा पेगासस के जरिये भारतीय लोकतंत्र को कुचलने और देश की राजनीति एवं संस्थाओं को नियंत्रण में लेने का प्रयास के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि झूठ बोलना और भ्रम फैलाना उनकी आदत रही है.
उन्होंने कहा कि पेगासस मामले में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकार ने न्यायालय में जो हलफनामा दिया था, उसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कि निहित स्वार्थ के लिए एक समूह के लोग एक गलत धारणा पूरे देश में बनाने की कोशिश कर रहे हैं और इसे ध्वस्त करने के लिए यह आवश्यक है की विशेषज्ञों की समिति गठित की जाए.
उन्होंने कहा, ‘…और आज अदालत ने विशेषज्ञों की समिति बनाई है. जो सरकार ने अपने हलफनामे में कहा था, वही हुआ.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)