क्रूज़ ड्रग्स मामला: तीन दिन की सुनवाई के बाद आर्यन ख़ान और दो आरोपियों को हाईकोर्ट से ज़मानत मिली

दो अक्टूबर को मुंबई के तट से एक क्रूज़ जहाज पर एनसीबी की छापेमारी के बाद अभिनेता शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान, अरबाज़ मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को गिरफ़्तार किया गया था. जस्टिस एन. डब्ल्यू साम्ब्रे की एकल पीठ ने इन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि इस बारे में विस्तृत आदेश शुक्रवार शाम तक जारी किया जाएगा.

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एनसीबी की हिरासत में आर्यन खान. (फोटो: पीटीआई)

दो अक्टूबर को मुंबई के तट से एक क्रूज़ जहाज पर एनसीबी की छापेमारी के बाद अभिनेता शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान, अरबाज़ मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को गिरफ़्तार किया गया था. जस्टिस एन. डब्ल्यू साम्ब्रे की एकल पीठ ने इन्हें ज़मानत देते हुए कहा कि इस बारे में विस्तृत आदेश शुक्रवार शाम तक जारी किया जाएगा.

एनसीबी की हिरासत में आर्यन खान. (फोटो: पीटीआई)

मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने तीन दिन की सुनवाई के बाद गुरुवार को क्रूज पोत पर मादक पदार्थ मामले में आर्यन खान को जमानत दे दी.

मुंबई के तट से एक क्रूज़ जहाज पर दो अक्टूबर को एनसीबी की छापेमारी के बाद अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र आर्यन को गिरफ्तार किया गया था.

जस्टिस एन. डब्ल्यू साम्ब्रे की एकल पीठ ने मामले में सह-आरोपियों अरबाज मर्चेंट और मुनमुन धमेचा को भी जमानत दे दी.

जस्टिस साम्ब्रे ने कहा, ‘सभी तीनों अपीलें स्वीकार की जाती है. मैं कल शाम तक विस्तृत आदेश दूंगा.’

आर्यन के वकीलों ने तब नगद जमानत देने की अनुमति मांगी, जिसे अस्वीकार करते हुए अदालत ने कहा कि उन्हें मुचलका (बॉन्ड) देना होगा.

जस्टिस साम्ब्रे ने कहा, ‘मैं आने वाले कल में भी आदेश दे सकता था, लेकिन मैंने यह आज दिया.’

बताया गया ही कि आर्यन के वकीलों की टीम अब उनकी शुक्रवार तक रिहाई के लिए औपचारिकताएं पूरी करने का प्रयास करेगी.

23 वर्षीय आर्यन फिलहाल न्यायिक हिरासत में सेंट्रल मुंबई की आर्थर रोड जेल में बंद हैं. उन्हें सह-आरोपी अरबाज और मुनमुन के साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने तीन अक्टूबर को गिरफ्तार किया था.

उन पर मादक पदार्थ रखने, उसका सेवन करने, प्रतिबंधित मादक पदार्थ की खरीदी और बिक्री तथा साजिश के लिए नारकोटिक्स ड्रग और मन: प्रभावी पदार्थ अधिनियम (एनडीपीएस कानून) की उपयुक्त धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.

इससे पहले बुधवार की सुनवाई में आर्यन खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि यह गिरफ्तारी संवैधानिक प्रावधानों का सीधा उल्लंघन है क्योंकि गिरफ्तारी वारंट में ‘वास्तविक और सही आधार का उल्लेख’ नहीं था.

मर्चेंट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने एनडीपीएस मामलों की विशेष अदालत द्वारा मंगलवार को इसी मामले के दो आरोपियों-मनीष राजगढ़िया और अविन साहू- को दी गई जमानत की ओर ध्यान आकर्षित कराया.

उन्होंने कहा, ‘उनके खिलाफ भी आरोप समान है. बल्कि उनमें से एक पास से 2.6 ग्राम गांजा मिला था जबकि दूसरे ने उसका सेवन किया था. इन लड़कों (आर्यन और मर्चेंट) को अगर समानता के आधार पर नहीं तो स्वतंत्रता के आधार पर जमानत दी जानी चाहिए… सख्त शर्तों के आधार पर इन्हें जमानत पर रिहा करें.’

उन्होंने अदालत से कहा कि साजिश और उकसाने का आरोप एनसीबी ने बाद में लगाया है. देसाई ने कहा कि उन्हें (आर्यन और मर्चेंट) गिरफ्तार करने के बजाय एनसीबी द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-41ए (आरोपी को मामूली अपराध में बयान दर्ज कराने के लिए नोटिस) का नोटिस जारी किया जाना चाहिए था.

देसाई ने सवाल किया, ‘उनकी गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी जब साजिश का आरोप लगाया भी नहीं गया था.’ उन्होंने कहा कि मामूली मात्रा में नशीला पदार्थ बरामद होने पर केवल एक साल की सजा का प्रावधान है. अत: यह मामूली अपराध था.

उल्लेखनीय है कि तीन अक्टूबर को एनसीबी द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट में केवल नशीले पदार्थ के सेवन एवं रखने से संबंधित एनडीपीएस अधिनियम की धारा-20(बी) और 27 का उल्लेख था. उन्होंने कहा, ‘‘उसमें धारा-28 और 29 का उल्लेख नहीं है जो उकसाने और साजिश से संबंधित है.’

देसाई ने कहा, ‘मौके पर बरामद सामान का एनसीबी द्वारा किए गए आकलन के मुताबिक…ये तीनों अलग अलग मादक पदार्थ के सेवन और रखने का कार्य कर रहे थे. उस तारीख को तीनों के खिलाफ आधिकारिक रूप से साजिश का आरोप नहीं लगाया गया था. तीन अक्टूबर को एनसीबी ने उनकी हिरासत लेने के लिए मजिस्ट्रेट को यह मानने के लिए भ्रमित किया कि साजिश का आरोप भी लगाया गया है.’

उच्च न्यायालय ने जब पूछा कि मामले के दो सह आरोपियों जिन्हें जमानत मिली है उनका कोई संबंध आर्यन खान और मर्चेंट से है तो देसाई ने कहा कि निश्चित तौर पर उनका कोई संबंध नहीं हैं.

उन्होंने कहा, ‘इन तीन आरोपियों की अन्य आरोपियों के बीच कोई वॉट्सऐप चैट नहीं है. एनसीबी जिन वॉट्सऐप पर भरोसा कर रही है वे पुराने हैं और इस मामले से संबंधित नहीं है.’

इन चैट के औचित्य पर सवाल उठाते हुए वकील ने कहा कि आर्यन और अन्य के कथित वॉट्सऐप चैट को मीडिया को उपलब्ध कराया गया लेकिन वह अदालत के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है.

जस्टिस साम्ब्रे ने कहा कि ब्रिटेन ने इलेक्ट्रॉनिक सबूत को सत्यापित करने के लिए प्रमाण पत्र के प्रावधान को हटा दिया है लेकिन भारत में इसकी जरूरत होती है.

धमेचा की ओर से पेश वकील काशिफ अली खान देशमुख ने कहा कि उनके मुवक्किल को बलि का बकरा इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि उन्हें आर्यन खान और मर्चेंट के साथ गिरफ्तार किया गया.

उन्होंने कहा, ‘एनसीबी ने धमेचा को कथित ड्रग नेटवर्क का हिस्सा बना दिया है. लेकिन वह इन लोगों (खान और मर्चेंट) को जानती तक नहीं है. वह मध्य प्रदेश के छोटे शहर से आई है और फैशन मॉडल है. धमेचा ने कभी मादक पदार्थ का सेवन नहीं किया है और चिकित्सा जांच से इसकी पुष्टि की जा सकती है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)