जम्मू कश्मीर को केंद्रीय योजनाओं के लिए 2021-22 में दस फीसदी से कम फंड मिला

रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर के 25 विभागों को 27 अक्टूबर तक सिर्फ 1,809 करोड़ रुपये मिले हैं, जो 2021-22 के लिए 18,527 करोड़ रुपये के आवंटन का दस प्रतिशत से भी कम है. आलम ये है कि महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन, आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण, बिजली विकास, नागरिक उड्डयन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कामों को देखने वाले 25 विभागों में से एक दर्जन को अब तक कोई राशि नहीं मिली है.

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(प्रतीकात्मक फाइल फोटो: पीटीआई)

रिपोर्ट के मुताबिक़, जम्मू कश्मीर के 25 विभागों को 27 अक्टूबर तक सिर्फ 1,809 करोड़ रुपये मिले हैं, जो 2021-22 के लिए 18,527 करोड़ रुपये के आवंटन का दस प्रतिशत से भी कम है. आलम ये है कि महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन, आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण, बिजली विकास, नागरिक उड्डयन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कामों को देखने वाले 25 विभागों में से एक दर्जन को अब तक कोई राशि नहीं मिली है.

(फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर सरकार को चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीनों में केंद्रीय प्रायोजित योजनाओं के तहत बजटीय आवंटन के मुकाबले 10 फीसदी से भी कम राशि मिली है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, 27 अक्टूबर तक केंद्रशासित प्रदेश के 25 विभागों को सिर्फ 1,809 करोड़ रुपये मिले हैं, जो कि 2021-22 के लिए 18,527 करोड़ रुपये के आवंटन के 10 प्रतिशत से भी कम है.

केंद्र प्रायोजित योजनाओं को बड़े पैमाने पर केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता है लेकिन राज्यों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है. ऐसी योजनाओं के खर्च का एक हिस्सा राज्यों द्वारा वहन किया जाता है.

आलम ये है कि महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन, आपदा प्रबंधन, राहत, पुनर्वास और पुनर्निर्माण, बिजली विकास, नागरिक उड्डयन और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे कार्यों को देखने वाले इन 25 विभागों में से एक दर्जन को अभी तक कोई राशि नहीं मिली है.

जम्मू-कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फंड की प्राप्ति में देरी के लिए कोविड-19 की विनाशकारी दूसरी लहर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है. अधिकारी ने कहा, ‘इसमें से बहुत कुछ विभागों द्वारा वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में काम नहीं करने से जुड़ा है.’

उन्होंने कहा, ‘केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप कितना आगे बढ़ने में सक्षम हैं. चालू वित्त वर्ष में अभी पांच महीने बाकी हैं. विभाग काम शुरू करेंगे और खर्च में सुधार होगा.’

केंद्र से फंड जारी होना इस बात पर निर्भर करता है कि राज्य सरकार के विभागों ने पूर्व में जारी धन का कितना उपयोग कर लिया है. राज्य सरकार को इसे लेकर केंद्र के पास ‘उपयोग सर्टिफिकेट’ भेजना होता है, जिसके बाद अगली किस्त जारी होती है.

साल 2021-22 के बजट अनुमान के अनुसार जल शक्ति विभाग का लागत सबसे अधिक 5,477 करोड़ रुपये है. इसमें से 2,747.17 करोड़ रुपये के आवंटन के बावजूद जम्मू-कश्मीर सरकार केंद्र सरकार से धन नहीं प्राप्त कर पाई है.

सरकार के सूत्रों ने कहा कि प्रशासन ने इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए उपाय किए हैं और उम्मीद है कि ‘बची हुई राशि का और भारत सरकार से प्राप्त धन की पहली किस्त का उपयोग अगले महीने तक किया जाएगा.’

जम्मू कश्मीर के एक पूर्व मंत्री ने गोपनीयता की शर्त पर इस अख़बार को बताया कहा कि आंकड़े दिखाते हैं कि ‘फंड की कमी, जमीन पर काम पूरा होने में देरी के चलते ऐसा हो रहा है, जिससे नागरिकों का जीवन अधर में है.’

इस बीच, 1,000 करोड़ रुपये से अधिक के अनुमानित व्यय वाले विभागों, जैसे- स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा, स्कूल शिक्षा, समाज कल्याण विभाग और लोक निर्माण विभाग, को अक्टूबर के अंत तक के लक्ष्य का क्रमशः 9.4 प्रतिशत, 18.6 प्रतिशत, 21 प्रतिशत और 27.4 प्रतिशत प्राप्त हुए हैं.

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