डेमन गैलगट का उपन्यास ‘द प्रॉमिस’ दक्षिण अफ्रीका के नस्लवादी इतिहास के बीच एक श्वेत परिवार की कहानी पर आधारित है. गैलगट इस पुरस्कार के दावेदारों की अंतिम सूची में तीसरी बार पहुंचे थे. इससे पहले उन्हें 2003 में ‘द गुड डॉक्टर’ और 2010 में ‘इन अ स्ट्रेंज रूम’ के लिए दावेदारों की अंतिम सूची में स्थान मिला था, लेकिन दोनों बार वह जीत नहीं पाए थे.
लंदन: दक्षिण अफ्रीकी लेखक डेमन गैलगट को उनके उपन्यास ‘द प्रॉमिस’ के लिए प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार से नवाजा गया. गैलगट का यह उपन्यास दक्षिण अफ्रीका के नस्लवादी इतिहास के बीच एक श्वेत परिवार की कहानी पर आधारित है.
गैलगट 50,000 पाउंड (69,000 डॉलर) की इनामी राशि वाले इस पुरस्कार के प्रबल दावेदार थे. ‘द प्रॉमिस’ एक संकटग्रस्त दक्षिणी अफ्रीकी श्वेत परिवार और एक अश्वेत कर्मचारी से किए गए उसके वादे की कहानी पर आधारित है.
गैलगट इस पुरस्कार के दावेदारों की अंतिम सूची में तीसरी बार पहुंचे थे. इससे पहले उन्हें 2003 में ‘द गुड डॉक्टर’ और 2010 में ‘इन अ स्ट्रेंज रूम’ के लिए दावेदारों की अंतिम सूची में स्थान मिला था, लेकिन दोनों बार वह पुरस्कार जीत नहीं पाए थे.
इस बार गैलगट जीत के सबसे प्रबल दावेदार थे. इसके बावजूद उन्होंने कहा कि वह पुरस्कार पाकर ‘हैरान’ हैं.
गैलगट ने कहा, ‘मैं सभी कही गई और अनकही कहानियों की ओर से, उन सभी लेखकों की ओर से, जिन्हें सुना गया है और नहीं सुना गया है, जिस शानदार महाद्वीप का मैं हिस्सा हूं, उसकी ओर से’ यह पुरस्कार स्वीकार करता हूं.’
We are delighted to announce that the winner of the #2021BookerPrize is 'The Promise' by Damon Galgut! Watch Damon’s winner’s interview live on the BBC now: https://t.co/AV21wqAtaD@ChattoBooks @vintagebooks @penguinrandom pic.twitter.com/TeC0WvN9k9
— The Booker Prizes (@TheBookerPrizes) November 3, 2021
उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि इस साल साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार जीतने वाले अब्दुल रज्जाक गुरनाह भी अफ्रीकी हैं.
निर्णायक मंडल की अध्यक्ष इतिहासकार माया जैसनॉफ ने कहा कि ‘द प्रॉमिस’ गहराई से, सशक्त तरीके से और स्पष्ट रूप से अपनी कहानी पेश करने वाली पुस्तक है, जो ‘एक असाधारण कहानी एवं समृद्ध विषय वस्तु (दक्षिण अफ्रीका के पिछले 40 वर्ष के इतिहास) को एक अविश्वसनीय ढंग से साथ बुनती है.’
जैसनॉफ ने कहा, ‘मुझे यकीन है कि वह राहत महसूस करेंगे कि इस बार वह विजेता हैं.’
गैलगट बुकर पुरस्कार जीतने वाले तीसरे दक्षिण अफ्रीकी उपन्यासकार हैं. इससे पहले 1974 में नादिन गॉर्डिमर और 1983 एवं 1999 में जेएम कोएत्जी को यह पुरस्कार दिया जा चुका है.
गैलगट का नौवां उपन्यास स्वार्ट परिवार के सदस्यों का पता लगाता है, जो अपनी अश्वेत नौकरानी सैलोम को अपना घर देने के एक पूरा किए गए वादे से त्रस्त हैं.
‘द प्रॉमिस’ ने अमेरिकी लेखकों रिचर्ड पावर के ‘बीविल्डरमेंट’, पैट्रीसिया लॉकवुड के ‘नो वन इज टॉकिंग अबाउट दिस’ एवं मैगी शिपस्टीड के ‘ग्रेट सर्कल’, श्रीलंकाई लेखकर अनुक अरुदप्रगसम के ‘अ पैसेज नॉर्थ’ तथा ब्रितानी/सोमाली लेखिका नादिफा मोहम्मद के ‘द फार्च्यून मैन’ को पछाड़कर यह पुरस्कार अपने नाम किया.
1969 में स्थापित बुकर पुरस्कार को लेखकों के करिअर को बदलने वाले मोड़ के तौर पर देखा जाता है. मूल रूप से इस पुरस्कार के लिए सिर्फ ब्रिटिश, आयरिश और राष्ट्रमंडल लेखकों को ही पात्र माना जाता था. हालांकि साल 2014 में पात्रता का विस्तार करते हुए ब्रिटेन में अंग्रेजी माध्यम से प्रकाशित सभी पुस्तकों को इसमें शामिल किया जाने लगा.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)