केरल के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय की छात्रा दीपा पी. मोहनन 29 अक्टूबर 2021 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं. उनका आरोप है कि संस्थान के निदेशक नंदकुमार कलारिकल बीते दस सालों से भरसक प्रयास कर रहे हैं कि वे अपनी पीएचडी पूरी न कर सके और इसके लिए वह तरह-तरह के तरीके आज़मा रहे हैं.
नई दिल्लीः केरल के कोट्टायम में महात्मा गांधी विश्वविद्यालय की छात्रा दीपा पी. मोहनन 29 अक्टूबर 2021 से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर है.
न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, दीपा (36) महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल एंड इंटर यूनिवर्सिटी फॉर नैनोसाइंस एंड नैनोटेक्नोलॉजी के बाहर हड़ताल पर है. वह एसटीईएम से पीएचडी कर रही हैं.
उनका आरोप है कि संस्थान के निदेशक नंदकुमार कलारिकल बीते दस सालों से भरसक प्रयास कर रहे हैं कि वह अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर सके और इसके लिए वह तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं.
दीपा का आरोप है कि उनके दलित होने की वजह से उनके साथ इस तरह का भेदभाव किया जा रहा है. वह नैनोमेडिसिन के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहती है और घायलों की मदद करना चाहती है.
दीपा ने एक बच्चे को जन्म देने के बाद अपनी एमफिल की पढ़ाई पूरी की थी. उनके 31 अक्टूबर को लिखे फेसबुक पोस्ट के मुताबिक, वह एनीमिया की गोलियां लेती हैं और जन्मजात वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष (वीएसडी) से जूझ रही हैं.
कैंपस पर जातिवाद का आरोप
मेडिकेल माइक्रोबायोलॉजी में पोस्ट ग्रैजुएशन करने के बाद दीपा ने 2011 में संस्थान में दाखिला लिया था. उनका आरोप है कि तभी से कलारिकल उनकी पढ़ाई में हर तरह की बाधा उत्पन्न कर रहे हैं, जिनमें प्रयोगशाला का इस्तेमाल करने से रोकना, लैब में रसायनों और पॉलिमर के इस्तेमाल से रोकना, कार्यस्थल पर उन्हें बैठने से रोकना, उनका वजीफा रोकना आदि शामिल थे.
आरोप है कि एक बार कलारिकल ने उन्हें अकेले संस्थान कील लैब के भीतर बंद कर दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि वह कई मामलों में दीपा के प्रति सख्त और अपमानजनक रहे हैं.
टू सर्किल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दीपा ने बताया, ‘एक दिन केंद्र के संयुक्त निदेशक के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान उन्होंने फैसला किया कि मुझे लैब से जुड़ी सुविधाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा. अगर मुझे काम करने के लिए लैब में बुनियादी सुविधाओं से वंचित कर दिया जाता है तो विज्ञान की छात्रा होने का क्या मतलब है? मुझे अचंभा इस बात का हुआ कि उसने यह हरकत सिर्फ मेरे साथ की क्योंकि मैं बैच में एकमात्र दलित छात्रा हूं.’
आदर्श स्थिति में दीपा को 2015 में ही पीचएडी पूरी कर लेनी चाहिए थी लेकिन छह साल हो गए हैं और उसे अभी तक अपनी डिग्री नहीं मिली है.
दीपा ने 2015 में न्यूज मिनट को बताया था, ‘मैंने अपने नैनोमेडिसिन प्रोजेक्ट के लिए सिंथेसिस किया था. मैंने स्काफोल्ड और ऑप्टिमइज्ड तैयार किया था लेकिन नंदकुमार की वजह से मैं अपनी पीएचडी पूरी नहीं कर पाई.’
दीपा चाहती है कि संस्थान उनके रिसर्च गाइड को बदल दे, शोध पूरा करने के लिए संस्थान उन्हें सामग्री प्रदान कराए और कलारिकल को संस्थान को हटाए.
यौन उत्पीड़न
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, तीन नवंबर को इस मामले ने एक नया मोड़ लिया जब दीपा मोहनन ने एक साथी शोधकर्ता द्वारा 2014 में उनका यौन उत्पीड़न करने के बारे में बताया.
विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार पर मीडिया से बातचीत में दीपा ने कहा, ‘यूनिवर्सिटी में एक रिसर्च फेलो ने उस समय जबरन मेरा हाथ पकड़ा था, जब हम क्लासरूम से निकलने वाले थे. मैं किसी तरह हाथ छुड़ाकर भागने में सफल रही.’
मोहनन के मुताबिक, मैंने वाइस चांसलर साबू थॉमस और कलारिकल को इस घटना के बारे में बताया था लेकिन मेरी शिकायत नजरअंदाज कर दी गई. मैं जल्द ही जिला कलेक्टर के समक्ष शिकायत दर्ज कराऊंगी.
वहीं, वाइस चांसलर ने कहा कि उसे इस मामले पर मोहनने से कोई शिकायत नहीं मिली. उन्होंने कहा, ‘यह घटना 2014 की है लेकिन उसने कभी कोई शिकायत नहीं की. अगर उसने की होती तो मैं जांच समिति का गठन करता. अगर वह अब शिकायत दर्ज कराती है तो मैं जांच का आदेश देने के लिए तैयार हूं.’
भूख हड़ताल
भीम केरल, बिरसा अंबेडकर फुले छात्रसंघ और अंबेडकर छात्रसंघ जैसे कई छात्र संघों और अन्य दलित नेताओं और सामाजिक न्याय संगठनों ने मोहनन का समर्थन किया है और सस्थान पर दबाव डाल रहे हैं कि मोहनन की मांगों पर ध्यान दिया जाए.
In Solidarity with Deepa P Mohanan
Condemn the never-ending saga of Caste Discrimination against the Dalit research scholar in MG University, Kerala.
Punish the Culprits and Complicit, Nandakumar Kalarikkal, Director of IIUCNN, and the Vice-Chancellor Sabu Thomas.
BAPSA pic.twitter.com/SmydxLuCnY
— BAPSA (@BAPSA_JNU) November 2, 2021
हालांकि, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआईएम) ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इस मामले पर कुछ नहीं कहा.
मोहनन का आरोप है कि इसकी वजह यह है कि कलारिकल केरल में माकपा नेताओं के करीबी हैं.
एक नवंबर को संस्थान रिसर्च सामग्री मुहैया कराने और उनका रिसर्च गाइड बदलने की दीपा मोहनन की मांगी पूरी करने पर सहमत हो गया था लेकिन विश्वविद्यालय से कलारिकल को हटाने से इनकार कर दिया था.
न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, वाइस चांसलर साबू थॉमस, मोहनन के गाइड के तौर पर उसका मार्गदर्शन करेंगे.
उन्होंने बताया कि कुछ तकनीकी कारणों की वजह से कलारिकल को संस्थान से नहीं हटाया जा सकता. हालांकि, इन तकनीकी कारणों का खुलासा नहीं किया गया.
हालांकि, दीपा मोहनन अपने फैसलों पर अडिग है और कलारिकल को हटाए जाने तक पीछे नहीं हटेगी.
टू सर्किल्स की रिपोर्ट के मुताबिक, दीपा मोहनन ने 2015 में भी कलारिकल के खिलाफ जातिगत भेदभाव का मामला दर्ज कराया था. उस समय प्रशासन ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति ने आरोपों को सही पाया था और सिफारिश की थी कि यूनिवर्सिटी दीपा को सभी सुविधाएं मुहैया कराएं.
एक साल बाद 2016 में दीपा मोहनन ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत कलारिकल के खिलाफ पुलिस शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
न्यूज मिनट की रिपोर्ट के मुताबिक, जब दीपा ने अपनी शिकायत को लेकर राज्यपाल से मिलने का प्रयास किया तो पुलिस ने दीपा को ही हिरासत में लिया और उसे दो दिनों तक पुलिस स्टेशन में रखा.
दीपा मोहनन ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए अपने पत्र में हैदराबाद यूनिवर्सिटी में जातिगत भेदभाव की वजह से आत्महत्या कर चुके दलित पीएचडी छात्र रोहित वेमुला के बारे में भी लिखते हुए कहा है कि वह आखिरी समय तक संघर्ष जारी रखेगी.