भारतीय स्टेट बैंक की यह शाखा मुंबई के कुर्ला ईस्ट के नेहरू नगर में हैं, जो मुस्लिम बहुल इलाका है. सोशल मीडिया पर स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद बैंक ने शाखा परिसर में लगे इस नोटिस को हटा दिए जाने की बात कही और ट्वीट कर माफ़ी मांगी.
नई दिल्लीः भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की एक मुंबई शाखा को उस समय आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जब उसने बैंक परिसर में एक नोटिस लगाकर बुर्का और स्कार्फ पहने ग्राहकों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी.
हालांकि, इस मामले पर सोशल मीडिया पर नाराजगी के बाद बैंक ने इस नोटिस को हटा दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, एसबीआई की यह शाखा मुंबई के कुर्ला ईस्ट के नेहरू नगर में हैं, जो मुस्लिम बहुल इलाका है और बुर्का अधिकांशतः मुस्लिम महिलाओं के एक वर्ग द्वारा पहना जाता है.
हिंदी, मराठी और अंग्रेजी में लिखे नोटिस में कहा गया, ‘बैंक की शाखा परिसर के भीतर बुर्का, स्कार्फ पहनने पर पाबंदी है.’
स्थानीय निवासी शेख सजीद अकबर ने स्क्रोल डॉट इन को बताया कि नोटिस कुछ दिन पहले लगाया गया था.
उन्होंने बताया, ‘हममें से कई लोगों ने इसे लेकर ट्वीट किया था और बैंक अधिकारियों के समक्ष इस मामले को उठाया था. हमें नहीं पता कि इस तरह का नोटिस क्यों लगाया गया.’
सोशल मीडिया पर स्थानीय कार्यकर्ताओं द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद बैंक ने शाखा के परिसर में लगे इस नोटिस को हटा दिया और तीन नवंबर को ट्वीट कर माफी मांगी.
Dear Customer,
We regret the inconvenience caused to you. We understand from the branch that the Board has been removed from the counter. It was placed earlier for safety during cash withdrawal and other financial transactions only and the branch did not have any other (1/2)
— State Bank of India (@TheOfficialSBI) November 3, 2021
एसबीआई के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट से ट्वीट कर कहा गया कि नकद निकासी और अन्य वित्तीय लेनदेन के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर यह नोटिस लगाया गया था और इसके पीछे कोई अन्य मंशा नहीं थी.
कुछ लोगों ने ट्वीट कर एतराज जताया कि नकद लेन-देन के दौरान सिर्फ बुर्के और स्कार्फ पहनने पर ही समस्या क्यों हैं, जबकि कोविड-19 एहतियाती उपाय के तहत ग्राहकों को मास्क से भी चेहरों को कवर करना पड़ता है.
बैत खान नाम के एक शख्स ने नोटिस की फोटो ट्वीट कर पूछा कि मास्क पर पाबंदी क्यों नहीं है?
बता दें कि बुर्के में महिलाओं के साथ भेदभाव कोई नई बात नहीं है. कई यूरोपीय देशों में मुस्लिम महिलाओं द्वारा बुर्का पहनने पर रोक है.
2019 में श्रीलंका में बम विस्फोट के एक हफ्ते बाद राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने मुस्लिम महिलाओं के सार्वजनिक स्थानों पर किसी भी तरह से चेहरा ढकने को अवैध बताया था.
भारत में श्रेया पारिख ने द वायर के लिए 2019 में लिखे एक लेख में कहा था कि कुछ महिलाओं को लखनऊ मेट्रो में यात्रा करने से रोक दिया गया क्योंकि उन्होंने अपना बुर्का हटाने से इनकार कर दिया था.
ठीक इसी तरह फिरोजबाद में एसआरके कॉलेज में कुछ छात्राओं को इसलिए प्रवेश नहीं दिया गया क्योंकि वे बुर्का पहने हुए थीं.
2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान भापा सांसद संजीव बालियान ने आरोप लगाया था कि बुर्का पहने मतदाता फर्जी वोटिंग के लिए जिम्मेदार हैं. हालांकि, इस आरोप को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था.