बाबरी मसले पर कोर्ट का फ़ैसला सिर्फ इसलिए सही क्योंकि दोनों पक्षों ने इसे स्वीकारा: चिदंबरम

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान ख़ुर्शीद की पुस्तक 'सनराइज़ ओवर अयोध्या- नेशनहुड इन अवर टाइम्स' का विमोचन करने के बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का क़ानूनी आधार बहुत संकीर्ण है, लेकिन दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया, इसलिए यह सही है. ऐसा नहीं है कि यह सही निर्णय था.

/
(फोटो: पीटीआई)

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान ख़ुर्शीद की पुस्तक ‘सनराइज़ ओवर अयोध्या- नेशनहुड इन अवर टाइम्स’ का विमोचन करने के बाद कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का क़ानूनी आधार बहुत संकीर्ण है, लेकिन दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया, इसलिए यह सही है. ऐसा नहीं है कि यह सही निर्णय था.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पुस्तक ‘सनराइज ओवर अयोध्या – नेशनहुड इन अवर टाइम्स’ का विमोचन. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को अयोध्या में मंदिर निर्माण के फैसले को लेकर कहा कि केवल दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार कर लिया है इसीलिए यह एक सही फैसला बन गया है. लेकिन यह सही फैसला बिल्कुल नहीं है.

पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की पुस्तक ‘सनराइज ओवर अयोध्या- नेशनहुड इन अवर टाइम्स’ का विमोचन करने के बाद उन्होंने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस को शर्मनाक करार दिया, जिसने संविधान को कलंकित कर दिया.

चिदंबरम ने कहा, ‘आज हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं कि जब ‘लिंचिंग’ की प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की तरफ से निंदा नहीं की जाती है. एक विज्ञापन को वापस लिया जाता है क्योंकि हिंदू बहू को एक मुस्लिम परिवार में खुशी से रहता हुआ दिखाया गया.’

उन्‍होंने अयोध्या मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को लेकर कहा, ‘इस फैसले का कानूनी आधार बहुत संकीर्ण है. बहुत पतली-सी रेखा है. लेकिन समय बीतने के साथ ही दोनों पक्षों ने इसे स्वीकार किया. दोनों पक्षों ने स्वीकार किया, इसलिए यह सही फैसला है. ऐसा नहीं है कि यह सही फैसला था, इसलिए दोनों पक्षों ने स्वीकार किया.’

उन्होंने कहा, ‘छह दिसंबर, 1992 को जो हुआ, वह बहुत ही गलत था, इसने हमारे संविधान को कलंकित किया, उच्चतम न्यायालय की अवमानना की और दो समुदायों के बीच दूरी पैदा की.’

चिदंबरम ने कहा, ‘फैसले के बाद चीजें उसी तरह हुईं जिसका अनुमान था. इसके बाद एक साल के भीतर (बाबरी विध्वंस के) आरोपियों को बरी कर दिया गया. ‘जैसे किसी ने जेसिका को नहीं मारा, वैसे ही किसी ने बाबरी मस्जिद को नहीं गिराया’.’

उन्होंने कहा, ‘यह बात हमारा हमेशा पीछा करेगी कि हम गांधी, नेहरू, पटेल और मौलाना आजाद के देश में यह कहते हुए शर्मिंदा नहीं हैं कि ‘नो-बडी डिमोलिश्ड बाबरी मस्जिद’.’

उन्होंने कहा, ‘आज की यही हकीकत है कि हम भले ही धर्मनिरपेक्ष हैं, लेकिन व्यवहारिकता को स्वीकार करते हैं. देश में रोजाना धर्मनिरपेक्षता पर चोट की जा रही है.’

चिदंबरम ने खेद व्यक्त किया कि प्रतिदिन ऐसी घटनाएं होती हैं जो हमारे संविधान की आत्मा को थोड़ा-थोड़ा खोखला कर देती हैं, फिर भी कोई भी उच्च अधिकार वाले हमारे संविधान की इस गंभीर दुर्बलता और अपमान के लिए खड़े होने और बोलने को तैयार नहीं है.

उन्होंने इस बात पर भी अफसोस जताया कि देश में लिंचिंग हो रही है, लेकिन सत्ता में कोई भी इसके खिलाफ नहीं बोलता है.

उन्होंने यह भी कहा कि पंडितजी (नेहरू) धर्मनिरपेक्षता के बारे में जो सोचते थे, वह निश्चित रूप से उस तरह से नहीं है जैसे कि कई लाखों नागरिकों द्वारा समझा जाता है.

उन्होंने कहा, ‘पंडित जी ने हमें जिस धर्मनिरपेक्षता के बारे में जो बताया, वह धर्मनिरपेक्षता नहीं है जिसे बहुत से लोग समझते हैं. धर्मनिरपेक्षता स्वीकृति से सहिष्णुता और सहिष्णुता से असहज सहअस्तित्व की ओर बढ़ गई है.’

उन्होंने कहा कि शब्दों ने एक नया अर्थ प्राप्त कर लिया है और जब तक हम यह नहीं पहचानते कि पिछले 15-20 वर्षों में हमारे देश के साथ क्या हुआ है, हम इसके प्रति सच्चे नहीं होंगे। हमारा मानना ​​है कि भारत क्या होना चाहिए।

चिदंबरम ने कहा, ‘आज हम एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जहां लिंचिंग की निंदा कोई अधिकारी नहीं करता, निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और गृह मंत्री भी नहीं.’

कांग्रेस नेता ने कहा कि शब्दों और प्रथाओं ने आज एक नया अर्थ प्राप्त कर लिया है क्योंकि गांधी जी जो कुछ भी सोचते थे वह ‘राम राज्य’ अब ‘राम राज्य’ नहीं है जैसा कि कई साथी भारतीयों द्वारा समझा जाता है.

वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि देश में हिंदू खतरे में नहीं हैं, बल्कि ‘फूट डालो और राज करो’ की मानसिकता खतरे में है.

सिंह ने यह भी कहा कि ‘हिंदुत्व’ शब्द का हिंदू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है.

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘इस देश के इतिहास में धार्मिक आधार पर मंदिरों का विध्वंस भारत में इस्लाम आने के पहले भी होता रहा है. इसमें दो राय नहीं है कि जो राजा दूसरे राजा के क्षेत्र को जीतता था, तो अपने धर्म को उस राजा के धर्म पर तरजीह देने की कोशिश करता था. अब ऐसा बता दिया जाता है कि मंदिरों की तोड़फोड़ इस्लाम आने के साथ शुरू हुई.’

उन्होंने दावा किया, ‘जब फासीवाद आता है तो उसके लिए जरूरी है कि वह एक शत्रु की पहचान करे… डर पैदा करना और नफरत पैदा करना फासीवाद का मूलमंत्र रहा है.’

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘राम जन्मभूमि का विवाद कोई नया विवाद नहीं था. लेकिन विश्व हिंदू परिषद, आरएसएस ने इसे पहले कभी मुद्दा नहीं बनाया था, जब 1984 में वो दो सीटों पर सिमट गए तो इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया.’

उन्होंने कहा कि उस समय अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद विफल हो गया था. इसने उन्हें कट्टर धार्मिक रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया. आडवाणी की रथयात्रा समाज को तोड़ने वाली यात्रा थी. जहां गए वहां नफरत का बीज बोते चले गए थे.

दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘मैं सनातन धर्म का अनुयायी हूं, हिंदुत्व का हिंदू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है. सनातनी परंपराओं से कोई लेना-देना नहीं है. यह सनातनी परंपराओं के ठीक विपरीत है.’

उन्होंने दावा किया कि विनायक दामोदर सावरकर जी कोई धार्मिक व्यक्ति नहीं थे.

उन्होंने यहां तक कहा था कि गऊ को माता क्यों मानते हो? वह हिंदू को परिभाषित करने के लिए हिंदुत्व शब्द लाए. इससे लोग भ्रम में पड़ गए. आरएसएस अफवाह फैलाने में माहिर है. अब तो सोशल मीडिया के रूप में उन्हें बड़ा हथियार मिल गया है.

उन्होंने कहा, ‘कहा जा रहा है कि हिंदू खतरे में हैं. अरे जनाब, 500 साल के मुगलों और मुसलमानों के राज में हिंदू धर्म का कुछ नहीं बिगड़ा, 150 साल के ईसाइयों के शासन में हिंदू का कुछ नहीं बिगड़ा तो अब क्या खतरा है. खतरा उस मानसिकता और उस विचारधारा को है जिसने अंग्रेजों की तरह फूट डालो और राज करो के जरिये राज करने का संकल्प लिया है.’

सिंह ने कहा, ‘दुख इस बात का है कि हम लोग भी ‘सॉफ्ट’ हिंदुत्व और ‘हार्ड’ हिंदुत्व के चक्कर में पड़ जाते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मैं शाहीन बाग की महिलाओं को बधाई देता हूं जिन्होंने अपने अधिकार के लिए अहिंसक आंदोलन चलाया. किसानों को बधाई देता हूं कि वो 11 महीनों से अहिंसक आंदोलन कर रहे हैं. महात्मा गांधी का रास्ता ही इस देश को आगे बढ़ा सकता है.’

दिग्विजय सिंह ने जोर देकर कहा, ‘सुलह ही इस देश का रास्ता होना चाहिए. न्यायपालिका ने भी अयोध्या मामले में फैसले से इस सुलह की तरफ इशारा किया है. सनातन धर्म और उसका सर्वधर्म संभाव का विचार ही सुलह का रास्ता है.’

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25