यूपी: सामूहिक बलात्कार मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति समेत तीन को उम्रक़ैद

एक विशेष अदालत ने सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत तीन अभियुक्तों को एक महिला के सामूहिक बलात्कार और उनकी नाबालिग बेटी के रेप के प्रयास का दोषी ठहराया है. फरवरी, 2017 में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च में गिरफ़्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं.

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सपा की सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति. (फोटो: पीटीआई)

एक विशेष अदालत ने सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रजापति समेत तीन अभियुक्तों को एक महिला के सामूहिक बलात्कार और उनकी नाबालिग बेटी के रेप के प्रयास का दोषी ठहराया है. फरवरी, 2017 में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च में गिरफ़्तार किया गया था और तब से वह जेल में हैं.

पूर्व कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति. (फोटो: पीटीआई)

लखनऊ: समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति के खिलाफ चल रहे सामूहिक बलात्कार के मामले में शुक्रवार को सांसद/विधायक अदालत ने प्रजापति समेत तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई.

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, शुक्रवार को सांसद/विधायक अदालत के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने सामूहिक बलात्कार मामले में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति और उनके दो साथियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई तथा प्रत्येक दोषी पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया.

इस दौरान अदालत में गायत्री और दो अन्य दोषी मौजूद थे जिन्हें सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया.

विशेष न्यायाधीश ने बुधवार को गायत्री समेत तीन लोगों को मामले में दोषी करार दिया था और सजा पर फैसला शुक्रवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया था.

अदालत ने जिन लोगों को सजा सुनाई है, उनमें गायत्री प्रजापति के अलावा आशीष शुक्ला व अशोक तिवारी शामिल हैं.

न्यायाधीश ने तीनों को दोषी ठहराते हुए मामले के चार अन्य आरोपियों – विकास वर्मा, रूपेश्वर, अमरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू और चंद्रपाल को सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया था. अभियोजन पक्ष ने मामले में 17 गवाह पेश किए थे.

गौरतलब है कि 18 फरवरी, 2017 को उच्चतम न्यायालय के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य के खिलाफ थाना गौतम पल्ली में सामूहिक बलात्कार, जानमाल की धमकी व पॉक्सो कानून के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था.

पीड़ित महिला ने दावा किया था कि बलात्कार की घटना पहली बार अक्टूबर 2014 में हुई थी और जुलाई 2016 तक जारी रही तथा जब आरोपी ने उनकी नाबालिग बेटी से छेड़छाड़ करने की कोशिश की, तो उसने शिकायत दर्ज करने का फैसला किया.

18 फरवरी, 2017 को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह जेल में ही थे.

गुरुवार को तीनों को दोषी ठहराते हुए विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने लखनऊ के पुलिस आयुक्त को उन परिस्थितियों का पता लगाने का भी निर्देश दिया था, जिनमें बलात्कार पीड़िता और दो अन्य गवाहों ने मुकदमे के दौरान बार-बार अपने बयान बदले थे.

गायत्री प्रजापति को जब गिरफ्तार किया गया अखिलेश यादव कैबिनेट के एक प्रमुख सदस्य थे और परिवहन, खनन मंत्रालयों के विभागों को संभाल रहे थे.

उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर गौतमपल्ली पुलिस स्टेशन में मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसने अपनी शिकायत पर पुलिस की निष्क्रियता के खिलाफ महिला की याचिका पर अपना आदेश दिया था.

सितंबर 2020 में लखनऊ जेल में 41 महीने बिताने के बाद प्रजापति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा चिकित्सा आधार पर दो महीने की अंतरिम जमानत दी गई थी. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बाद में इस आदेश को रद्द कर दिया था.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)