जम्मू कश्मीरः सीआरपीएफ की गोली से हुई शख़्स की मौत पर सवाल उठाने वाले कार्यकर्ता पर केस दर्ज

अनंतनाग ज़िले में 28 साल के आदिवासी परवेज़ अहमद बोकड़ा द्वारा कथित तौर पर चेकपॉइंट पार करने के बाद सीआरपीएफ जवानों द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में उन्हें गोली मार दी गई थी. इसके एक दिन बाद पीडीपी कार्यकर्ता तालिब हुसैन ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में सुरक्षाबलों पर सवाल खड़े किए थे.

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तालिब हुसैन (फोटो साभारः ट्विटर)

अनंतनाग ज़िले में 28 साल के आदिवासी परवेज़ अहमद बोकड़ा द्वारा कथित तौर पर चेकपॉइंट पार करने के बाद सीआरपीएफ जवानों द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में उन्हें गोली मार दी गई थी. इसके एक दिन बाद पीडीपी कार्यकर्ता तालिब हुसैन ने फेसबुक पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में सुरक्षाबलों पर सवाल खड़े किए थे.

तालिब हुसैन (फोटो साभारः ट्विटर)

श्रीनगरः जम्मू कश्मीर पुलिस ने पिछले महीने अनंतनाग जिले में सीआरपीएफ जवानों द्वारा एक आदिवासी को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली मारने पर सवाल उठाने के लिए एक अधिकार कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है.

2019 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) में शामिल हुए कार्यकर्ता तालिब हुसैन को जम्मू एवं कश्मीर पुलिस ने मंगलवार को कोकरनाग में उनके घर से गिरफ्तार किया, जिसके बाद उनकी दो छोटी बेटियों सहित उनका पूरा परिवार सदमे में हैं.

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि अनंतनाग जिले में हुसैन के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (अफवाह फैलाने) और 153 (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देने) के तहत मामला दर्ज किया गया.

अधिकारी ने कहा, ‘मामला पिछले महीने दर्ज हुआ था लेकिन तालिब कश्मीर में नहीं था इसलिए उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका. हम उनकी वापसी का इंतजार कर रहे हैं.’

उन्हें बुधवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया था. द वायर से बात करते हुए हुसैन के भाई मोहम्मद हारुन ने कहा, ‘परिवार को हुसैन के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बारे में नहीं बताया गया.’

हारुन ने कहा, ‘उसे थाने में रखा गया लेकिन हमें अभी भी एफआईआर देखनी है. तालिब ने मुझे बताया कि फेसबुक पर पोस्ट एक वीडियो को लेकर उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है.’

28 साल के आदिवासी युवक परवेज अहमद बोकड़ा द्वारा अनंतनाग जिले में कथित तौर पर चेकपॉइंट पार करने के बाद सीआरपीएफ जवानों द्वारा संदिग्ध परिस्थितियों में उसकी गोली मारकर हत्या के एक दिन बाद आठ अक्टूबर को हुसैन ने 14 मिनट का एक वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया था.

जम्मू कश्मीर पुलिस के प्रवक्ता ने आठ अक्टूबर को कहा, ‘बिना नंबर प्लेट के एक संदिग्ध वाहन को नाके पर रोकने का इशारा किया गया लेकिन वाहन के नहीं रुकने पर ड्यूटी पर तैनात जवानों ने आत्मरक्षा में गोली चलाई जिसमें एक शख्स की मौत हो गई लेकिन वाहन का चालक मौके से भागने में सफल रहा.’

वीडियो में कठुआ बलात्कार और हत्या मामले का व्हीसिलब्लोअर हुसैन को कहते सुना जा सकता है कि अनंतनाग का रहने वाला परवेज उनका रिश्तेदार है, जो ड्राइवर के रूप में काम कर अपने गरीब परिवार को संभालता था.

हुसैन ने वीडियो में कहा, ‘सीआरपीएफ का कहना है कि परवेज को नाके पर रुकने के लिए बोला गया लेकिन सीआरपीएफ का यह बयान गढ़ा हुआ हो सकता है. आपको पता है कि कश्मीर में सुरक्षाबल लोगों को सड़कों पर तीन से चार घंटा खड़ा रहने के लिए कहते हैं और हमें इसका पालन करना होता है. क्या कोई सेना या सीआरपीएफ के आदेश का पालन नहीं करने की हिम्मत कर सकता है?’

इस वीडियो को फेसुबक पर 839 बार शेयर किया गया और 10,000 से अधिक लोगों ने इसे देखा. वीडियो में हुसैन ने कहा, ‘परवेज शहीद हुआ है. वह खुद के लिए नहीं बोल सकता लेकिन उसकी कार पर गोलियां चलाई गईं. उसके सिर और छाती पर गोली मारी गई. मैं पुष्टि नहीं कर सकता लेकिन यह सच है कि कश्मीर में कोई भी सुरक्षाबलों के आदेशों की अवहेलना करने की हिम्मत नहीं कर सकता.’

इसके बाद युवा कार्यकर्ता ने परवेज के परिवार की परेशानियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके परिवार को परवेज की मौत की खबर देने से पहले सात अक्टूबर की रात को एक थाने से दूसरे थाने दौड़ाया गया.

उन्होंने कहा, ‘हमने उनसे अनुरोध किया कि कम से कम हमारे रिश्तेदारों को आने दें ताकि वे जनाजे में शामिल हो सके लेकिन वहां सुरक्षाबलों की भीड़ थी. हम दबाव में थे. हमारे फोन जबरन छीन लिए गए और सुरक्षाबलों ने परेवज के शव को भी छीन लिया जबकि उसे पिता, मां और पत्नी चिल्लाते रहे कि वे अपने संबंधियों का इंतजार कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘एक निर्दोष शख्स की हत्या कर दी गई. मैं सभी लोगों और पुलिस से परवेज के परिवार के साथ खड़ा रहने का अनुरोध करता हूं. अगर हम मान भी लें कि परवेज ने नाका तोड़ा था तो भी उसे रोकने के अन्य तरीके थे. वे वाहन के टायरों पर गोलियां चला सकते थे, अगले नाके पर वाहन को पकड़ सकते थे या वाहन का पंजीकरण नंबर नोट कर सकते थे लेकिन उसके सिर और सीने पर गोली मारने से लगता है कि निशाना बनाकर उसकी हत्या की गई.’

बता दें कि युवा आदिवासी की मौत से कश्मीर में रोष है. यह घटना उसी दिन हुई, जब अल्पसंख्यक समुदाय की एक महिला सिख प्रिंसिपल और शिक्षक को श्रीनगर के सरकारी स्कूल में गोली मारी गई. इससे बमुश्किल 36 घंटे पहले कश्मीर के एक लोकप्रिय कश्मीरी पंडित केमिस्ट और बिहार के एक गैर स्थानीय स्ट्रीट वेंडर को भी गोलियां मारी गई.

तब जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, ‘सतर्कता की स्थिति में इस तरह खुलेआम गोली चलाना कोई कारण नहीं हो सकता. सुरक्षाबलों के वरिष्ठ अधिकारियों को शांति बनाए रखने और स्थिति और नहीं बिगड़े, यह सुनिश्चित करने की जरूरत है.’

परवेज के परिवार ने भी उसकी हत्या की निष्पक्ष जांच की मांग की है. परवेज के बहनोई जाकिर अहमद ने द वायर  को बताया कि उन्होंने पुलिस से शव सौंपने का अनुरोध किया था ताकि उनका अंतिम संस्कार किया जा सके.

उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने हमें शव के नजदीक भी नहीं जाने दिया. पुलिस ने उन लोगों के भी फोन जब्त कर लिए जिन्होंने शव की तस्वीरें खींचने की कोशिश की. हम उसके चेहरे की आखिरी झलक भी नहीं देख पाए. हमें न्याय चाहिए.’

हुसैन के भाई हारुन ने कहा कि जब वे शव की तस्वीरें लेने की कोशिश कर रहे थे तो उनके फोन जब्त कर लिए गए.

उन्होंने कहा, ‘हुसैन को बुधवार को अदालत के समक्ष पेश किया गया. हम एफआईआर की कॉपी हासिल करने के लिए अदालत का रुख करेंगे और फिर जमानत के लिए आवेदन करेंगे.’

हुसैन की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए पीडीपी के प्रवक्ता नजमू साकिब ने कहा, ‘जम्मू एवं कश्मीर पुलिस को पीडीपी नेताओं के उत्पीड़न के कैंपेन को खत्म करना चाहिए. पीडीपी नेता तालिब हुसैन का क्या अपराध किया है? क्या आदिवासी मुदाय के लिए बोलना और उन पर हुए अत्याचारों को उजागर करना अपराध है?’

(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

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