दिल्ली हाईकोर्ट ने एबीवीपी उम्मीदवार रजत चौधरी की याचिका पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय और नवनिर्वाचित छात्रसंघ अध्यक्ष रॉकी तुसीद को नोटिस जारी किया है.
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (डूसू) चुनाव में जीत दर्ज करने वाले एनएसयूआई के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार द्वारा कथित तौर पर आपराधिक रिकॉर्ड छुपाने को दिल्ली हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर माना है.
एबीवीपी उम्मीदवार रजत चौधरी ने अपने विरोधी एनएसयूआई उम्मीदवार रॉकी तुसीद के ख़िलाफ़ अदालत को सूचित किया कि उसने कथित तौर पर अधिकारियों से अपने ख़िलाफ़ आपराधिक मामला होने की बात छिपाई.
रॉकी ने हाल ही में डूसू अध्यक्ष पद का चुनाव जीता है. जस्टिस इंदरमीत कौर ने चौधरी द्वारा पक्षकार बनाने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान तुसीद और दिल्ली विश्वविद्यालय को नोटिस जारी करते हुए कहा कि यह बेहद गंभीर मामला है.
चौधरी ने यह याचिका तुसीद द्वारा दायर उस लंबित याचिका के संबंध में दायर की है जिसमें उसने दिल्ली विश्वविद्यालय निर्वाचन आयोग के अनुशासनात्मक कार्रवाई के आधार पर उसका नामांकन खारिज करने के आदेश को चुनौती दी थी.
अदालत ने इस मामले में तुसीद और विश्वविद्यालय से जवाब मांगते हुए मामले में अगली सुनवाई 15 नवंबर को तय की है.
याचिका में दावा किया गया था कि तुसीद ने डीयू के अधिकारियों को यह जानकारी नहीं दी थी कि पश्चिमी दिल्ली के राजौरी गार्डन पुलिस थाने में साल 2014 में उनके ख़िलाफ़ एक एफआईआर दर्ज की गयी थी.
उन पर चोट पहुंचाने, हत्या के प्रयास और अतिक्रमण का आरोप था. इस संबंध में 28 अगस्त 2014 से लेकर 15 सितंबर 2014 तक वह न्यायिक हिरासत में भी रहे थे. इस मामले में आरोप पत्र भी दायर किया गया था.
संघ समर्थक एबीवीपी उम्मीदवार ने एडवोकेट जीवेश तिवारी और सुमन चौहान के जरिये दायर की गई अपनी याचिका में कहा कि वहां याचिकाकर्ता तुसीद द्वारा जानबूझकर तथ्यों को दबाया गया और गलत तरीके से पेश किया गया है.
उन्होंने अदालत से 08 और 12 सितंबर के उन अंतरिम आदेशों को वापस लिए जाने की भी मांग की जिसके तहत तुसीद को चुनाव लड़ने की अनुमति दी गयी थी और डीयू को नतीजे घोषित करने की इजाजत दी गयी थी.
दैनिक भास्कर से बात करते हुए एनएसयूआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष फ़िरोज़ खान ने रॉकी का बचाव करते हुए कहा कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के लोग हार से बौखला गए हैं और पहले डीयू प्रशासन पर दबाव बनाकर नामांकन रद्द कराया, हाईकोर्ट से राहत मिली तो उम्मीदवारी तय हुई और अब रॉकी जीत गये हैं तो एबीवीपी कोर्ट को भी गुमराह करने में लगी है.
रॉकी पर एफआईआर के मामले पर फ़िरोज़ ने बताया कि वह मामला 2014 का है, जिसमें झगड़ा करने वाले दोनों गुटों ने अदालत को बताया था कि रॉकी का नाम गलती से एफआईआर में नाम दर्ज़ किया गया था.
फ़िरोज़ ने एबीवीपी पर अदालत को गुमराह करने का आरोप लगाया है. रॉकी के दोबारा प्रथम वर्ष में एडमिशन लेकर चुनाव लड़ने और लिंगदोह कमेटी के नियम उल्लंघन पर सफ़ाई देते हुए फ़िरोज़ कहते हैं, ‘रॉकी ने प्रवेश परीक्षा के आधार पर दाख़िला लिया था इसलिए इसमें लिंगदोह कमेटी का उल्लंघन नहीं है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)