कासगंज मामला: मृत युवक के परिजनों ने मांगा न्याय, कहा- पुलिस ने गढ़ी आत्महत्या की कहानी

नौ नवंबर को कासगंज में अल्ताफ़ नाम के युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. पुलिस ने इसे ख़ुदकुशी बताया है जबकि मृतक के परिजनों ने पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने से मौत होने का आरोप लगाया है. अल्पसंख्यक आयोग ने मामले में यूपी प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)

नौ नवंबर को कासगंज में अल्ताफ़ नाम के युवक की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी. पुलिस ने इसे ख़ुदकुशी बताया है जबकि मृतक के परिजनों ने पुलिस द्वारा बेरहमी से पीटे जाने से मौत होने का आरोप लगाया है. अल्पसंख्यक आयोग ने मामले में यूपी प्रशासन से रिपोर्ट तलब की है.

(प्रतीकात्मक तस्वीर, साभार: Flickr/CC BY NC ND 2.0)

अलीगढ़ः उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले में पुलिस हिरासत में 22 साल के युवक की मौत के बाद पीड़ित परिवार के सदस्यों ने आत्महत्या की थ्योरी को नकारते हुए न्याय की मांग की है और जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा दिए जाने की मांग की है.

परिवार ने कहा है कि पुलिस मृतक के पिता द्वारा कथित रूप से हस्ताक्षरित एक पत्र दिखा रही है जिसमें पुलिस को क्लीन चिट देने की बात कही गयी है. परिजनों ने आरोप लगाया कि पुलिस ने इस पत्र के लिए दबाव बनाया था.

मृतक युवक अल्ताफ के चाचा अबरार अहमद ने यहां पत्रकारों से कहा, जिस पत्र में अल्ताफ के पिता के अंगूठे का निशान है और जिसे पुलिस क्लीन चिट का दावा करने के लिए दिखा रही है, उसे पुलिस ने दबाव बनाकर हासिल किया था.

अबरार ने गुरुवार रात को अलीगढ़ में प्रेस क्लब में पत्रकारों से कहा, ‘मेरा भाई अशिक्षित है और एक कागज के टुकड़े पर उसके अंगूठे का निशान ऐसे में लिया गया जब वह सदमे की स्थिति में था.’

उन्होंने कहा, ‘मेरा भाई मुश्किल से चल पाता है और इसलिए मैं उसकी ओर से बोलने के लिए अलीगढ़ आया हूं.’

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि कासगंज पुलिस ने परिवार के एक सदस्य को पांच लाख रुपये की राशि दी है, लेकिन उन्हें नहीं पता कि यह पैसा किसे दिया गया क्योंकि उनके भाई बोलने की स्थिति में नहीं है.

अबरार ने कहा, ‘हमारी मुख्य मांग यह है कि दोषियों को उचित सजा दी जाए क्योंकि अल्ताफ द्वारा आत्महत्या करने की कहानी पूरी तरह से पुलिस द्वारा गढ़ी गई है.’

वहीं, गुुरुवार को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के छात्रों ने कैंपस में विरोध मार्च निकाला था और इलाहाबाद हाईकोर्ट के किसी मौजूदा न्यायाधीश से मामले की न्यायिक जांच कराए जाने की मांग की.

परिवार के सदस्यों का आरोप है कि ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों ने अल्ताफ को मार डाला लेकिन पुलिस का कहना है कि अल्ताफ ने लॉक-अप के वॉशरूम में अपनी जैकेट की डोरी से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली.

अल्ताफ की मौत के बाद पुलिस अधीक्षक रोहन प्रमोद बोत्रे ने बताया था कि एक नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर साथ ले जाने के मामले में पूछताछ के लिए नगला सैयद इलाके के रहने वाले अल्ताफ को हिरासत में लिया गया था. लड़की की गुमशुदगी को लेकर एक हिंदू परिवार ने शिकायत दर्ज कराई थी.

उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान अल्ताफ ने शौचालय जाने की बात कही, उन्हें हवालात के अंदर बने शौचालय जाने दिया गया, जहां उन्होंने जैकेट के हुक में लगी डोरी को शौचालय के नल में फंसाकर अपना गला घोंटने की कोशिश की.

पुलिस के इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि यह नल महज दो-तीन फीट ही ऊंचा था.

इस मामले को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य की योगी सरकार और यूपी पुलिस पर निशाना साधा था और निष्पक्ष जांच की मांग की है.

अल्पसंख्यक आयोग ने हिरासत में युवक की मौत मामले में उप्र प्रशासन से रिपोर्ट तलब की

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस मामले में राज्य प्रशासन से 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट तलब की है.

अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा ने संवाददाताओं को बताया कि उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को पत्र भेजकर रिपोर्ट तलब की है.

उन्होंने कहा, मीडिया में आई खबर पर संज्ञान लेते हुए हमने डीजीपी और मुख्य सचिव को पत्र लिखा. 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट मांगी है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)