दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- आपात स्थिति है

दिल्ली-एनसीआर में बढ़े वायु प्रदूषण को 'आपात स्थिति' बताते हुए शीर्ष अदालत ने प्रशासन से कहा कि वाहनों को रोकने या कुछ दिन का लॉकडाउन लगाने जैसे क़दम तत्काल उठाए जाएं. शनिवार सुबह दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में थी और एक्यूआई 473 था. नोएडा व गुड़गांव में एक्यूआई क्रमश: 587 और 557 रहा.

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13 नवंबर 2021 को स्मॉग से घिरा सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

दिल्ली-एनसीआर में बढ़े वायु प्रदूषण को ‘आपात स्थिति’ बताते हुए शीर्ष अदालत ने प्रशासन से कहा कि वाहनों को रोकने या कुछ दिन का लॉकडाउन लगाने जैसे क़दम तत्काल उठाए जाएं. शनिवार सुबह दिल्ली की वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में थी और एक्यूआई 473 था. नोएडा व गुड़गांव में एक्यूआई क्रमश: 587 और 557 रहा.

13 नवंबर 2021 को स्मॉग से घिरा सुप्रीम कोर्ट. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी को ‘आपात’ स्थिति करार दिया और केंद्र एवं दिल्ली सरकार से कहा कि वे वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए आपात कदम उठाएं.

प्रधान न्यायाधीश जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि प्रदूषण की स्थिति इतनी खराब है कि लोग अपने घरों के भीतर मास्क पहन रहे हैं. इस पीठ में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत भी शामिल थे.

इस पीठ ने कहा, ‘हर किसी को किसानों को जिम्मेदार ठहराने की धुन सवार है. क्या आपने देखा कि दिल्ली में पिछले सात दिनों में कैसे पटाखे जलाए गए हैं? यह आपात स्थिति है, जमीनी स्तर पर कई कदम उठाने की जरूरत है.’

अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से प्रदूषण कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने तथा सोमवार को रिपोर्ट देने को कहा.

न्यायालय ने इस तथ्य का भी संज्ञान लिया कि राष्ट्रीय राजधानी में स्कूल खुल गए हैं और प्रशासन से कहा कि वाहनों को रोकने या कुछ दिन का लॉकडाउन लगाने जैसे कदम तत्काल उठाए जाएं.

केंद्र सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पंजाब में पराली जलाई जा रही है.

पीठ ने कहा, ‘आपका मतलब यह लगता है कि सिर्फ किसान जिम्मेदार हैं. दिल्ली में प्रदूषण को नियंत्रित करने से जुड़े कदमों का क्या है?’

मेहता ने स्पष्ट किया कि उनका कहने का मतलब यह नहीं है कि सिर्फ किसान जिम्मेदार हैं.

इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी में शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ की श्रेणी में रही और इस दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 473 रहा. राष्ट्रीय राधानी से सटे नोएडा और गुड़गांव में एक्यूआई क्रमश: 587 और 557 दर्ज किया गया.

दिल्ली में सुबह दस बजे एक्यूआई 473 रहा. लोधी रोड, दिल्ली विश्वविद्यालय, आईआईटी दिल्ली, पूसा रोड और दिल्ली हवाई अड्डे पर एक्यूआई क्रमश: 489, 466, 474, 480 और 504 रहा.

शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच में ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 तक ‘खराब’, 301 से 400 के बीच में ‘बेहद खराब’ तथा 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.

प्राधिकारियों ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की शुक्रवार को सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण वाहनों के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया.

चार हजार से अधिक खेतों में पराली जलाए जाने के कारण दिल्ली के प्रदूषण में शुक्रवार को इसका योगदान 35 प्रतिशत रहा और अपराह्न चार बजे तक 24 घंटे के औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) का स्तर 471 दर्ज किया गया. एक्यूआई गुरुवार को 411 था.

‘ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) पर एक उप समिति के अनुसार 18 नवंबर तक प्रदूषकों के फैलने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी और संबंधित एजेंसियों को ‘आपात’ श्रेणी के तहत कदम उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए.

घरों से बाहर न जाएं, सरकारी और निजी दफ़्तर वाहनों का उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करें: सीपीसीबी

इससे पहले शुक्रवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने लोगों को घरों से बाहर जाने से बचने की सलाह दी और सरकारी और निजी कार्यालयों को राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण वाहनों के उपयोग को 30 प्रतिशत तक कम करने का निर्देश दिया.

सीपीसीबी ने एक आदेश में कहा कि दिन में पहले हुई एक समीक्षा बैठक में यह देखा गया कि 18 नवंबर तक रात के दौरान कम हवाओं के कारण प्रदूषकों के छितराने के लिए मौसम संबंधी स्थितियां अत्यधिक प्रतिकूल रहेंगी.

सीपीसीबी ने कहा, ‘सरकारी और निजी कार्यालयों और अन्य प्रतिष्ठानों को सलाह दी जाती है कि वे वाहन के उपयोग को कम से कम 30 प्रतिशत (घर से काम करके, कार-पूलिंग, बाहरी गतिविधियों को सीमित करके, आदि) तक कम करें.’

सीपीसीबी ने कहा कि कार्यान्वयन एजेंसियों को, उचित स्तर पर की गई कार्रवाइयों की बारीकी से निगरानी करनी चाहिए और प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और संबंधित समितियों को दैनिक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी चाहिए, जो वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) और सीपीसीबी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी.

उसने कहा, ‘संबंधित एजेंसियों को जीआरएपी (श्रेणीबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना) के अनुसार ‘आपातकालीन’ श्रेणी के तहत उपायों के कार्यान्वयन के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए.’’

सीपीसीबी के सदस्य सचिव प्रशांत गर्गव ने कहा कि प्रतिकूल मौसम, पराली जलाने और कम हवाओं के कारण प्रदूषकों के नहीं छितराने के परिणामस्वरूप आने वाला सप्ताह दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता के संबंध में काफी महत्वपूर्ण है.

सीपीसीबी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों से दैनिक आधार पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट (एटीआर) प्राप्त होती है, लेकिन दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति और राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से इन रिपोर्टों का इंतजार है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)