त्रिपुरा पुलिस ने विहिप सदस्य की शिकायत पर एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क की दो पत्रकारों- समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. इससे पहले पुलिस ने हिंसा संबंधित ख़बरों को ऑनलाइन पोस्ट करने को लेकर दो वकीलों और कई पत्रकारों समेत 102 लोगों पर यूएपीए के तहत केस दर्ज किया है.
नई दिल्लीः त्रिपुरा हिंसा को लेकर की गई रिपोर्टिंग के संबंध में एचडब्ल्यू न्यूज नेटवर्क की दो पत्रकारों समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा के खिलाफ त्रिपुरा में एफआईआर दर्ज की गई है.
रविवार शाम चार बजे के करीब इनमें से एक पत्रकार ने बताया कि उन्हें असम के करीमगंज में हिरासत में लिया गया है.
त्रिपुरा में हो रही हिंसा के संबंध में मस्जिदों पर हमले और तोड़फोड़ के मामलों की पड़ताल कर उन्हें कवर कर रही इन दो पत्रकारों के खिलाफ राज्य के कुमारघाट पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है.
यह एफआईआर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) की स्थानीय नेता कंचन झा की शिकायत पर 14 नवंबर को दर्ज की गई.
शिकायत में आईपीसी की तीन धाराओं को दर्ज किया गया है, जो आपराधिक षडयंत्र, विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और जानबूझकर शांतिभंग करने से संबंधित हैं.
We have been detained at the Nilambazar police station, Karimganj, Assam. We were informed by the officer in-charge of Nilambazar PS that SP of Gomti District gave the orders for our detention.
Official statement by @hwnewsnetwork . @Jha_Swarnaa pic.twitter.com/l3JPKUq7kw— Samriddhi K Sakunia (@Samriddhi0809) November 14, 2021
रिपोर्ट के मुताबिक, दास की शिकायत में दावा किया गया है कि पॉल बाजार इलाके में मुस्लिम समुदाय के लोगों से मिलने के दौरान पत्रकारों ने हिंदू समुदाय और त्रिपुरा सरकार के खिलाफ भड़काऊ बातें कहीं.
शिकायत में कहा गया कि पत्रकारों ने पॉल बाजार इलाके में मस्जिद जलाने के लिए विहिप और बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया था.
दास ने शिकायत में कहा कि ये पत्रकार त्रिपुरा के सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने और विहिप एवं त्रिपुरा सरकार की छवि धूमिल करने के लिए की गई आपराधिक साजिश का हिस्सा है.
ये पत्रकार त्रिपुरा के धर्मनगर के एक होटल में ठहरी हुई थीं. सुकनिया ने द वायर को बताया, ‘पुलिस शनिवार रात लगभग 10.30 बजे होटल आई थी और हमें तड़के 5.30 बजे एफआईआर की कॉपी दी गई. हमें राजधानी अगरतला जाना था लेकिन पूरे सहयोग के बावजूद हमें होटल से बाहर निकलने नहीं दिया गया.’
हालांकि, सुकनिया और स्वर्णा को अब अपने होटल से निकलने की अनुमति दी गई है और 21 नवंबर को राज्य में रिपोर्ट करने को कहा गया है.
सुकनिया ने कहा, ‘हमें धमकाया और डराया गया क्योंकि हमने उस सच्चाई को उजागर किया जो वास्तविक में हो रही थी. क्या पत्रकारिता अपराध है? मुझे मेरा काम करने और अपराध की रिपोर्टिंग करने से रोका गया.’
FIR🚨 in #Tripura@Jha_Swarnaa and I, the correspondent at @hwnewsnetwork have been booked under 3 sections of IPC at the Fatikroy police station, Tripura.
VHP filed complaint against me and @Jha_Swarnaa FIR has been filed under the section: 120(B), 153(A)/ 504.
Copy of FIR pic.twitter.com/a8XGC2Wjc5
— Samriddhi K Sakunia (@Samriddhi0809) November 14, 2021
पुलिस ने कथित तौर पर दोनों पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया करने के बहाने उनके परिवहन विवरण और आधार कार्ड की जानकारी इकट्ठा की. जब वे चेकआउट कर रही थीं, तब उन्हें पता चला कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.
नोटिस में कहा गया कि आपके और अन्य शरारती तत्वों के खिलाफ केस दर्ज किया जा रहा है और आपसे पूछताछ करने का उचित आधार है.
पत्रकारों के खिलाफ आरोपों की पुष्टि करते हुए सब डिविजनल पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) कुमारघाट गमंजय रियांग ने द वायर को बताया, ‘एफआईआर के आधार पर हम धर्मनगर के एक होटल में रह रहे पत्रकारों से मिलने गए. हमने उनकी मंजूरी ली और उनसे बुनियादी जानकारी हासिल की. हमने उन्हें नोटिस दिया. उन्होंने हमसे आग्रह किया कि हम उन्हें कुछ समय दें ताकि वह अपने वकील के साथ पेश हो सकें इसलिए हमने उन्हें कुछ समय दिया. मुझे लगता है वे पहले ही राज्य से बाहर जा चुके हैं.’
पत्रकार स्वर्णा ने जारी बयान में कहा, ‘हम बीते तीन दिनों से त्रिपुरा में थे. पूरा दिन पुलिस हमारे साथ थी. हमें पुलिस से आधिकारिक बाइट नहीं मिली. हमसे हमारे यात्रा विवरण के बारे में पूछा गया, हमसे सुरक्षा मुहैया कराने के बहाने हमारी जानकारी मांगी गई. हमें अब पता चला कि विहिप सदस्यों ने हमारे खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. क्या ग्राउंड जीरो से रिपोर्ट करना अपराध है?’
आलोचकों पर कार्रवाई
त्रिपुरा पुलिस कथित तौर पर राज्य में मस्जिदों को जलाने और उनमें तोड़फोड़ करने की सकुनिया की रिपोर्टिंग के दावे का विरोध कर रही है. पुलिस ने उन वकीलों और कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी कार्रवाई की है, जिन्होंने राज्य में मस्जिदों में कथित तोड़फोड़ की सूचना दी.
बीते हफ्ते ही त्रिपुरा में हिंसा संबंधित खबरों को ऑनलाइन पोस्ट करने को लेकर पुलिस ने दो वकीलों और 102 ट्विटर यूजर्स के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया.
ये दोनों वकील उस फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने त्रिपुरा में हिंसा को लेकर रिपोर्ट तैयार की.
अंसार इंदौरी नेशनल कन्फेडेरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स के सचिव हैं जबकि मुकेश यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज के लिए काम करते हैं.
दोनों वकीलों पर आईपीसी की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 153ए (विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा देना), 153बी (राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने से संबंधित), 469 (सम्मान को चोट पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी), 471 (किसी दस्तावेज या अभिलेख के फर्जी होने की बात जानते हुए भी उसे असल के रूप में उपयोग में लाना), 503 (आपराधिक रूप से धमकाना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) के तहत आरोप लगाए गए हैं.
ये अधिवक्ता चार सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा थे, जिन्होंने राज्य में मुस्लिम विरोधी हिंसा की रिपोर्टों के बाद क्षेत्र में तनाव के माहौल का दस्तावेजीकरण करने के लिए 29-30 अक्टूबर को राज्य का दौरा किया था.
‘ह्यूमैनिटी अंडर अटैक इन त्रिपुराः मुस्लिम लाइव्ज मैटर’ नाम की रिपोर्ट में कम से कम 12 मस्जिदों, मुस्लिम परिवारों की नौ दुकानें और तीन घरों में तोड़फोड़ के ब्योरे को शामिल किया गया है.
बता दें कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर त्रिपुरा में 51 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन हुए.
इन वकीलों द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन करने की मांग की गई और राज्य में मुस्लिमों के खिलाफ हेट क्राइम और तोड़फोड़ में शामिल लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग की गई थी.
त्रिपुरा में हिंसा की घटनाओं को लेकर विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विरोध करने और इसका जिक्र करने पर भी 100 से अधिक लोगों के खिलाफ यूएपीए के खिलाफ मामला दर्ज किया गया.
इसके साथ ही 68 ट्विटर एकाउंट यूजर्स, 32 फेसबुक एकाउंट यूजर्स और दो यूट्यूब एकाउंट के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया. ये मामले सबसे पहले पश्चिम अगरतला पुलिस थाने में दर्ज किए गए थे, जिन्हें अब राज्य की अपराध शाखा को सौंप दिया गया है.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)