सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले की जांच की निगरानी के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया. पीठ ने कहा कि जांच के परिणाम में पारदर्शिता और पूर्ण निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए जैन की नियुक्ति की गई है.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर खीरी मामले में उत्तर प्रदेश के विशेष जांच दल (एसआईटी) की हरेक दिन की जांच की निगरानी करने के लिए बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया.
लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया क्षेत्र में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. शीर्ष अदालत इसी मामले को सुन रही थी.
पीठ ने कहा, ‘अब हमने सत्यापित किया है और उस संबंधित न्यायाधीश से संपर्क किया है जिनके बारे में हमने सोचा था. वह हैं – पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस राकेश कुमार जैन, जो चल रही जांच की निगरानी करेंगे, ताकि पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके.’
शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी पद्मजा चौहान सहित तीन आईपीएस अधिकारियों को समायोजित करने के लिए उत्तर प्रदेश एसआईटी का पुनर्गठन करना होगा.
पीठ ने कहा, ‘उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश की देखरेख में एसआईटी की जांच जारी रखी जाएगी और आरोप पत्र दायर होने एवं पूर्व न्यायाधीश द्वारा स्थिति रिपोर्ट दाखिल किए जाने के बाद मामले को फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा.’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि विस्तृत आदेश जल्द ही पारित किया जाएगा. पीठ ने कहा कि नियुक्ति जांच के परिणाम में पारदर्शिता, निष्पक्षता और पूर्ण निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है, जो समयबद्ध तरीके से आयोजित की जानी है.
एसआईटी का पुनर्गठन करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा, ‘हमें सूचित किया जाता है कि वर्तमान एसआईटी में मुख्य रूप से जिला लखीमपुर खीरी में तैनात मध्यम स्तर/अधीनस्थ स्तर के पुलिस अधिकारी शामिल हैं. हमें ऐसा प्रतीत होता है कि जांच को अंजाम देने में उनकी कथित प्रतिबद्धता और ईमानदारी के बावजूद, इस तरह की जांच की निष्पक्षता और स्वतंत्रता के संबंध में अभी भी एक गुप्त संदेह हो सकता है. इसलिए, हम सीधे भर्ती हुए आईपीएस अधिकारियों के साथ एसआईटी के पुनर्गठन का निर्देश देना उचित समझते हैं, जो यूपी राज्य से नहीं हैं, हालांकि यूपी कैडर को आवंटित किया गया है.’
शिराडकर, एडीजी (खुफिया मुख्यालय), एसआईटी के प्रमुख होंगे. चौहान आईजी रैंक के अधिकारी हैं जबकि प्रीतिंदर सिंह डीआईजी हैं.
यूपी सरकार ने सात अक्टूबर को डीआईजी उपेंद्र कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में नौ सदस्यीय एसआईटी का गठन किया था.
आदेश में कहा गया है, ‘नव गठित एसआईटी लखीमपुर खीरी की स्थानीय पुलिस से मदद लेने और उससे जुड़ने या उसे शामिल करने के लिए स्वतंत्र होगी ताकि चल रही जांच को उसके तार्किक निष्कर्ष पर ले जाया जा सके.’
साथ ही कहा, ‘जांच को तेजी से समाप्त करने और चार्जशीट दाखिल करने के लिए सभी प्रयास करेंगे.’
शीर्ष अदालत ने कहा कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद निगरानी न्यायाधीश से स्थिति रिपोर्ट मिलने पर वह मामले की फिर से सुनवाई करेगी.
मालूम हो कि उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव पर सहमति जताई थी कि राज्य एसआईटी की जांच की निगरानी के लिए उसकी पसंद के एक पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है.
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने आठ नवंबर को जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए सुझाव दिया था कि जांच में ‘स्वतंत्रता और निष्पक्षता’ लाने के लिए दूसरे उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश को दैनिक आधार पर इसकी निगरानी करनी चाहिए.
पीठ ने यह भी कहा था कि उसे भरोसा नहीं है और वह नहीं चाहती कि राज्य द्वारा नियुक्त एक सदस्यीय न्यायिक आयोग मामले की जांच जारी रखे.
लखीमपुर खीरी जिले में तिकोनिया-बनबीरपुर मार्ग पर हुई हिंसा की जांच के लिए राज्य सरकार ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश प्रदीप कुमार श्रीवास्तव को नामित किया था.
न्यायालय ने इस जांच पर असंतोष व्यक्त करते हुए कहा था, ‘पहली नजर में ऐसा लगता है कि एक आरोपी विशेष (किसानों को कुचले जाने के मामले में) को किसानों की भीड़ द्वारा राजनीतिक कार्यकर्ताओं की पिटाई संबंधी दूसरे मामले में गवाहों से साक्ष्य हासिल करने के नाम पर लाभ देने का प्रयास हो रहा है.’
पीठ ने कहा था, ‘हम दिन-प्रतिदिन जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने के इच्छुक हैं और फिर देखते हैं कि अलग-अलग आरोप पत्र कैसे तैयार किए जाते हैं.’
पीठ की ओर से बोलते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के दोनों पूर्व न्यायाधीशों, जस्टिस रंजीत सिंह और जस्टिस राकेश कुमार जैन के नामों का सुझाव दिया था और कहा था कि वे आपराधिक कानून के क्षेत्र में अनुभवी हैं और मामलों में आरोप पत्र दाखिल किए जाने तक एसआईटी जांच की निगरानी करेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश कुमार अवस्थी ने कहा कि राज्य द्वारा नियुक्त इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश जस्टिस प्रदीप कुमार श्रीवास्तव का एक सदस्यीय जांच आयोग को भंग कर दिया जाएगा.
पुलिस इस मामले में अब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा समेत 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में मुख्य अभियुक्त आशीष मिश्रा की राइफल और दो अन्य हथियारों से गोली चलाए जाने की पुष्टि हुई है.
गौररलब है कि लखीमपुर खीरी के सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के विरोध में पिछले महीने तीन अक्टूबर को वहां के आंदोलित किसानों ने उनके (टेनी) पैतृक गांव बनबीरपुर में आयोजित एक समारोह में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के जाने का विरोध किया था. इसके बाद भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. किसानों की मौत गाड़ी से कुचल दिए जाने की वजह से हुई थी.
केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में करीब एक साल से आंदोलन कर रहे किसानों की नाराजगी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के उस बयान के बाद और बढ़ गई थी, जिसमें उन्होंने किसानों को ‘दो मिनट में सुधार देने की चेतावनी’ और ‘लखीमपुर खीरी छोड़ने’ की चेतावनी दी थी.
गाड़ी से कुचल जाने से मृत किसानों की पहचान- गुरविंदर सिंह (22 वर्ष), दलजीत सिंह (35 वर्ष), नक्षत्र सिंह और लवप्रीत सिंह के रूप में की गई है.
बीते तीन अक्टूबर को भड़की हिंसा में भाजपा के दो कार्यकर्ता- शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर निषाद, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के ड्राइवर हरिओम मिश्रा और एक निजी टीवी चैनल के लिए काम करने वाले पत्रकार रमन कश्यप की भी मौत हो गई थी.
किसानों का आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा के पुत्र आशीष मिश्रा ने किसानों को अपनी गाड़ी से कुचला. हालांकि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री ने इस बात से से इनकार किया है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)