इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, असम, मिजोरम और मणिपुर के प्रमुख समाचार.
ईटानगर/अगरतला/सिलचर/गुवाहाटी/इम्फालः नई सैटेलाइट तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश में एक नया एन्क्लेव बनाया है, जिसमें लगभग 60 इमारतें हैं.
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सैटेलाइट तस्वीरों के अनुसार यह एन्क्लेव 2019 में नहीं था लेकिन एक साल बाद इसे देखा गया. जनवरी में अरुणाचल प्रदेश के जिस इलाके में कब्जा किए जाने की खबर सामने आई थी, यह नया एन्क्लेव उस इलाके से 93 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.
यह नया एन्क्लेव भारत के लगभग छह किलोमीटर भीतर स्थित है और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा के बीच है. भारत ने हमेशा इसे अपना इलाका होने का दावा किया है. तस्वीरों से यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि एन्क्लेव में लोग बसे हुए हैं या नहीं.
इस नए एन्क्लेव का पता सैटेलाइट तस्वीर प्रदाता कंपनियों मैक्सर टेक्नोलॉजीज़ और प्लैनेट लैब्स की तस्वीरों से साबित होता है.
दरअसल अरुणाचल प्रदेश के शी-योमी जिले की इन तस्वीरों में न सिर्फ दर्जनों इमारतें नजर आ रही हैं बल्कि एक इमारत की छत पर चीन का झंडा भी नजर आ रहा है, जो आकार में इतना बड़ा है कि सैटेलाइट तस्वीरों में देखा गया.
त्रिपुरा: भाजपा-टीएमसी समर्थकों के बीच झड़प में 19 लोग घायल, धारा 144 लागू
त्रिपुरा के खोवई जिले के तेलियामुरा में भाजपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थकों के बीच हुई झड़प में कम से कम 19 लोग घायल हो गए, जिसके बाद इलाके में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है.
पुलिस ने बताया कि राज्य में नगर निकाय चुनावों से कुछ दिन पहले हुई इस झड़प में घायल हुए लोगों में दो पुलिसकर्मी भी शामिल हैं.
घटना के बाद प्रशासन को तेलियामुरा नगर परिषद के वार्ड संख्या 13,14 और 15 में धारा 144 लगानी पड़ी.
गुरुवार देर रात जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तेलियामुरा उपसंभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) मोहम्मद सज्जाद पी. ने जारी आदेश में तेलियामुरा नगर परिषद के वार्ड 13,14 और 15 में धारा 144 लगा दी. यह आदेश 24 नवंबर तक लागू रहेगा.
अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक (कानून-व्यवस्था) सुब्रत चक्रवर्ती ने कहा कि कालीतिला इलाके में बुधवार रात करीब साढ़े नौ बजे उस वक्त यह विवाद शुरू हुआ, जब टीएमसी कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे और भाजपा कार्यालय के पास पहुंच गए.
उन्होंने बताया कि दोनों दलों के समर्थक आमने-सामने आ गए, जिस कारण झड़प हुई. उन्होंने कहा, ‘अचानक से टीएमसी कार्यकर्ताओं ने भाजपा समर्थकों पर हमला कर दिया जिन्होंने जवाब में हमला किया.’
चक्रवर्ती ने कहा कि पुलिस ने दोनों गुटों को शांत करने की कोशिश की लेकिन उसे स्थिति नियंत्रित करने के लिए मामूली बल का और आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा.
उन्होंने बताया कि दो पुलिसकर्मी समेत 19 लोग झड़प में घायल हुए. घटना के सिलसिले में तेलियामपुरा पुलिस थाने में तीन मामले दर्ज किए गए. पुलिस ने कहा कि दो मामले टीएमसी कार्यकर्ता अनिर्बान सरकार के पिता ने दर्ज कराए हैं जिसे चोट आने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
उन्होंने बताया कि पुलिस ने हत्या का प्रयास, जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाने और गैर कानूनी तरीके से सभा करने के आरोपों में एक अलग मामला दर्ज किया है.
पुलिस ने बताया कि सरकार समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से चार को अदालत के समक्ष पेश किया गया जहां से इन्हें 30 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. सरकार को अस्पताल में भर्ती होने की वजह से अदालत में पेश नहीं किया जा सका.
टीएमसी ने निकाय चुनाव में पक्षपात का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग पर प्रदर्शन किया
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने शुक्रवार को बड़ी संख्या में एकत्र होकर त्रिपुरा चुनाव आयोग के सामने प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन 25 नवंबर को होने वाले निकाय चुनावों में आयोग की पक्षपातपूर्ण भूमिका के विरोध में किया गया.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, इन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा कथित तौर पर की गई हिंसा के खिलाफ पुलिस की निष्क्रियता को लेकर नारेबाजी की और प्रशासन पर सीधे सत्तारूढ़ दल के लिए काम करने का आरोप लगाया.
टीएमसी नेताओं का कहना है कि सभी के लिए समानता सुनिश्चित करने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बावजूद स्टेट मशीनरी इसका पालन करने में असफल रही.
टीएमसी की राज्यसभा सांसद सुष्मिता देव ने कहा, हम चुनाव आयोग से आश्वासन चाहते हैं कि विपक्षी दलों को भाजपा की तरह प्रचार करने के समान अवसर मिलेंगे और लोग स्वतंत्र रूप से बिना डरे अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे. आयोग को हमें आश्वस्त करना है कि मतगणना तक पूरी चुनाव प्रक्रिया निष्पक्ष होगी.
उन्होंने मांगें माने जाने और टीएमसी उम्मीदवारों को पूर्ण सुरक्षा मिलने तक आंदोलन को जारी रखने की धमकी दी.
टीएमसी ने राज्य के गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, जिला मजिस्ट्रेट (पश्चिम त्रिपुरा) और सभी जिला पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की. दरअसल निकाय चुनाव सुनिश्चित करने के लिए विपक्षी दलों को प्रचार करने की अनुमति देने के निर्देश का पालन करने में असफल रहने पर यह याचिका दायर की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने खतरे का आकलन करने और उसके आधार पर नेताओं को सुरक्षा मुहैया कराने के राज्य पुलिस को निर्देश दिए थे लेकिन आज तक टीएमसी के एक भी नेता को सुरक्षा मुहैया नहीं कराई गई.
उन्होंने डीजीपी को पत्र लिखकर टीएमसी कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए त्वरित कार्रवआई करने की मांग की.
प्रेस परिषद ने दो पत्रकारों की गिरफ़्तारी पर त्रिपुरा प्रशासन से रिपोर्ट तलब की
भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के चेयरमैन जस्टिस चंद्रमौली कुमार प्रसाद ने दो महिला पत्रकारों स्वर्णा झा और समृद्धि सकुनिया की गिरफ्तारी को लेकर बुधवार को त्रिपुरा पुलिस के महानिदेशक और मुख्य सचिव से जवाब मांगा है.
पीसीआई ने जारी बयान में कहा कि जस्टिस प्रसाद ने पत्रकारों की गिरफ्तारी को लेकर गहरी चिंता जताई है और राज्य में शीर्ष दो अधिकारियों से जवाब मांगा है.
उन्होंने मधुबनी के पत्रकार अविनाश झा की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को लेकर स्वत: संज्ञान भी लिया और राज्य के मुख्य सचिव और डीजीपी से रिपोर्ट मांगी.
आधिकारिक बयान में पीसीआई के अध्यक्ष जस्टिस सीके प्रसाद ने पत्रकार अविनाश झा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत पर चिंता व्यक्त की. मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए जस्टिस प्रसाद ने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक से रिपोर्ट मांगी है.
बिहार पुलिस ने बुधवार को मधुबनी के पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता अविनाश झा उर्फ बुद्धिनाथ के अपहरण और हत्या के मामले का खुलासा करने का दावा करते हुए कहा कि उनकी हत्या प्रेम त्रिकोण के कारण की गई. पुलिस अब तक एक महिला समेत छह लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है.
हालांकि, पुलिस झा के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की भी जांच कर रही है कि अवैध क्लीनिक संचालित करने वाले गिरोह ने उनकी हत्या की क्योंकि झा अक्सर ऐसे प्रतिष्ठानों की अवैध गतिविधियों के बारे में लिखते थे.
स्थानीय न्यूज वेबसाइट के लिए काम करने वाले झा को आखिरी बार नौ नवंबर को देखा गया था और शुक्रवार को उनका अधजला शव सड़क के किनारे मिला था.
सत्तारूढ़ भाजपा विधायक ने डीजीपी को पत्र लिखकर कहा- लोगों का पुलिस में विश्वास ख़त्म हो रहा
त्रिपुरा के सत्तारूढ़ भाजपा विधायक सुदीप रॉय बर्मन ने कहा है कि त्रिपुरा के लोगों का राज्य पुलिस पर से विश्वास उठ रहा है. इसे लेकर उन्होंने राज्य के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) वीएस यादव को एक पत्र लिखा है.
बर्मन का ये बयान ऐसे वक्त पर आया है, जब राज्य के विभिन्न हिस्सों में भाजपा समेत सभी पार्टियों के नेताओं पर कथित हमले की खबरें आ रही हैं. राज्य में 25 नवंबर को शहरी स्थानीय निकायों का चुनाव होने वाला है.
बीते 12 नवंबर को लिखे पत्र में बर्मन ने डीजीपी से 6 अगरतला विधानसभा क्षेत्र के आठ वार्डों को ‘सबसे कमजोर और अतिसंवेदनशील’ घोषित करने का आग्रह किया है.
बर्मन ने पत्र में आरोप लगाया है कि मतदाताओं में भय का माहौल है और वे खतरे में हैं. उन्होंने कहा, ‘मुझे यह देखकर दुख होता है कि लोगों का पुलिस पर से विश्वास तेजी से कम होता जा रहा है. बदमाश और अपराधी मौज-मस्ती कर रहे हैं और कानून अपने हाथ में ले रहे हैं, लेकिन पुलिस दबाव में झुक जा रही है.’
बर्मन ने आगे कहा, ‘एक जन प्रतिनिधि होने के नाते मुझे आप और आपके कार्यालय पर बहुत भरोसा है और विश्वास है कि आप आम लोगों के खोए हुए विश्वास को वापस पाने के लिए सभी आवश्यक और साहसिक कदम उठाएंगे.’
उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में पूरा आतंक का माहौल बनाया जा रहा है, ताकि मतदाता वोट न डाल सकें. भाजपा नेता ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि वार्ड नं. 13 के एक उम्मीदवार ने अल्पसंख्यक समुदायों को धमकी दी है, वे वोट डालने न आएं, नहीं तो इसका उन्हें भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा.
यह पत्र त्रिपुरा के उत्तरी जिले के पानीसागर उप-मंडल में हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं के खिलाफ आवाज उठा रहे लोगों पर यूएपीए तहत केस दर्ज करने के लिए राज्य पुलिस की व्यापक आलोचना के बीच आया है.
बर्मन ने अपने पत्र में कहा है कि उन्हें भाटी अभयनगर, बिटरबन, मुल्ला पारा, दासपारा, ऋषि कॉलोनी में विभिन्न वर्गों के लोगों से ‘नियमित धमकियों’ के बारे में कई शिकायतें मिली हैं.
असमः सरकार ने निर्माण कार्य जारी रखने के मिजोरम के आरोपों का खंडन किया
असम के वन मंत्री परिमल शुक्लाबैद्य ने गुरुवार को मिजोरम के उस आरोप का खंडन किया, जिसमें कहा गया था कि उनकी सरकार केंद्रीय गृह मंत्रालय की पांच नवंबर की एडवाइजरी का पालन नहीं कर रही जिसमें दोनों राज्यों को 164.6 किलोमीटर अंतर-राज्यीय सीमा सहित निर्माण कार्यों पर यथास्थिति बनाए रखने की जरूरत है.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, परिमल ने मिजोरम के गृहमंत्री लालचमलियाना के आरोपों का खंडन करते हुए कहा, ‘हमारे जिले यथास्थिति बनाए हुए हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में कोई निर्माण नहीं हो रहा. हम हमारे पेड़ों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं जिन्हें मिजोरम के कुछ समूह नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं.’
मिजोरम की राज्य सीमा समिति की बैठक में लालचमलियाना ने कोलासिब और मामित जिलों के उपायुक्तों को निर्माण गतिविधियों को इस आधार पर फिर से शुरू करने के निर्देश दिए कि असम ने अपनी तरफ से निर्माण कार्यों को नहीं रोका है.
यह निर्देश ऐसे समय पर आए हैं, जब एक स्थानीय निकाय ने मिजोरम सरकार को सीमावर्ती जिलों में निर्माण कार्य रोकने के 11 नवंबर के फैसले को वापस लेने का अल्टीमेटम दिया है.
उल्लेखनीय है कि दोनों राज्यों की पुलिस के बीच 26 जुलाई को हिंसक झड़प में असम पुलिस के कम से कम छह कर्मी और एक नागरिक की मौत हो गई थी और 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे.
इसके बाद असम की बराक घाटी में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 306 पर कई समूहों के आर्थिक नाकेबंदी करने के बाद मिजोरम के लिए आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई थी.
दोनों राज्य असम के कछार, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों तथा मिजोरम के कोलासिब, मामित और आइजोल जिलों के बीच 164.6 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं.
दरअसल, दोनों राज्यों की क्षेत्रीय सीमा को लेकर अलग-अलग व्याख्याएं हैं. मिजोरम का मानना है कि उसकी सीमा तराई क्षेत्र के लोगों के प्रभाव से आदिवासियों को बचाने के लिए 1875 में खींची गई इनर लाइन तक है, जबकि असम 1930 के दशक में किए गए जिला रेखांकन सर्वेक्षण को मानता है.
सीमा विवाद की जांच करेगी राष्ट्रीय जांच एजेंसी
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने हैलाकांडी और कछार जिलों में असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद की जांच शुरू कर दी है.
द असम ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, बीते कुछ दिनों के दौरान एनआईए अधिकारियों ने मिजोरम की सीमा से सटे हैलाकांडी जिले के रामनाथपुर इलाके का दौरा किया था.
बता दें कि एनआईए देश की आंतक रोधी टास्क फोर्स है. एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच की पुष्टि की है. एनआईए अधिकारी बीते कुछ सालों से हैलाकांडी और कछार जिलों में स्कूलों में बम विस्फोटों की भी जांच कर रहे हैं.
बता दें कि कछार में हुई फायरिंग में एक नागरिक समेत छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
कहा गया था कि मिजोरम ने कथित तौर पर असम की हजारों हेक्टेयर जमीन पर अतिक्रमण कर लिया है. दोनों राज्यों के बीच वार्ता केंद्रीय गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों की मौजूदगी में जारी है लेकिन अभी तक सीमा विवाद सुलझा नहीं है.
इस बीच कतलीचेरा के विधायक सुजाम उद्दीन लस्कर ने हैलाकांडी जिले के रामनाथपुर इलाके में सुपारी से लदे चालीस ट्रकों को छोड़ने की मांग की है.
लस्कर का कहना है कि पुलिस ने मिजोरम के सीम प्रवेश द्वार से सुपारी से लदे चालीस ट्रकों को रोककर रखा है.
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि सभी ट्रक चालक और कारोबारी बहुत गरीब हैं और अपने व्यवसाय के जरिये आजीविका कमाते हैं. कारोबारी उद्देश्य से मिजोरम से सुपारी लाना गैरकानूनी नहीं है.
वहीं, रामनातपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी लिटन नाथ ने बताया कि उन्हें उच्चाधिकारियों से सुपारी लदे ट्रकों को रोकने के निर्देश मिले हैं.
मणिपुरः एडीसी बिल को लेकर आदिवासी छात्र संगठनों का विरोध प्रदर्शनों का ऐलान
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम), ऑल नगा स्टूडेंट्स एसोसिएशन मणिपुर (एएनएसएएम), कुकी स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन-जनरल हेडक्वाटर्स (केएसओ-जीएचक्यू) और एटीएसयूएम की संघ इकाइयों ने नए स्वायत्त जिला परिषद (एडीसी) बिल को लेकर मणिपुर के पहाड़ी जिलों में शनिवार से आंदोलन की श्रृंखला शुरू करने का ऐलान किया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्र संगठनों ने शनिवार को 24 घंटे का पूर्ण बंद किया, इसके बाद वे सोमवार से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी करेंगे.
एटीएसयूएम के प्रचार एवं सूचना सचिव खैमिनलेन डोंगेल ने कहा कि राज्य सरकार और संयुक्त छात्र संगठनों के बीच शुक्रवार को मुख्यमंत्री की मौजूदगी में मुख्यमंत्री कार्यालय में आधिकारिक वार्ता हुई, जिसमें एचएसी ने मणिपुर (पहाड़ी क्षेत्र) एडीसी बिल 2021 पर चर्चा की.
डोंगेल ने कहा कि हालांकि, दोनों ही पक्ष किसी भी सहमतिपूर्ण समाधान पर नहीं पहुंच सके, जिसके परिणामस्वरूप घोषित आंदोलन निर्धारित समय सारणी के अनुरूप ही होगा.
इससे पहले संयुक्त छात्र संगठनों ने राज्य सरकार को सात दिन का अल्टीमेटम दिया था, जिसमें एडीसी बिल 2021 को राज्य विधानसभा में पेश करने के लिए विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग दोहराई थी.
इस मांग पर ध्यान नहीं देने पर राज्य के पूरे पहाड़ी जिलों में 20 नवंबर को 24 घंटे के पूर्ण बंद का ऐलान किया गया.
बता दें कि इस साल अगस्त में मणिपुर विधासभा की एचएसी ने एक नए बिल की सिफारिश की थी, दावा किया गया है कि इसका उद्देश्य पहाड़ी जिलों में समान विकास लाना है.
असम राइफल्स पर हुए उग्रवादी हमले की जांच एनआईए को सौंपी जाएगी: मुख्यमंत्री
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का कहना है कि राज्य में हाल ही में हुए आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपी जाएगी.
इस हमले में असम राइफल्स के कर्नल, उनकी पत्नी, बेटे और अर्धसैनिक बल के चार जवानों की मौत हो गई थी.
आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, मणिपुर स्टेट अवॉर्ड फॉर लिटरेचर 2020 के 12वें वार्षिक पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए बीरेन सिंह ने कहा कि यह मामला एनआईए को सौंपा जाएगा ताकि हिंसा के दोषियों की पहचान और उनकी जानकारी का पता चल सके.
इस दौरान मणिपुर के राज्यपाल ला. गणेशन और अन्य गणमान्य अतिथि भी मौजूद थे.
राज्य के गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, राज्य के चूड़ाचांदपुर जिले में 13 नवंबर को हुए आतंकी हमले के कई आयाम हैं लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी इसका पता लगा सकती है.
अधिकारी ने पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, हमले से संबंधी मामला सिर्फ पूर्वोत्तर तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके संभावित अंतरराष्ट्रीय संबंध और कई आयाम भी हैं.
बता दें कि आधुनिक हथियारों से लैस पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) और मणिपुर नगा पीपुल्स फ्रंट (एमएनपीएफ) के 13 नवंबर के हमले में असम राइफल्स की खुगा बटालियन के कमांडिंग अफसर (सीओ) कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्नी, छह साल के बेटे के अलावा बल के चार अन्य कर्मियों की मौत हो गई थी.
इस आतंकी हमले के बाद राज्य में सेना और असम राइफल्स सहित सुरक्षाबलों को हाईअलर्ट कर दिया गया था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)