एमएसपी पर क़ानून बने, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो: भाजपा सांसद वरुण गांधी

पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि कृषि क़ानूनों को निरस्त किए जाने का निर्णय पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती. गांधी ने आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा देने की भी मांग की है.

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Ahmedabad: BJP MP Feroze Varun Gandhi addresses at IIMA during a talk show on 'A rural manifesto: Realising India's future through villages', in Ahmedabad, Friday, Nov. 30, 2018. (PTI Photo/Santosh Hirlekar)(PTI11_30_2018_000189B)
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा सासंद वरुण गांधी. (फोटो: पीटीआई)

पीलीभीत से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र में कहा कि कृषि क़ानूनों को निरस्त किए जाने का निर्णय पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती. गांधी ने आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवज़ा देने की भी मांग की है.

Ahmedabad: BJP MP Feroze Varun Gandhi addresses at IIMA during a talk show on 'A rural manifesto: Realising India's future through villages', in Ahmedabad, Friday, Nov. 30, 2018. (PTI Photo/Santosh Hirlekar)(PTI11_30_2018_000189B)
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से भाजपा सासंद वरुण गांधी. (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद वरुण गांधी ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद शनिवार को आंदोलनरत किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग की और कहा कि राष्ट्रहित में सरकार को ‘तत्काल’’यह मांग मान लेनी चाहिए अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती.

अक्सर किसानों का मुद्दा उठाने वाले पीलीभीत के सांसद ने आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों के परिजन को एक-एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की भी मांग की.

बता दें कि वरुण गांधी उन कुछ भाजपा नेताओं में से एक हैं जिन्होंने किसानों के लिए, खासकर लखीमपुर खीरी हिंसा के बाद से, आवाज उठाई है.

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार की सुबह राष्ट्र को संबोधित करते हुए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 को निरस्त करने की घोषणा की.

साथ ही, उन्होंने एमएसपी को प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति गठित किए जाने का भी एलान किया.

विपक्षी नेताओं ने कहा है कि कानूनों को निरस्त करने का प्रधानमंत्री का निर्णय ‘हृदय परिवर्तन’ से नहीं, बल्कि कई राज्यों में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लिया गया था.

गांधी ने प्रधानमंत्री को  ‘बड़ा दिल’ दिखाते हुए विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के लिए साधुवाद दिया और उम्मीद जताई कि वह किसानों की अन्य मांगों पर भी ठोस निर्णय लेंगे.

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में उन्होंने एमएसपी को कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाने की किसानों के मांग का उल्लेख करते हुए कहा कि देश में 85 प्रतिशत से ज्यादा छोटे, लघु और सीमांत किसान हैं और उनके सशक्तिकरण के लिए उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा.

उन्होंने कहा, ‘यह आंदोलन इस मांग के निस्तारण के बिना समाप्त नहीं होगा और किसानों में एक व्यापक रोष बना रहेगा, जो किसी न किसी रूप में सामने आता रहेगा. अतः किसानों को फसलों की एमएसपी की वैधानिक गारंटी मिलना अत्यंत आवश्यक है. सरकार को राष्ट्रहित में इस मांग को भी तत्काल मान लेना चाहिए. इससे, किसानों को एक बहुत बड़ा आर्थिक सुरक्षा चक्र मिल जाएगा और उनकी स्थिति में व्यापक सुधार होगा.’

उन्होंने कहा कि एमएसपी का निर्धारण कृषि लागत मूल्य आयोग के ‘सी2 प्लस 50 प्रतिशत फार्मूले’ के आधार पर होनी चाहिए.

गांधी ने कहा, ‘इस आंदोलन में 700 से ज्यादा किसान भाइयों की शहादत भी हो चुकी है. मेरा मानना है कि यह निर्णय यदि पहले ही ले लिया जाता तो इतनी बड़ी जनहानि नहीं होती.’

उन्होंने कहा कि आंदोलन में मारे गए किसानों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए इनके परिजन को एक-एक करोड़ रुपए का मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.

उन्होंने आंदोलनकारियों पर दर्ज ‘फर्जी मुकदमों को भी वापस लेने की मांग की.

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लोकतंत्र पर ‘काला धब्बा’ करार देते हुए भाजपा नेता ने कहा कि इस घटना में निष्पक्ष जांच एवं न्याय के लिए ‘इसमें लिप्त एक केंद्रीय मंत्री पर भी सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘मेरा विश्वास है कि किसानों की उपरोक्त अन्य मांगों को मांग लेने, लखीमपुर खीरी की घटना में न्याय का मार्ग प्रशस्त करने से आपका सम्मान देश में और बढ़ जाएगा. मुझे आशा है कि इस विषय में भी आप ठोस निर्णय लेंगे.’

बीते कुछ दिनों से वरुण गांधी किसानों के मुद्दे पर लगातार अपनी राय रख रहे हैं और किसान आंदोलन को लेकर उन्होंने किसानों की मांगों का समर्थन भी किया था.

उन्होंने लखीमपुर खीरी में बीते तीन अक्टूबर को हुई हिंसा को लेकर भी वीडियो साझा किए थे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. इसके बाद भाजपा की नवगठित राष्ट्रीय कार्यसमिति से वरुण और उनकी मां मेनका गांधी को बाहर कर दिया गया था.

ज्ञात हो कि इन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर खासकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान आंदोलन कर रहे हैं.

तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा का किसानों व किसान संगठनों ने भी गर्मजोशी से स्वागत तो किया लेकिन कहा कि संसद में जब तक कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.

आंदोलन के प्रमुख किसान नेताओं ने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन केवल तीन काले कानूनों के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी दिए जाने के लिए भी था.

बहरहाल, रविवार को किसान संगठनों की एक अहम बैठक होनी है, जिसमें आगे के रुख के बारे में कोई फैसला लिया जा सकता है.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)