राष्ट्रीय स्तर पर ‘एक्सेस टू सर्विसेस डूरिंग कोविड-19 इन डिजिटल इंडिया’ नाम के इस सर्वेक्षण में मार्च और अगस्त 2020 के बीच कुल 7,000 घरों के नमूने इकट्ठा किए गए. दिल्ली की तुलना में तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले घरों का प्रतिशत कम हैं, वहां लगभग 40 फ़ीसदी बच्चे शिक्षा तक पहुंच हासिल कर सके.
नई दिल्लीः साल 2020 के पहले लॉकडाउन के दौरान कराए गए सर्वेक्षण से पता चला है कि दिल्ली में 84 फीसदी घरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है, लेकिन स्कूलों में दाखिला प्राप्त सिर्फ 25 फीसदी बच्चों के पास ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच थी.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली की तुलना में तमिलनाडु और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी वाले घरों का प्रतिशत कम हैं, वहां लगभग 40 फीसदी बच्चे शिक्षा तक पहुंच हासिल कर सके.
‘एक्सेस टू सर्विसेस डूरिंग कोविड-19 इन डिजिटल इंडिया’ सर्वेक्षण को डिजिटल नीति के मुद्दों पर काम करने वाले क्षेत्रीय थिंक टैंक लिरनेएशिया (LIRNEasia) और इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स रिलेशंस (आईसीआरआईईआर) द्वारा किया गया.
राष्ट्रीय स्तर पर किए गए इस सर्वेक्षण में 350 गांवों और वॉर्डों सहित कुल 7,000 घरों का सर्वेक्षण किया गया.
हालांकि, यह राष्ट्रीय सर्वेक्षण विशेष रूप से दिल्ली, असम, तमिलनाडु और महाराष्ट्र पर केंद्रित था. इस सर्वेक्षण को मार्च और अगस्त 2020 के बीच किया गया.
सर्वे के अनुसार, कक्षा नौंवी और उससे बड़ी कक्षाओं के लड़कों और अधिक शिक्षित माता-पिता के बच्चों को लाभ हुआ.
तमिलनाडु में अधिक बच्चों की पहुंच ऑनलाइन शिक्षा तक थी, क्योंकि 26 अगस्त 2019 से ही एक शैक्षणिक चैनल कल्वी टीवी राज्य में संचालित हैं.
देशभर में 62 फीसदी घरों में इंटरनेट कनेक्टिविटी है, जबकि दिल्ली में यह दर 84 फीसदी है.
पंद्रह और इससे अधिक आयुवर्ग में दिल्ली अन्य राज्यों की तुलना में कहीं आगे है, जहां इंटरनेट का इस्तेमाल ऑनलाइन शिक्षा के लिए किया गया है.
सर्वे के अनुसार इस आयुवर्ग में कुल (Overall) 47 फीसदी बच्चों की इंटरनेट तक पहुंच थी, जिसमें सबसे अधिक दिल्ली में 72 फीसदी, तमिलनाडु में 53 फीसदी, महाराष्ट्र में 55 फीसदी और असम में 37 फीसदी थी.
देशभर में स्कूल जा रहे 20 फीसदी बच्चे जिनकी ऑनलाइन शिक्षा तक पहुंच थी, उनमें 75 फीसदी बच्चों को जानकारियां और असाइनमेंट स्मार्टफोन पर मिले और सिर्फ 55 फीसदी ने ऑनलाइन कक्षाएं लीं.
लिरनेशिया की सीईओ गलपया ने कहा, सर्वेक्षण का मकसद सीखने के नतीजों में सुधार लाना है. डिजिटल तकनीक का नियमित उपयोग करना होगा और इसे स्कूलिंग सिस्टम का हिस्सा बनाना होगा.
कोरोना महामारी के बीच लंबे अरसे तक स्कूल बंद करने के संबंध में किए गए एक सर्वे से पता चला था कि ग्रामीण इलाकों के सिर्फ आठ फीसदी बच्चे नियमित रूप से ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं और 37 फीसदी बिल्कुल भी नहीं पढ़ पा रहे हैं.
स्कूल चिल्ड्रेंस ऑनलाइन एंड ऑफलाइन लर्निंग (स्कूल) नामक इस रिपोर्ट को कोऑर्डिनेशन टीम (निराली बाखला, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ और रीतिका खेड़ा तथा रिसर्चर विपुल पैकरा) ने तैयार किया थी.
स्कूल चिल्ड्रेंस ऑनलाइन एंड ऑफलाइन लर्निंग (स्कूल) नामक इस रिपोर्ट को कोऑर्डिनेशन टीम (निराली बाखला, अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ और रीतिका खेड़ा तथा रिसर्चर विपुल पैकरा) ने तैयार की है.
यह स्कूल सर्वे अगस्त 2021 में 15 राज्यों (असम, बिहार, चंडीगढ़, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल) के करीब 1400 बच्चों के बीच कराया गया था.