असम: हिमंता सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के बाद पुलिस कार्रवाई में हुई 28 आरोपियों की मौत

हिमंता बिस्वा सरकार की अपराध को लेकर 'नरमी न बरतने' की नीति अपनाने के बाद मई से अब तक कम से कम 46 कथित अपराधी घायल हुए हैं. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक़, मारे गए 28 आरोपियों में चार ड्रग तस्कर, सरकार के बेदख़ली अभियान के ख़िलाफ़ उतरे दो प्रदर्शनकारी, 11 'चरमपंथी' व 11 'अपराधी' शामिल हैं.

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा. (फोटो: पीटीआई)

हिमंता बिस्वा सरकार की अपराध को लेकर ‘नरमी न बरतने’ की नीति अपनाने के बाद मई से अब तक कम से कम 46 कथित अपराधी घायल हुए हैं. पुलिस आंकड़ों के मुताबिक़, मारे गए 28 आरोपियों में चार ड्रग तस्कर, सरकार के बेदख़ली अभियान के ख़िलाफ़ उतरे दो प्रदर्शनकारी, 11 ‘चरमपंथी’ व 11 ‘अपराधी’ शामिल हैं.

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा (फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: असम की हिमंता बिस्वा शर्मा सरकार द्वारा अपराधों को लेकर ‘कोई नरमी न बरतने’ या ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाने के बाद मई महीने से लेकर अब तक में कम से कम 46 कथित अपराधी घायल हुए हैं और फायरिंग घटनाओं में 28 लोगों की मौत हुई है.

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, असम पुलिस रिकॉर्ड्स के जरिये ये जानकारी प्राप्त हुई है.

इसी कड़ी में पुलिस के अनुसार, असम के जोरहाट में एक 28 वर्षीय आसू नेता अनिमेष भूयां की पीट-पीटकर हत्या मामले में प्रमुख आरोपी नीरज दास की बीते बुधवार सुबह एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई.

प्रशासन का कहना है कि जब ये घटना हुई, उस समय वे कथित तौर पर पुलिस कस्टडी से भागने की कोशिश कर रहे थे.

भूयां की मौत को लेकर राज्य में विवाद खड़ा हो गया है. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने इस मामले में पुलिस को एक महीने के भीतर चार्जशीट फाइल करने और असम के विशेष डीजीपी जीपी सिंह को व्यक्तिगत रूप से जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया है.

पिछले छह महीनों में कथित तौर पर जेल या हिरासत से भागने के प्रयास में घायल या मारे गए आरोपियों को पशु-तस्करी, बलात्कार, हत्या, नशीली दवाओं की तस्करी आदि जैसे अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था.

असम पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, मारे गए 28 आरोपियों में से चार नशीली दवाओं के तस्कर, दो सरकार के बेदखली अभियान के खिलाफ उतरे प्रदर्शनकारी, 11 ‘चरमपंथी’ और 11 ‘अपराधी’ थे.

इंडियन एक्सप्रेस ने जुलाई महीने की अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि इसमें से चार घायल और एक मृतक को पैर में गोली मारी गई थी. उस समय शर्मा ने इसे सही ठहराते हुए कहा था कि ‘पुलिस छाती पर गोली नहीं मार सकती है, लेकिन पैर में गोली मारना कानून है.’

जुलाई महीने के विधानसभा सत्र में उन्होंने अपनी ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को जारी रखने की घोषणा करते हुए कहा था कि वे इसके लिए ‘कोई भी आलोचना’ का सामना करने के लिए तैयार हैं.

उन्होंने कहा था, ‘मेरा (पुलिस को) स्पष्ट निर्देश है कि कानून मत तोड़ो, लेकिन कानून के दायरे में आप कठोर कार्रवाई करो और असम सरकार आपकी रक्षा करेगी.’

विपक्ष ने आरोप लगाया है कि सरकार पुलिस की ‘ज्यादतियों’ को बढ़ावा दे रहे हैं. वहीं एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बचाव करते हुए कहा कि ‘यह असम की जनता के हित में है.’

विशेष डीजीपी सिंह ने कहा कि मई के बाद से राज्य की कानून-व्यवस्था में सुधार हुआ है.