देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने एक बयान में कहा है कि किसानों को ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की ख़रीद के लिए ऋण प्रदान करने के लिए अडानी कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं. एसबीआई किसानों की आय को दोगुना करने के लिए, किसान उत्पादक संगठनों आदि के वित्तपोषण के लिए कई ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ अवसरों की तलाश कर रहा है.
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े बैंक ‘भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई)’ ने देश में किसानों को ऋण मुहैया कराने के लिए सह-ऋण भागीदार के रूप में अडानी कैपिटल के साथ हाथ मिलाया है.
एसबीआई ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि एसबीआई ने किसानों को ट्रैक्टर और कृषि उपकरणों की खरीदने के लिए ऋण प्रदान करने के लिए अडानी समूह की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) शाखा अडानी कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड (अडानी कैपिटल) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, ताकि कृषि कार्यों में दक्षता और फसलों की उत्पादकता बढ़ाई जा सके.
एसबीआई ने कहा कि यह साझेदारी फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए कृषि मशीनीकरण को अपनाने में देश के किसानों मदद करेगी.
बयान में कहा गया, ‘एसबीआई सक्रिय रूप से किसानों की आय को दोगुना करने के लिए ऋण प्रवाह बढ़ाने के लिए कृषि मशीनीकरण, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) आदि के वित्तपोषण के लिए कई एनबीएफसी के साथ सह-ऋण के अवसरों की तलाश कर रहा है.’
एसबीआई के अध्यक्ष दिनेश खारा ने कहा कि इस साझेदारी से एसबीआई के ग्राहक आधार का विस्तार करने के साथ-साथ देश के कृषि क्षेत्र से जुड़ने और भारत की कृषि अर्थव्यवस्था के विकास में योगदान करने में मदद मिलेगी.
खारा ने कहा, ‘दूरदराज के इलाकों में ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों तक पहुंचने और अंतिम छोर तक बैंकिंग सेवाएं मुहैया कराने के लिए हम और एनबीएफसी के साथ काम करना जारी रखेंगे.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, अडानी कैपिटल के एमडी और सीईओ गौरव गुप्ता ने कहा कि कंपनी का उद्देश्य कृषि मशीनीकरण में योगदान देना, कृषि की उत्पादकता और आय में सुधार करने में भूमिका निभाना है.
उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य भारत के सूक्ष्म-उद्यमियों को किफायती ऋण उपलब्ध कराना है. एसबीआई के साथ हमारी साझेदारी बिना बैंक वाले/कम सेवा वाले भारतीय किसानों को लक्षित करना है.’
बैंकों और एनबीएफसी के लिए सह-ऋण योजनाओं पर आरबीआई के दिशानिर्देशों के तहत अर्थव्यवस्था के कम सेवा वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देते हुए ऋण देने के रूप में सस्ती दरों पर ऋण प्रवाह में सुधार करना है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)