मीडिया में ‘अनियमितताओं’ की जांच के लिए एक काउंसिल का गठन हो: संसदीय समिति

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा खंभा है, लेकिन यह धीरे-धीरे अपनी विश्वसनीयता और अखंडता खो रहा है. समिति ने कहा कि भारतीय प्रेस परिषद और समाचार प्रसारण एवं डिजिटल मानक प्राधिकरण जैसे मौजूदा नियामक निकायों के प्रभाव सीमित हैं, क्योंकि उनके पास अपने निर्णयों को लागू करने की शक्ति नहीं है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा खंभा है, लेकिन यह धीरे-धीरे अपनी विश्वसनीयता और अखंडता खो रहा है. समिति ने कहा कि भारतीय प्रेस परिषद और समाचार प्रसारण एवं डिजिटल मानक प्राधिकरण जैसे मौजूदा नियामक निकायों के प्रभाव सीमित हैं, क्योंकि उनके पास अपने निर्णयों को लागू करने की शक्ति नहीं है.

(इलस्ट्रेशन: परिप्लब चक्रवर्ती/द वायर)

नई दिल्ली: संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्थायी समिति ने प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में ‘अनियमितताओं’ की जांच करने के लिए एक ‘मीडिया काउंसिल’ का गठन करने की सिफारिश की है.

उन्होंने कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा खंभा है, लेकिन यह ‘धीरे-धीरे अपनी विश्वसनीयता और अखंडता खो रहा है’.

बीते बुधवार (एक दिसंबर) को लोकसभा में पेश कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी स्थायी समिति की ‘मीडिया कवरेज में नैतिक मानक’ विषय पर रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) और समाचार प्रसारण एवं डिजिटल मानक प्राधिकरण (एनबीडीएसए) जैसे मौजूदा नियामक निकायों के प्रभाव सीमित हैं, क्योंकि उनके पास अपने निर्णयों को लागू करने की शक्ति नहीं है.

समिति ने ‘फेक न्यूज’ पर भी चिंता व्यक्त की और सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) को कानून और न्याय मंत्रालय के साथ मिलकर विधि आयोग की उस सिफारिश को लागू करने के लिए कहा है, जिसमें पेड न्यूज को चुनावी अपराध बनाने के लिए कहा गया था.

संसदीय समिति ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह सभी पक्षों के साथ पर्याप्त रूप से परामर्श कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पूरी तरह से संरक्षित रखते हुए ‘मीडिया आयोग’ के जरिये ‘मीडिया काउंसिल’ का गठन करे.

उन्होंने कहा कि मीडिया आयोग, मीडिया से जुड़े सभी जटिल मुद्दों पर गौर करेगा और अपनी स्थापना के छह महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेगा.

समिति ने कहा कि मीडिया ‘जो कभी हमारे लोकतंत्र में नागरिकों के हाथों में सबसे भरोसेमंद हथियार था और सार्वजनिक हित के ट्रस्टी के रूप में काम करता था, वह धीरे-धीरे अपनी विश्वसनीयता और अखंडता खो रहा है, जहां मूल्यों और नैतिकता से समझौता किया जा रहा है.’

प्रिंट मीडिया को नियंत्रित करने वाली वैधानिक संस्था पीसीआई की सीमा पर टिप्पणी करते हुए समिति ने कहा कि यह निकाय शिकायतों पर विचार कर सकता है और समाचार पत्रों, समाचार एजेंसियों, संपादक या संबंधित पत्रकार को चेतावनी देने, सेंसर करने या निंदा करने का अधिकार रखता है, लेकिन इसके पास अनुपालन कराने की शक्ति है.

उन्होंने यह भी कहा कि एनबीडीएसए, जो कि एक स्व-नियामक निकाय है और टीवी न्यूज को नियंत्रित करता है, के पास जुर्माना लगाने की शक्ति है, लेकिन इसका अधिकार क्षेत्र केवल उन संगठनों तक फैला हुआ है जो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स और डिजिटल एसोसिएशन का सदस्य बनते हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इसके आदेशों का अनुपालन भी स्वैच्छिक है.

संसदीय समिति ने पीसीआई के अधिकार क्षेत्र में सभी तरह के मीडिया को शामिल करते हुए इसके पुनर्गठन की सिफारिश की है.

उन्होंने कहा, ‘उपरोक्त के मद्देनजर समिति का विचार है कि एमआईबी को न केवल प्रिंट मीडिया बल्कि इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया को भी शामिल करते हुए एक व्यापक मीडिया काउंसिल की स्थापना की संभावना तलाशनी चाहिए, और इसे अपने आदेशों को लागू करने के लिए आवश्यक वैधानिक शक्तियों से लैस करना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘यह मीडिया में अनियमितताओं की जांच करने, भाषण और पेशेवराना अंदाज की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और उच्चतम नैतिक मानकों और विश्वसनीयता को बनाए रखने के लिए उचित कदम उठाने में सक्षम होगा, जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.’

संसदीय समिति ने कहा कि वह इस बात से व्यथित है कि ऐसे कई मामलों में दोषी समाचार पत्र पीसीआई द्वारा सेंसर किए जाने के बाद भी वही गलतियां दोहराते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि मीडिया द्वारा पेड न्यूज, फर्जी खबर, टीआरपी में हेराफेरी, मीडिया ट्रायल, सनसनी फैलाने, पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग आदि के रूप में परिलक्षित आचार संहिता के उलंघन के बड़े पैमाने पर उदाहरणों ने लोगों के मन में इसकी विश्वसनीयता पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है जो लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है.

इसमें कहा गया है कि, ‘एक अच्छा लोकतंत्र जनता की भागीदार पर फलता-फूलता है जो जिम्मेदार मीडिया द्वारा सही सूचना के प्रसार के माध्यम से संभव है.’

समिति ने कहा कि मीडिया का इतना प्रभाव है कि वह किसी भी व्यक्ति, संस्था या किसी भी विचार को बना या बिगाड़ सकता है.

इसमें कहा गया, ‘मीडिया अपने विशेषाधिकार, कर्तव्यों और दायित्वों से आंखे नहीं फेर सकता. पत्रकारिता एक ऐसा पेशा है, जो सेवा करता है. इस कारण दूसरों से प्रश्न करने का विशेषाधिकार प्राप्त हुआ है. तथापि, इन विशेषाधकार का प्रयोग करने के लिए मीडिया को सूचना एकत्र करने और प्रसारित करने में कुछ नैतिक मानदंड का पालन करना अनिवार्य है.’

समिति ने कहा, ‘सभी पक्षों के साथ पर्याप्त रूप से परामर्श कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को पूरी तरह से संरक्षित रखते हुए डिजिटल मीडिया पर निगरानी के लिए सशक्त प्रणाली का प्रयोग किया जाए.’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति को यह भी विश्वास है कि सरकार मीडिया की स्वतंत्रता और स्वावलंबन को अत्यंत महत्व देगी ताकि वे बिना किसी भय और पक्षपात के यथासंभव समाचार को निष्पक्ष रूप से कवर करें.’

रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि सरकार के लिए यह भी जरूरी है कि वह इसके लिए अनिवार्य कानूनी और सामाजिक ढांचा सुनिश्चिचत करे, जो मीडिया को उनके पेशे के स्थापित मूल्य का सम्मान करने और उनका अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित कर सके.

(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)

pkv games bandarqq dominoqq pkv games parlay judi bola bandarqq pkv games slot77 poker qq dominoqq slot depo 5k slot depo 10k bonus new member judi bola euro ayahqq bandarqq poker qq pkv games poker qq dominoqq bandarqq bandarqq dominoqq pkv games poker qq slot77 sakong pkv games bandarqq gaple dominoqq slot77 slot depo 5k pkv games bandarqq dominoqq depo 25 bonus 25 bandarqq dominoqq pkv games slot depo 10k depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq slot77 pkv games bandarqq dominoqq slot bonus 100 slot depo 5k pkv games poker qq bandarqq dominoqq depo 50 bonus 50 pkv games bandarqq dominoqq