केंद्रीय क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा राज्यसभा में दी गई जानकारी के अनुसार, सरकार के पास लंबित 126 प्रस्तावों में से सर्वोच्च अदालत के कॉलेजियम ने 35 नामों को स्वीकार करने के लिए भेजा है, जो कि न्याय विभाग के लंबित हैं. वहीं अन्य 75 सिफारिशें भी इसी विभाग के पास लंबित हैं. इसी तरह 13 प्रस्ताव कानून एवं न्याय मंत्रालय और तीन प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय में विचाराधीन हैं.
नई दिल्ली: कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में खुलासा किया कि उच्च न्यायालय के कॉलेजियम द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए भेजी गईं 164 सिफारिशों में से 126 सिफारिशें वर्तमान में केंद्र सरकार के पास लंबित है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, माकपा सांसद जॉन ब्रिटास के सवाल के जवाब में रिजिजू ने बीते गुरुवार को संसद को ये जानकारी दी.
सांसद ने साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट एवं विभिन्न हाईकोर्ट में नियुक्त किए गए जजों की संख्या का विवरण मांगा था. इसके साथ उन्होंने यह भी पूछा था कि कॉलेजियम की कितनी सिफारिशें सरकार के पास लंबित हैं और कितनी सिफारिशें सरकार ने लौटा दी हैं.
रिजिजू ने बताया कि इस साल 29 नवंबर तक नौ जजों को सुप्रीम कोर्ट में और 118 जजों को विभिन्न उच्च न्यायालयों में नियुक्त किया गया था.
केंद्र सरकार ने बताया कि 29 नवंबर तक हाईकोर्ट के कॉलेजियम से 164 सिफारिशें प्राप्त हुई हैं. इसमें से 31 सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास लंबित हैं. वहीं सर्वोच्च अदालत के कॉलेजियम ने 35 नामों को स्वीकार करने के लिए भेजा है, जो कि न्याय विभाग के लंबित हैं.
वहीं अन्य 75 सिफारिशें न्याय विभाग के पास लंबित हैं और अभी तक इसे सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के पास नहीं भेजा गया है. इसी तरह 13 प्रस्ताव कानून एवं न्याय मंत्रालय के पास और तीन प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय में लंबित हैं. बाकी के सात नामों को हाईकोर्ट के पास वापस भेज दिया गया है.
इसके अलावा केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह पर 55 प्रस्तावों को वापस हाईकोर्ट के पास भेज दिया था.
किरेन रिजिजू ने कहा, ‘उच्च न्यायालयों में रिक्तियों का भरा जाना कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच एक सतत, एकीकृत और सहयोगकारी प्रक्रिया है. राज्य और केंद्रीय दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकारियों से परामर्श और अनुमोदन करना अपेक्षित है, जबकि हरसंभव प्रयास शीघ्रतापूर्वक रिक्तियों को भरने के लिए किया गया है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की रिक्तियां, सेवानिवृत्ति, पद-त्याग या न्यायाधीशों के उन्नयन (elevation) से हो रही हैं और न्यायाधीशों की संख्या का बढ़ना भी कारण है.’