बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी का कहना है कि उपद्रव की घटना बाहरी लोगों की देन है.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय में हुए हंगामे के बाद कहा कि छात्रों का हंगामा विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश है. शनिवार रात को परिसर हिंसा में बाहरी लोग शामिल थे.
त्रिपाठी ने कहा कि छेड़खानी के घटना के दिन ही हमारे सुरक्षा अधिकारी ने एफआईआर दर्ज कर ली थी. हमने घटना की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच कमेटी बनायी है जो अपने काम में लगी हुई है.
उन्होंने कहा, ‘उपद्रव की घटना बाहरी लोगों की देन है. हमारे विश्वविद्यालय के छात्रावास में करीब 25 हजार छात्र रहते है और हमें इस बात की ख़ुशी है, वे उपद्रव में शामिल नहीं थे. कुछ लोगों को विश्वविद्यालय मान लेना सही नहीं होगा. विश्वविद्यालय में बाहरी लोगों का प्रवेश तब से है जब से विश्वविद्यालय बना है. अब हम कोशिश करेंगे कि विश्वविद्यालय परिसर में बाहर के लोगों का आना-जाना बंद किया जाये.
Badi maatra mein bahaar se log aaye jinhone iss andolan ko hawa dene ki koshish ki: #BHU VC Girish Chandra Tripathi pic.twitter.com/PXkaDPxmwd
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 24, 2017
I agreed to their viewpoint. Safety & security is imp, will have to consider various aspects with regard to safety in University: BHU VC
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 24, 2017
उधर, बढ़ते हुए छात्र आंदोलन को देखते हुए जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और संपूर्णानंद विश्वविद्यालय सहित संबद्ध सभी महाविद्यालयों को सोमवार से बंद करने का निर्देश दिया है.
शनिवार रात हुए उपद्रव के बाद जिलाधिकारी और नगर पुलिस अधीक्षक दिनेश सिंह बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों के साथ परिसर पहुंचे थे. कानून व्यवस्था बहाल रखने के लिये पीएसी जवानों समेत तकरीबन 1,500 पुलिसकर्मियों को परिसर में और उसके आस-पास तैनात किया गया है.
हिंसा में कई छात्र और दो पत्रकार घायल, मुख्यमंत्री ने घटना पर मांगी रिपोर्ट
छेड़खानी की एक घटना के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन ने शनिवार रात हिंसक रूप ले लिया. इस दौरान पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत कई छात्र और दो पत्रकार भी घायल हुए हैं. ज्ञात हो कि इसी हिंसा के मद्देनजर विश्वविद्यालय ने 25 सितंबर से दो अक्तूबर तक छुट्टियों की घोषणा कर दी है. पहले यह अवकाश 28 सितंबर से होने वाला था.
गौरतलब है कि शनिवार रात हुए पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत कई छात्र और दो पत्रकार भी घायल हुए हैं. पुलिस सूत्रों ने बताया कि संघर्ष के दौरान कुछ पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए. इस दौरान छात्रों ने आगजनी भी की.
पुलिस और विश्वविद्यालय सूत्रों के अनुसार हिंसा तब हुई जब गुरुवार को हुई कथित छेड़खानी का विरोध कर रहे कुछ छात्र रात कुलपति से मिलना चाहते थे. सूत्रों के अनुसार विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोका और पुलिस को सूचित किया गया.
बीएचयू के प्रवक्ता का कहना था कि कुछ छात्र कुलपति के आवास में जबरन प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन विश्वविद्यालय के सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोका. इसके बाद छात्रों में शामिल हो गए बाहरी लोगों ने पथराव किया. हालात पर नियंत्रण करने के लिये पुलिस ने लाठीचार्ज का सहारा लिया.
वहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के संभागीय आयुक्त से घटना के बारे में रिपोर्ट मांगी.
पत्रकारों पर कथित लाठीचार्ज के विरोध में लखनऊ में कुछ पत्रकारों ने मुख्यमंत्री आवास के सामने धरना दिया. बाद में उन्होंने दोषी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को एक ज्ञापन भी सौंपा.
विपक्ष ने साधा निशाना
बीएचयू में विद्यार्थियों पर लाठीचार्ज की कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत विभिन्न दलों ने कड़ी निंदा करते हुए केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर निशाना भी साधा है. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, बीएचयू में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का भाजपा वाला रूप. उन्होंने इस ट्वीट के साथ वह वीडियो लिंक शेयर किया जिसमें छात्राओं ने परिसर में पुरूष पुलिसकर्मियों द्वारा उन्हें कथित रूप से पीटे जाने का आरोप लगाया.
BJP version of Beti Bachao, Beti Padhao in BHU https://t.co/2XWIG5CG2q
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 24, 2017
समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी बीएचयू में छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की निंदा करते हुए अपने ट्वीट में कहा, ‘सरकार को लाठीचार्ज के जरिये नहीं बल्कि बातचीत के जरिये मुद्दे का समाधान करना चाहिये. दोषी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिये.’
बल से नहीं बातचीत से हल निकाले सरकार।बीएचयू में छात्रों पर लाठीचार्ज निंदनीय।दोषियों पर हो करवाई।
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 24, 2017
नारी रक्षा व गरिमा की बात करने वालों ने BHU में छात्राओं व प्रेस पर लाठी चार्ज कर साबित कर दिया है कि अब आवाज़ उठाने की आज़ादी भी छिन गयी है
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) September 24, 2017
राजनीति से प्रेरित है आंदोलन
बीएचयू प्रशासन की और से लगातार इस प्रदर्शन के राजनीति से प्रेरित होने की बात कही जा रही है. शनिवार रात जारी एक वक्तव्य में विश्वविद्यालय की और से कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से ठीक पहले धरना विश्वविद्यालय की छवि को धूमिल करने के लिये राजनीति से प्रेरित था.
विश्वविद्यालय ने का यह भी कहना था कि सुरक्षा गार्ड परिसर में नियमित गश्त लगा रहे थे और परिसर में शांति कायम रखने के लिये पुलिस से समय-समय पर सहायता मांगी.
क्या था घटनाक्रम
विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं से बढ़ती छेड़खानी की घटनाओं के ख़िलाफ़ विद्यार्थी गुरुवार से ही विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस विरोध-प्रदर्शन की शुरूआत तब हुई जब कला संकाय की एक छात्रा के साथ हॉस्टल लौटते समय मोटरसाइकिल सवार तीन लोगों ने कथित तौर पर छेड़खानी की.
शिकायतकर्ता के अनुसार जब उसने उनके प्रयासों का प्रतिकार किया तो तीन लोगों ने उसके साथ गाली-गलौज की और उसके बाद भाग गए. छात्रा का आरोप है कि घटनास्थल से तकरीबन 100 मीटर की दूरी पर मौजूद सुरक्षा गार्डों ने उन लोगों को रोकने के लिये कुछ भी नहीं किया.
उसने अपने वरिष्ठ छात्रों को इस बारे में बताने की जगह वार्डन को घटना की जानकारी दी., जिस पर वॉर्डन ने उससे ही सवाल किया कि वह इतनी देर से हॉस्टल क्यों लौट रही थी. वॉर्डन के इस जवाब ने छात्रा के साथियों को नाराज़ कर दिया और वे गुरुवार की मध्यरात्रि को परिसर के मुख्य द्वार पर धरना पर बैठ गए.
बीएचयू छात्राओं का आरोप है कि उन्हें परिसर में नियमित छेड़खानी करने वालों का सामना करना पड़ता है और विश्वविद्यालय प्रशासन असामाजिक तत्वों को रोकने के लिये कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है.
पुलिस और बीएचयू प्रोफेसरों ने छात्राओं को शांत करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने अपना प्रदर्शन समाप्त नहीं किया और विश्वविद्यालय के कुलपति से आश्वासन की मांग की.
उपद्रव के विरोध में बीएचयू में काली पट्टी बांधकर निकाला गया शांति मार्च
बीएचयू परिसर में शनिवार की रात हुए उपद्रव के विरोध में चिकित्सा विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रोफेसर वीके शुक्ला के नेतृत्व में रविवार 24 सितंबर को दोपहर में संस्थान के प्रोफेसरों, सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सकों, नर्सों एवं अन्य कर्मचारियों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर शांति मार्च निकाला.
संस्थान के कर्मचारियों का शांति मार्च बीएचयू के मालवीय भवन से प्रारंभ होकर सिंहद्वार तक निकाला गया. इसके बाद लंका स्थित मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद परिसर में शांति बहाली की प्रार्थना की गई.
मार्च में शामिल लोगों ने परिसर में छेड़खानी और लाठीचार्ज की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण घटना करार देते हुये कहा कि मुख्यद्वार को बंद करके धरना-प्रदर्शन करना अनुचित है. परिसर में कुछ अराजक तत्व पठन-पाठन के माहौल को खराब करने का प्रयास कर रहे हैं जो घृणित है.
सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ओपी उपाध्याय ने कहा कि छेड़खानी और हिंसा दोनों गलत है. मुख्यद्वार बंद कर देने से दूरदराज से इलाज को अस्पताल आने वाले गंभीर मरीजों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, साथ ही जान का खतरा भी बढ़ जाता है.