छावनी में तब्दील रहा कैंपस. छात्र-छात्राओं से हॉस्टल खाली कराए गए. सीओ भेलूपुर और लंका एसओ हटाए गए.
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में छेड़खानी की बढ़ती घटनाओं के विरोध में धरना दे रही छात्राओं का प्रदर्शन शनिवार आधी रात को पुलिस के लाठीचार्ज के बाद हिंसक हो उठा. रविवार को भी हिंसा की छिटपुट घटनाएं जारी रहीं.
रविवार को कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि बीएचयू में हुई हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ था. कैंपस में छात्राओं से छेड़खानी और सुरक्षा के मुद्दे पर तो उन्होंने कुछ नहीं कहा लेकिन उन्होंने कहा कि हिंसा के माध्यम से विश्वविद्यालय को बदनाम करने की साजिश की जा रही है.
कुलपति ने भले ही ये बयान दिया हो कि हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ है लेकिन दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, लंका पुलिस ने शनिवार रात हुई हिंसा में 1200 से अधिक अज्ञात छात्र छात्राओं के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है.
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वहीं अमर उजाला ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, बीएचयू परिसर और लंका में तोड़-फोड़, आगजनी, पथराव, बम फेंकने और माहौल बिगाड़ने के आरोप में 1000 अज्ञात छात्र-छात्राओं पर मुक़दमा दर्ज किया है.
रिपोर्ट के अनुसार, बीएचयू प्रशासन की ओर से भी लंका थाने में उपद्रवियों के ख़िलाफ़ तहरीर दी गई है. पत्रकारों पर लाठीचार्ज के मामले में भी मुक़दमा दर्ज किया गया है.
अमर उजाला के अनुसार, भड़काऊ वीडियो और तस्वीरें शेयर करने के आरोप में फेसबुक पेज ‘बनारस बज़’ के ख़िलाफ़ भी आईटी एक्ट के तहत लंका थाने में मुक़दमा दर्ज किया गया है.
दैनिक जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, छात्र-छात्राओं पर लाठीचार्ज करने की गाज सीओ भेलूपुर निमेष कटियार और लंका एसओ राजीव सिंह पर गिरी है. सीओ भेलूपुर को एकाउंट सेक्शन में ट्रांसफर कर दिया गया है वहीं लंका एसओ को लाइनहाज़िर कर दिया गया है.
रविवार को भी बीएचयू पुलिस छावनी में तब्दील रहा. रिपोर्ट के अनुसार, कैंपस में शांति बहाली के लिए पुलिस ने तीन बार पैदल और वाहन से फ्लैग मार्च किया. इसके बावजूद कुलपति आवास, बिड़ला हॉस्टल के पास परिसर में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन और आगजनी की घटनाएं हुईं.
दैनिक जागरण के अनुसार, 17 छात्रों को हिरासत में लिया गया लेकिन लंका थाने का घेराव होने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. लंका क्षेत्र में कई बार भगदड़ मची. इसके अलावा संत रविदास गेट से सिंहद्वार तक दुकानें बंद रहीं.
21 सितंबर को अपने विभाग से हॉस्टल जा रही दृश्य कला संकाय की छात्रा के साथ भारत कला भवन के पास कुछ युवकों ने छेड़खानी के अलावा उसके कपड़े खींचने की कोशिश की थी.
हॉस्टल पहुंचने के बाद त्रिवेणी हॉस्टल की छात्राएं रात में ही सड़क पर उतर आईं. हालांकि उन्हें समझा बुझाकर वापस भेज दिया गया. इसके बाद शुक्रवार 22 सिंतबर को सुबह छह बजे से छात्राओं न सिंहद्वार पर धरना शुरू कर दिया.
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छात्राओं का कहना था कि अगर कुलपति आ जाते तो वे धरना ख़त्म कर देती लेकिन कुलपति नहीं आए. इसके विरोध में छात्राएं दो दिन तक सिंहद्वार पर डटी रहीं.
इस बीच बीएचयू मुख्यद्वार पर प्रदर्शन कर रही छात्राओं और उनके समर्थन में उतरे छात्रों पर शनिवार रात कुलपति आवास और महिला महाविद्यालय के सामने प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सुरक्षाकर्मियों और फिर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था.
इसके बाद परिसर में हिंसा शुरू हो गई थी. पथराव, आगजनी और बम फेंकने की घटनाओं को काबू में करने के लिए पुलिस ने 20 राउंड हवाई फायरिंग की थी और आंसू गैस के गोले छोड़े थे. इसके बाद देर रात तकरीबन तीन बजे हालात नियंत्रण में आ सके.
शनिवार को हुई हिंसा के बाद 28 सितंबर से शुरू होने वाली दशहरा की छुट्टियों को तीन दिन पहले यानी 25 दिसंबर से लागू कर दी गई हैं. इसके अलावा छात्र-छात्राओं के हॉस्टल भी खाली करा दिए गए. बीएचयू को दो अक्टूबर तक के लिए बंद कर दिया गया. इसके अलावा एहतियात के तौर पर ज़िला प्रशासन ने बनारस के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को बंद करा दिया है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, जिन छात्राओं ने 28 से शुरू होने वाली छुट्टियों के हिसाब से रिज़र्वेशन कराया था उन्हें भी हॉस्टल खाली करने पड़े. कई छात्राओं के परिवारवाले हिंसा को देखते हुए बनारस पहुंच गए थे, वहीं तमाम छात्राएं अपने दोस्तों की मदद से घर रवाना हो गईं.
रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को दिनभर त्रिवेणी संकुल के छह हॉस्टलों समेत महिला महाविद्यालय के सभी हॉस्टलों से छात्राएं अपना सामान लेकर घर रवाना हुईं. इसके अलावा छात्रों के भी सभी हॉस्टल खाली कराए गए. बताया जा रहा है कि हॉस्टल खाली करने का आदेश मौखिक तौर पर दिया गया था.