बीएसएफ़ को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किलोमीटर के बजाय 50 किलोमीटर अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, ज़ब्ती और गिरफ़्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र सरकार ने बीते अक्टूबर माह में बीएसएफ़ अधिनियम में संशोधन कर दिया था.
नई दिल्ली: सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाए जाने का केंद्र सरकार का फैसला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पंजाब की चरणजीत सिंह चन्नी सरकार ने केंद्र के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
सीमा सुरक्षा बल को पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 15 किमी के बजाय 50 किमी अंदर तक के क्षेत्र में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी के लिए अधिकृत करने को लेकर केंद्र सरकार ने बीते अक्टूबर माह में बीएसएफ अधिनियम में संशोधन कर दिया था.
वहीं, पाकिस्तान की सीमा से लगते गुजरात के क्षेत्रों में यह दायरा 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया है तथा राजस्थान में 50 किलोमीटर तक की क्षेत्र सीमा में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
पंजाब सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि बीएसएफ का क्षेत्रीय अधिकार बढ़ाना राज्यों के संवैधानिक अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण है.
पंजाब सरकार ने कहा, ‘यह प्रतिवेदित किया जाता है कि 11 अक्टूबर, 2021 की अधिसूचना संविधान के विपरीत है, क्योंकि यह भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची की सूची-2 की प्रविष्टि 1 और 2 के उद्देश्य को निष्फल करती है और सार्वजनिक व्यवस्था एवं आंतरिक शांति बनाए रखने के लिए आवश्यक या संबंधित मुद्दों पर कानून बनाने के वादी के पूर्ण अधिकार का अतिक्रमण करती है.’
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संदर्भ में 11 अक्टूबर को एक अधिसूचना जारी की थी, जिसमें जुलाई, 2014 के प्रावधान में संशोधन किया गया था.
केंद्र ने पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम में, बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को 15 किलोमीटर से बढ़ाकर 50 किलोमीटर कर दिया गया था, जबकि पाकिस्तान के साथ सीमा साझा करने वाले गुजरात में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र के दायरे को 80 किलोमीटर से घटाकर 50 किलोमीटर किया गया था, जबकि राजस्थान में इसमें कोई बदलाव किए बिना इसे 50 किलोमीटर ही रखा गया है.
इस मुद्दे को लेकर विवाद खड़ा हो गया, क्योंकि विपक्ष शासित पंजाब और पश्चिम बंगाल ने इस कदम की निंदा की और संबंधित राज्य विधानसभाओं ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया.
बीते 11 नवंबर को पंजाब विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया था. विधानसभा ने केंद्र के इस कदम को ‘संघीय ढांचे पर हमला’ करार देते हुए इसे वापस लेने की मांग की थी.
इस बीच कांग्रेस की पंजाब इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का क्षेत्राधिकार बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करने पर शनिवार को राज्य सरकार की कानूनी टीम को बधाई दी.
I congratulate Punjab and it’s legal team to be the 1st to approach the Hon’ble Supreme Court by filing an original suit challenging the notification extending the BSF jurisdiction.
— Navjot Singh Sidhu (@sherryontopp) December 11, 2021
सिद्धू ने ट्वीट किया, ‘मैं बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने की अधिसूचना के खिलाफ मूल वाद दायर कर माननीय उच्चतम न्यायालय का सबसे पहले रुख करने के लिए पंजाब और उसकी कानूनी टीम को बधाई देता हूं.’
पंजाब के महाधिवक्ता डीएस पटवालिया ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत उच्चतम न्यायालय में एक मूल वाद दायर किया गया है.
उन्होंने कहा कि पंजीयक के सामने शुक्रवार (10 दिसंबर) को वाद सूचीबद्ध किया गया और केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया गया है, जिस पर 28 दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है.
मालूम हो कि सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर की गई थी.
याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका (पीआईएल) में दावा किया गया था कि बीएसएफ अधिनियम की धारा 139 के उपबंध-आई के तहत बल के अधिकार क्षेत्र पर फैसला करने की केंद्र सरकार की शक्ति देश के संघीय ढांचे के विरुद्ध है.
बीते 17 नवंबर को पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था.
प्रस्ताव में कहा गया है कि बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाना देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)