केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा के अंग्रेज़ी पेपर में ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’, जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जताई गई है.
नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्न-पत्र के कुछ अंशों में ‘लैंगिक रूढ़िवादिता’ को कथित तौर पर बढ़ावा दिए जाने और ‘प्रतिगामी धारणाओं’ (पीछे ले जाने वाले विचार) का समर्थन करने संबंधी आरोपों के बाद विवाद खड़ा हो गया है. इसके चलते बोर्ड ने रविवार को इस मामले को विषय के विशेषज्ञों के पास भेज दिया.
इस मामले को लेकर उठा विवाद लोकसभा में भी पहुंच गया. सोमवार को सदन में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार से सीबीएसई के प्रश्न-पत्र में महिला.विरोधी गद्यांश को लेकर माफी मांगने की मांग की.
बीते 11 दिसंबर को आयोजित 10वीं कक्षा के अंग्रेजी के प्रश्न-पत्र में ‘महिलाओं की मुक्ति ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को समाप्त कर दिया’ और ‘अपने पति के तौर-तरीके को स्वीकार करके ही एक मां अपने से छोटों से सम्मान पा सकती है’ जैसे वाक्यों के उपयोग को लेकर आपत्ति जताई गई है.
प्रश्न-पत्र के ऐसे अंश सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. इन्हें लेकर ट्विटर पर लोग सीबीएसई पर निशाना साध रहे हैं और उपयोगकर्ता हैशटैग ‘CBSE Insults Women’ (सीबीएसई ने महिलाओं का अपमान किया) का समर्थन करने का आह्वान करते दिखाई दिए.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी प्रश्न-पत्र पर आपत्ति जताते हुए ट्विटर का सहारा लिया.
Unbelievable! Are we really teaching children this drivel?
Clearly the BJP Government endorses these retrograde views on women, why else would they feature in the CBSE curriculum? @cbseindia29 @narendramodi?? pic.twitter.com/5NZyPUzWxz
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) December 13, 2021
उन्होंने कहा, ‘अविश्वसनीय! क्या हम वास्तव में बच्चों को ऐसा निरर्थक ज्ञान दे रहे हैं? स्पष्ट रूप से भाजपा सरकार महिलाओं संबंधी इन पिछले ले जाने वाले विचारों का समर्थन करती है, अन्यथा ये सीबीएसई पाठ्यक्रम में क्यों शामिल होंगे?’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लक्ष्मी रामचंद्रन ने कहा, ‘यह अपमानजनक रूप से निरर्थक ज्ञान आज 10वीं के सीबीएसई परीक्षा के पेपर में दिखाई दिया. हम अपने बच्चों को क्या सिखा रहे हैं? सीबीएसई को स्पष्टीकरण देना होगा और इसके साथ ही हमारे बच्चों को भड़काने के लिए माफी मांगनी होगी. ’
एक अन्य ट्विटर यूजर ने कहा, ‘कक्षा 10वीं सीबीएसई अंग्रेजी का पेपर आज कहता है कि बच्चों और नौकरों को उनकी जगह सिखाई जानी चाहिए और महिलाओं ने कुछ स्वतंत्रता हासिल करके बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को नष्ट कर दिया. सीबीएसई में का पेपर बनाने वाले ये बेवकूफ कौन हैं.’
‘महिला-विरोधी’ गद्यांश पर सरकार से माफी की सोनिया गांधी ने मांग की
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की परीक्षा के एक प्रश्न-पत्र में आए गद्यांश (पैरा) को महिला विरोधी बताते हुए बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय से इस प्रश्न-पत्र को तत्काल वापस लेने और इस विषय पर माफी की मांग सोमवार को लोकसभा में की.
सोनिया गांधी ने शून्यकाल में इस विषय को उठाते हुए कहा, ‘मैं सरकार का ध्यान गत 11 दिसंबर को सीबीएसई की 10वीं कक्षा की परीक्षा के एक प्रश्न-पत्र में आए एक अप्रिय और प्रतिगामी सोच वाले अपठित गद्यांश को लेकर देशभर में उपजे आक्रोश की ओर दिलाना चाहती हूं.’
उन्होंने गद्यांश का उल्लेख करते हुए अंग्रेजी में उसके दो वाक्यों को भी उद्धृत किया जिनमें लिखा है, ‘महिलाओं को स्वतंत्रता मिलना अनेक तरह की सामाजिक और पारिवारिक समस्याओं का प्रमुख कारण है.’ और ‘पत्नियां अपने पतियों की बात नहीं सुनती हैं, जिसके कारण बच्चे और नौकर अनुशासनहीन होते हैं.’
कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया कि पूरे गद्यांश में इसी तरह के निंदनीय विचार हैं और नीचे पूछे गए प्रश्न भी उतने ही संवेदनाहीन हैं.
उन्होंने कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह शिक्षा के मानकों और परीक्षण में खराब स्तर को दर्शाता है और सशक्त तथा प्रगतिशील समाज के खिलाफ है.
सोनिया गांधी ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए और उक्त प्रश्न-पत्र को तत्काल वापस लिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि संपूर्ण समीक्षा की जाए ताकि भविष्य में ऐसा कभी नहीं हो.
कांग्रेस अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्रालय से पाठ्यक्रम में लैंगिक समानता के मानकों की भी समीक्षा करने की मांग की.
इसके बाद कांग्रेस सदस्यों ने सदन में सरकार से इस विषय पर जवाब की मांग की, हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि वह कोई नई परंपरा शुरू नहीं कर सकते.
छात्रों, अभिभावकों ने सीबीएसई की 10वीं की अंग्रेजी परीक्षा में कुछ प्रश्नों को ‘भ्रामक’ बताया
कई छात्रों और अभिभावकों ने सीबीएसई की 10वीं कक्षा के अंग्रेजी विषय की परीक्षा में कुछ ‘भ्रामक’ सवालों को लेकर सोशल मीडिया पर सवाल उठाए, लेकिन बोर्ड ने कहा कि ये सही थे.
एक छात्र ने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि प्रश्न संख्या 13 और 14 में जवाबों के लिए केवल विकल्प थे, लेकिन सवाल नहीं थे. उन्होंने कहा, ‘जब मैंने निरीक्षक से इस त्रुटि के बारे में पूछा तो हमें सवालों को नजरअंदाज करने के लिए कहा गया.’
अन्य छात्रों और अभिभावकों ने सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्र की तस्वीरें साझा करते हुए उस हिस्से को रेखांकित किया, जो उनके अनुसार ‘भ्रामक’ था.
बहरहाल, बोर्ड के इस मुद्दे पर अलग विचार थे. केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने एक बयान में कहा, ‘यह उल्लेखित किया जाता है कि दोनों प्रश्न सही थे और कोई दुविधा नहीं थी. अंश इस टिप्पणी से शुरू होता- ‘नीचे दिए अंश को पढ़िए और बाद में दिए गए सवालों के उत्तर दिए गए विकल्पों में सबसे उचित विकल्प का चयन करते हुए दीजिए या पंक्ति को पूरा करिए. प्रश्नों के उत्तर निर्देशों के तहत दिए जाने थे, न कि अलग से.’
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, रविवार को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने एक बयान जारी कर कहा, ‘कल (11 दिसंबर) आयोजित सीबीएसई कक्षा 10वीं के प्रथम सत्र की परीक्षा के अंग्रेजी पेपर के एक सेट के संबंध में कुछ अभिभावकों और छात्रों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है, जिसमें कहा गया है कि ‘ऐसा लगता है कि यह प्रतिगामी विचारों और कथित तौर पर लैंगिक रूढ़िवादिता को बढ़ावा देती हैं.’
इसमें कहा है, ‘सही उत्तर विकल्प के संबंध में मामले को बोर्ड की पूर्व निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार विचार के लिए विषय विशेषज्ञों के पास भेजा जाएगा.’
बोर्ड द्वारा जारी बयान में कहा, ‘यह स्पष्ट किया जाता है कि यदि विशेषज्ञों को लगेगा कि संबंधित पैरा की कई व्याख्याएं हैं, तो छात्रों के हितों की रक्षा के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी.
इस महीने की शुरुआत में आयोजित सीबीएसई कक्षा 12वीं के समाजशास्त्र के पेपर में छात्रों से उस पार्टी का नाम बताने के लिए कहा गया था जिसके तहत 2002 में गुजरात में मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी. बोर्ड ने बाद में इसे अनुचित और उसके दिशानिर्देशों के खिलाफ कहा था.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)