वाराणसी कमिश्नर ने अपनी जांच रिपोर्ट में विश्वविद्यालय प्रशासन को दोषी क़रार देते हुए कहा है कि प्रशासन चाहता तो यह मामला आराम से निपट सकता था.
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने विश्वविद्यालय परिसर में छात्राओं पर लाठीचार्ज की घटना का खंडन किया है. प्रो. त्रिपाठी ने कहा है कि किसी भी छात्रा पर लाठीचार्ज नहीं हुआ है. कार्रवाई उन पर की गयी जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को आग लगा रहे थे, पेट्रोल बम फेंक रहे थे, पत्थरबाजी कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि 23 सितंबर की रात को जब वे छात्राओं से मिलने त्रिवेणी छात्रावास जा रहा थे उस समय अराजक तत्वों ने उन्हे रोककर आगजनी एवं पत्थरबाजी शुरु कर दिया. इसी क्रम में कुलपति आवास पर भी पत्थरबाजी कर अराजकता फैलाने का प्रयास किया गया.
कुलपति ने कहा कि सिंहद्वार पर धरने की आड़ में मालवीय जी की प्रतिमा पर कालिख डालने का कुछ अराजक तत्वों ने प्रयास किया है. यह कृत्य राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है.
उधर वाराणसी कमिश्नर द्वारा दी गयी जांच रिपोर्ट के अनुसार विश्वविद्यालय में हुए विवाद के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ज़िम्मेदार है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार बनारस के कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन को लापरवाही का दोषी ठहराया है.
कमिश्नर ने जांच के दौरान वाइस चांसलर और पीड़ित लड़की समेत 12 लोगों के बयान लिए थे. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मामले को गलत तरीके से हैंडल किया और वक्त रहते इसका हल नहीं निकाला.
रिपोर्ट में यह भी कहती है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता. रिपोर्ट के अनुसार इस पूरे मामले में सबसे बड़ा दोष प्रशासन का ही है, वह चाहते तो यह मामला आराम से निपट सकता था.
Varanasi Commissioner in report to Chief Secy says #BHU did not deal with victim complaint in sensitive manner,nor handled situation on time
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 26, 2017
कमिश्नर के अलावा सरकार की ओर से भी इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं.
Judicial inquiry has been ordered into the incident: Uttar Pradesh minister Shrikant Sharma on #BHUClash
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) September 26, 2017
वहीं कुलपति ने कहा है कि पीड़ित छात्रा और उसकी सहेलियों के साथ उन्होनें दो बार मुलाकात की और छात्राओं ने उन्हें बताया था कि धरने का संचालन खतरनाक किस्म के अपरिचित लोग कर रहे है. उन लोगों ने पीड़ित छात्रा समेत उस की सहेलियों को धरना स्थल से उठकर जाने पर भी प्रतिबंध लगा रखा था. एक तरह से पीड़ित छात्रा को धरना स्थल पर बंधक बनाकर जबरन बिठाकर रखा गया.
पीड़ित छात्रा ने खुद यह बात उन्हें बतायी और धरना स्थल की बजाय छात्राओं से छात्रावास में चलकर बात करने को कहा. इस पर उन्हें रात में त्रिवेणी महिला छात्रावास जाने का फैसला लिया और गया भी जहां उपद्रवी तत्वों ने गेट के बाहर रास्ता जबरन रोक दिया और पत्थरबाजी करने लगे तथा पेट्रोल बम फेंकने लगे.
उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस ने ऐसे अपराधी तत्वों को कैंपस से बाहर करने के लिये ही बल प्रयोग किया और किसी छात्रा पर कोई लाठी नहीं चलाई. इस बारे में खबर ग़लत प्रचारित की जा रही है.
कुलपति ने कहा कि छात्रा के साथ छेड़छाड़ की घटना दूर्भाग्यपूर्ण है और इसके पीछे गहरी साजिश है.
उनका कहना था, ‘मेरे ढाई साल से ज्यादा के कार्यकाल में ऐसी एक भी घटना नहीं हुई थी. आज भी घटना स्थल से थोड़ी दूर पर एम्फीथियेटर ग्राउन्ड में सैंकड़ों छात्र-छात्राएं एक साथ बास्केटबॉल, फुटबॉल, हॉकी समेत अनेक खेल शाम से लेकर रात 8 बजे तक खेलते है, लेकिन कभी ऐसी घटना नही घटी, जो घटना घटी है उसके पीछे विश्वविद्यालय में आग लगाने की तथा छात्र छात्राओं को मेरे ख़िलाफ़ भड़काने की गहरी साजिश छुपी है जिसे मैं बर्दाश्त नहीं करुंगा.’
विद्यार्थियों से मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘मेरे दरवाजे छात्र-छात्राओं के लिये हमेशा खुले है. मैंने विश्वविद्यालय में कार्यकाल के पहले दिन से छात्र-छात्राओं, अध्यापकों एवं कर्मचारियों को एक परिवार मानकर दिन रात ईमानदारी से काम किया है. कई लोगों को मेरा ईमानदारी से काम करना रास नही आया है जिन्होंने घटना की आड़ में असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर इस पूरे षडयंत्र को अंजाम दिया है.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)