विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मक़सद से गठित परिसीमन आयोग के इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने कहा कि आयोग ने उसकी सिफ़ारिशों में आंकड़ों के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को तरजीह दी है.
नई दिल्ली: केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिए विधानसभा क्षेत्रों की सीमा को नए सिरे से निर्धारित करने के मकसद से गठित परिसीमन आयोग ने 16 सीट अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लिए आरक्षित करते हुए जम्मू क्षेत्र में छह अतिरिक्त सीट और कश्मीर घाटी में एक अतिरिक्त सीट का प्रस्ताव रखा है.
इस पर नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसे दलों ने आपत्ति जताई और आयोग पर आरोप लगाया कि वह भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को उसकी सिफारिशों को निर्देशित करने की अनुमति दे रहा है.
पीडीपी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी), जिसे भाजपा के प्रति मित्रवत माना जाता है, ने भी आयोग की मसौदा सिफारिशों का कड़ा विरोध किया, जो जम्मू कश्मीर के चुनावी नक्शे को बदल देगी.
कश्मीर संभाग में फिलहाल 46 और जम्मू में 37 सीट हैं.
सूत्रों ने बताया कि जम्मू कश्मीर में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के लिए नौ सीट और अनुसूचित जाति (एससी) के लिए सात सीट का प्रस्ताव रखा गया है.
उच्चतम न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश रंजना देसाई की अध्यक्षता वाले आयोग की सोमवार को यहां दूसरी बैठक हुई. जम्मू कश्मीर के पांच लोकसभा सदस्य आयोग के सहयोगी सदस्य और मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा इसके पदेन सदस्य हैं.
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला सहित पार्टी के तीन लोकसभा सदस्य पहली बार आयोग की बैठक में शामिल हुए. प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह सहित भाजपा के दो सांसद भी बैठक में मौजूद थे.
सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों से सीट संख्या में प्रस्तावित वृद्धि पर 31 दिसंबर तक अपने विचार प्रस्तुत करने को कहा गया है.
पांच दलों वाले गुपकर गठबंधन (पीएजीडी)के अध्यक्ष अब्दुल्ला ने बैठक के बाद कहा कि वह समूह के साथ-साथ अपनी पार्टी के सहयोगियों को आयोग के विचार-विमर्श के बारे में जानकारी देंगे.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘हम पहली बार बैठक में शामिल हुए क्योंकि हम चाहते थे कि जम्मू कश्मीर के लोगों की आवाज सुनी जाए. बैठक सौहार्दपूर्ण तरीके से हुई और हम सभी को निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अपनाए गए तरीके के बारे में बताया गया.’
उन्होंने कहा, ‘मैं आयोग को अपने विचार भेजने से पहले अपने वरिष्ठ पार्टी नेताओं के साथ चर्चा करूंगा. हमें उन सीट के बारे में भी नहीं बताया गया है जो वे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कर रहे हैं.’
नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि यह बहुत निराशाजनक है कि आयोग ने आंकड़ों के बजाय भाजपा के राजनीतिक एजेंडा को अपनी सिफारिशों को निर्देशित करने की अनुमति दी.
It is deeply disappointing that the commission appears to have allowed the political agenda of the BJP to dictate its recommendations rather than the data which should have been it’s only consideration. Contrary to the promised “scientific approach” it’s a political approach.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) December 20, 2021
उन्होंने कहा, ‘वादा किए गए ‘वैज्ञानिक दृष्टिकोण’ के विपरीत यह एक राजनीतिक दृष्टिकोण है.’
उमर ने कहा कि परिसीमन आयोग की मसौदा सिफारिश अस्वीकार्य है. जम्मू के लिए छह और कश्मीर के लिए केवल एक-नवनिर्मित विधानसभा क्षेत्र का वितरण 2011 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से उचित नहीं है.
पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी की अध्यक्षता वाली जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी ने भी आयोग के प्रस्ताव को खारिज किया.
इसने कहा, ‘यह हमारे लिए पूरी तरह से अस्वीकार्य है. अपनी पार्टी जनसंख्या और जिलों के आधार पर बिना किसी पूर्वाग्रह के निष्पक्ष परिसीमन कवायद की मांग करती है. हम भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं.’
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह आयोग केवल धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित कर भाजपा के राजनीतिक हितों की सेवा के लिए बनाया गया है.
This commision has been created simply to serve BJPs political interests by dividing people along religious & regional lines. The real game plan is to install a government in J&K which will legitimise the illegal & unconstitutional decisions of August 2019.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 20, 2021
उन्होंने ट्वीट किया, ‘आयोग केवल धार्मिक और क्षेत्रीय आधार पर लोगों को विभाजित कर भाजपा के राजनीतिक हितों की सेवा के लिए बनाया गया है. असली गेम प्लान जम्मू कश्मीर में एक ऐसी सरकार स्थापित करने का है, जो अगस्त 2019 के अवैध और असंवैधानिक निर्णयों को वैध करेगी.’
वह अनुच्छेद 370 के तहत मिले जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने और पूर्ववर्ती राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसलों का जिक्र कर रही थीं.
उन्होंने कहा, ‘परिसीमन आयोग के बारे में मेरी आशंका गलत नहीं थी. वे जनगणना की अनदेखी कर और एक क्षेत्र के लिए छह सीट तथा कश्मीर के लिए केवल एक सीट का प्रस्ताव देकर लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करना चाहते हैं.’
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने कहा कि आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं.
The recommendations of the delimitation commission are totally unacceptable. They reek of bias. What a shock for those who believe in democracy.
— Sajad Lone (@sajadlone) December 20, 2021
उन्होंने ट्वीट किया, ‘परिसीमन आयोग की सिफारिशें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. वे पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं. लोकतंत्र में विश्वास रखने वालों के लिए यह कितना बड़ा झटका है.’
अगस्त 2019 में संसद में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक के पारित होने के बाद फरवरी 2020 में परिसीमन आयोग की स्थापना की गई थी.
शुरू में इसे एक वर्ष के भीतर अपना काम पूरा करने को कहा गया था, लेकिन इस साल मार्च में इसे एक वर्ष का विस्तार दिया गया, क्योंकि कोविड-19 महामारी के कारण काम पूरा नहीं हो सका.
आयोग को केंद्रशासित प्रदेश में संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों को फिर से निर्धारित करने का काम सौंपा गया है.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, जम्मू में राजनीतिक पर्यवेक्षकों ने कहा कि जम्मू संभाग में छह सीटों की प्रस्तावित वृद्धि अपेक्षित तर्ज पर थी, जबकि जम्मू जिले में कोई नया निर्वाचन क्षेत्र प्रस्तावित नहीं किया गया है, जिसमें 11 सीटें हैं.
उन्होंने कहा कि भाजपा को पीर पंजाल और चिनाब घाटी क्षेत्रों में बढ़ावा मिल सकता है क्योंकि सीटों को पहली बार एसटी के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव है, जिसमें गुर्जर और बकरवाल समुदाय शामिल हैं जो जम्मू कश्मीर में कश्मीरियों और डोगराओं के बाद तीसरा सबसे बड़ा जातीय समूह हैं. दोनों समूह कश्मीर के अनंतनाग, गांदरबल और बांदीपोरा क्षेत्रों के अलावा राजौरी और पूंछ के सीमावर्ती जिलों में बड़े पैमाने पर रहते हैं.
2014 के चुनावों के दौरान बिना किसी राजनीतिक आरक्षण के भी जम्मू संभाग से सात गुर्जर नेता विधानसभा के लिए चुने गए, विशेष रूप से राजौरी और पूंछ जिलों के अलावा कश्मीर के कंगन इलाके से.
सीनियर डिप्टी चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार ने अपनी प्रस्तुति में कहा कि पिछले परिसीमन के बाद से जिलों की संख्या 12 से 20 और तहसीलों की संख्या 52 से बढ़कर 207 हो गई थी. आयोग ने 20 जिलों को तीन व्यापक श्रेणियों में वर्गीकृत किया है: ए, बी, और सी, जिलों को सीटों का आवंटन करते समय प्रति निर्वाचन क्षेत्र की औसत आबादी का 10 प्रतिशत का अंतर देते हैं.
मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 जून को जम्मू कश्मीर के नेताओं के साथ एक बैठक के दौरान कहा था कि परिसीमन की जारी कवायद जल्द पूरी होनी चाहिए ताकि एक निर्वाचित सरकार स्थापित करने के लिए चुनाव हो सके.
आयोग ने इस साल 23 जून को एक बैठक की थी, जिसमें जम्मू और कश्मीर के सभी 20 उपायुक्तों ने भाग लिया था. इस दौरान विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों को भौगोलिक रूप से अधिक सुगठित बनाने के लिए विचार मांगे गए थे.
विधानसभा की 24 सीट खाली रहती हैं क्योंकि वे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंतर्गत आती हैं.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)