सेना की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव के मद्देनज़र केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद आफ़स्पा हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी की अगुवाई ने पांच सदस्यीय समिति गठित की है, जो 45 दिन में अपनी रिपोर्ट देगी.
नई दिल्ली: नगालैंड में गोलीबारी में 14 लोगों की मौत के बाद बढ़े तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने दशकों से नगालैंड में लागू विवादास्पद सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है. अधिकारियों ने यह जानकारी दी.
भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त विवेक जोशी पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व करेंगे, जबकि केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल समिति के सदस्य सचिव होंगे.
एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि समिति के अन्य सदस्य नगालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी हैं.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा क्रमशः नगालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो और हिमंता बिस्वा शर्मा के साथ बैठक करने के तीन दिन बाद समिति का गठन किया गया है.
नई दिल्ली में 23 दिसंबर को हुई बैठक में नगालैंड के उपमुख्यमंत्री वाई. पैटन और नगालैंड के पूर्व मुख्यमंत्री टीआर जेलियांग भी शामिल थे.
यह समिति 45 दिन में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी. समिति नगालैंड में आफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करेगी, जहां यह कानून दशकों से लागू है. समिति की सिफारिशों के आधार पर निर्णय लिया जाएगा.
अधिकारियों ने बताया कि दिसंबर की शुरुआत में नगालैंड के मोन जिले में उग्रवाद विरोधी अभियान में सीधे तौर पर शामिल रहे सैन्यकर्मियों के खिलाफ भी निष्पक्ष जांच के बाद अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की संभावना है. जांच लंबित रहने तक सेना के जवानों को निलंबित किया जा सकता है.
सेना की एक टुकड़ी द्वारा मोन जिले में की गई गोलीबारी में 14 नागरिकों की मौत के बाद आफस्पा को वापस लेने के लिए नगालैंड के कई जिलों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि उच्च स्तरीय समिति के गठन का फैसला 23 दिसंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया.
Briefed the media with regard to the meeting chaired by Hon'ble @HMOIndia Shri @AmitShah on Dec' 23, 2021 in New Delhi. Grateful to Amit Shah ji for taking up the matter with utmost seriousness. The State Govt. appeals to all sections to continue to maintain a peaceful atmosphere pic.twitter.com/a8CLuw3MM6
— Neiphiu Rio (@Neiphiu_Rio) December 26, 2021
इससे पहले, नगालैंड के मुख्यमंत्री ने रविवार को ट्वीट किया, ‘केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता में 23 दिसंबर को नई दिल्ली में बैठक हुई. मामले को गंभीरता से लेने के लिए अमित शाह जी का आभारी हूं. राज्य सरकार सभी वर्गों से शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने की अपील करती है.’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि मोन जिले की घटना में सीधे तौर पर शामिल सैन्य इकाई और कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही, संभवत: ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ शुरू की जाएगी और निष्पक्ष जांच के आधार पर तत्काल कार्रवाई की जाएगी. नगालैंड सरकार घटना में मारे गए 14 लोगों के परिजनों को सरकारी नौकरी देगी.
गृह मंत्री अमित शाह ने नगालैंड में सुरक्षा बलों की गोलीबारी में 14 लोगों की मौत की घटना पर खेद प्रकट करते हुए छह दिसंबर को संसद को बताया था कि इसकी विस्तृत जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है जिसे एक महीने के अंदर जांच पूरी करने को कहा गया है.
मालूम हो कि बीते 19 दिसंबर को नगालैंड विधानसभा ने केंद्र सरकार से पूर्वोत्तर, खास तौर से नगालैंड से आफस्पा हटाने की मांग को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया था. प्रस्ताव में ‘मोन जिले के ओटिंग-तिरु गांव में चार दिसंबर को हुई घटना और जिले में ही पांच दिसंबर को हुई घटना में लोगों की मौत की आलोचना की गई थी.
आफस्पा सुरक्षा बलों को बिना किसी पूर्व वारंट के कहीं भी अभियान चलाने और किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार देता है. पूर्वोत्तर में यह असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर) और असम की सीमा से लगे अरुणाचल प्रदेश के कुछ जिलों में लागू है.
सेना ने कहा- न्याय के लिए क़ानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी
सेना ने रविवार को कहा कि नगालैंड के मोन जिले में हुई गोलीबारी की घटना में लोगों की ‘दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण’ मौत के मामले की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और जांच जल्द से जल्द पूरी करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं.
सेना ने यह आश्वासन भी दिया कि मामले में ‘सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने’ के मकसद से कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. सेना ने राज्य के लोगों से धैर्य रखने और सेना की जांच के निष्कर्षों की प्रतीक्षा करने का आग्रह किया.
घटना के बाद सेना ने पूर्वोत्तर क्षेत्र में तैनात एक मेजर जनरल के नेतृत्व में ‘कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी’ का आदेश दिया था.
सेना ने एक बयान में कहा, ‘भारतीय सेना नगालैंड के लोगों को नए साल की शुभकामनाएं देती है और हम लोगों के लिए अच्छे स्वास्थ्य, शांति, खुशी और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं. हमें एक बार फिर मोन जिले में 4 दिसंबर की घटना के दौरान लोगों के जान गंवाने का गहरा अफसोस है. लोगों का जान गंवाना वाकई दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है.’
बयान में कहा गया है कि सेना द्वारा आदेशित जांच तेजी से आगे बढ़ रही है और इसे जल्द से जल्द पूरा करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं.
गौरतलब है कि बीते चार और पांच दिसंबर को नगालैंड के मोन जिले के ओटिंग और तिरु गांवों के बीच सेना की गोलीबारी में कम से कम 14 नागरिकों के मौत के बाद पूर्वोत्तर से सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 यानी आफस्पा को वापस लेने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है.
घटना के बाद विभिन्न छात्र संगठन और राजनीतिक दल सेना को विशेष अधिकार देने वाले आफस्पा हटाने की मांग कर रहे हैं.
नगालैंड में हालिया हत्याओं के बाद से राजनेताओं, सरकार प्रमुखों, विचारकों और कार्यकर्ताओं ने एक सुर में आफस्पा को हटाने की मांग उठाई है.
इन्होंने कहा है कि यह कानून सशस्त्र बलों को बेलगाम शक्तियां प्रदान करता है और यह मोन गांव में फायरिंग जैसी घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार है.
नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) की सांसद अगाथा संगमा ने भी यह मुद्दा बीते सात दिसंबर को लोकसभा में उठाया था और कहा था कि पूर्वोत्तर के राज्यों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (आफस्पा) हटाया जाना चाहिए.
कांग्रेस ने गोलीबारी को लेकर अमित शाह का इस्तीफा मांगा
कांग्रेस ने नगालैंड में हुई गोलीबारी की घटना को लेकर रविवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग की. साथ ही पार्टी ने पीड़ितों को मुआवजा देने और गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश के नेतृत्व में स्वतंत्र जांच कराने की भी मांग की.
कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल इस महीने की शुरुआत में हुई घटना में घायल हुए लोगों के संबंधियों से मिलने डिब्रूगढ़ मेडिकल कॉलेज गया था, जिसने अपनी रिपोर्ट पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी को सौंपी है.
रिपोर्ट सौंपे जाने के एक दिन बाद कांग्रेस ने यह मांग की है. इस प्रतिनिधिमंडल में कांग्रेस महासचिव जितेंद्र सिंह, पार्टी के नगालैंड प्रभारी अजॉय कुमार और सांसद गौरव गोगोई शामिल थे.
कुमार ने यहां संवाददाता सम्मेलन आयोजित कर गांधी को सौंपी गई रिपोर्ट के निष्कर्षों और विषयवस्तु के बारे में जानकारी साझा की.
कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने अपनी रिपोर्ट में शाह का इस्तीफा मांगते हुए आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर में भाजपा की ‘नाकाम नीतियों’ के चलते नगालैंड की घटना हुई.
रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है, ‘इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना ने एक बार फिर बड़े पैमाने पर खुफिया विफलता को प्रदर्शित किया है, लिहाजा यह गृह मंत्रालय की विफलता है. इसके अलावा, गृह मंत्री नगालैंड की स्थिति पर ध्यान देने के बजाय राजस्थान में राजनीतिक सभाओं को संबोधित कर रहे थे. यह पूर्वोत्तर के प्रति केंद्र के सौतेले व्यवहार को दर्शाता है.’
कुमार ने शाह पर झूठे बयान देने और लोकसभा में ‘झूठ बोलने’ का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि शाह के बयान जमीन पर मौजूद जानकारी के विपरीत और पूरी तरह से झूठे थे.
कुमार ने कहा कि लोगों पर बिना चेतावनी गोली चलाई गई. उन्होंने यह भी मांग की कि हिंसा के पीड़ितों को केंद्र सरकार द्वारा मृतकों के परिवारों को एक एक करोड़ रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए.
उन्होंने कहा कि घायलों को कम से कम 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए.
पार्टी ने अपनी रिपोर्ट में गुवाहाटी उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की.
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)