त्रिपुरा पुलिस विभाग ने 27 दिसंबर को कुल 2,200 में से 1,443 चयनित उम्मीदवारों की मेरिट सूची प्रकाशित की थी. इस घोषणा के बाद नौकरी न पाने वाले उम्मीदवारों ने भाजपा नेताओं पर वादाख़िलाफ़ी और रिश्वत लेकर नौकरी न देने का आरोप लगाते हुए कई स्थानों पर पार्टी कार्यालयों पर हमला किया.
अगरतला: त्रिपुरा राज्य के अर्धसैनिक बल त्रिपुरा स्टेट राइफल्स (टीएसआर) में नौकरियों के लिए मेरिट सूची में बड़ी संख्या में जिन उम्मीदवारों के नाम नहीं आए, उन्होंने राज्य के विभिन्न हिस्सों में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय नेतृत्व ने नौकरी के लिए झूठा वादा किया था.
त्रिपुरा पुलिस विभाग ने 27 दिसंबर को कुल 2,200 में से 1,443 चयनित उम्मीदवारों की मेरिट सूची प्रकाशित की थी. इस घोषणा के बाद प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पार्टी के कार्यालयों पर हमला किया और कुछ स्थानों पर आगजनी की घटनाएं भी हुईं. चयनित 1,443 उम्मीदवारों में से 357 अन्य राज्यों के हैं.
कई प्रदर्शनकारियों ने भाजपा समर्थक होने का दावा किया. 29 दिसंबर को नौकरी के लिए परीक्षा देने वाले युवाओं ने राज्य सचिवालय के सामने और त्रिपुरा उच्च न्यायालय के परिसर के पास विरोध प्रदर्शन किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पार्टी नेतृत्व ने नौकरियों के झूठे वादे किए और सरकारी नौकरियों से वंचित होने के बाद भाजपा के समर्थकों के बीच आक्रोश पनप रहा है.
प्रदर्शनकारियों ने गोमती जिले के अमरपुर, दक्षिण जिले के बेलोनिया और सिपाहीजाला जिले के बिशालगढ़ सहित कई स्थानों पर भाजपा कार्यालयों में तोड़फोड़ की.
30 दिसंबर को पत्रकारों से बात करते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘हमने उच्च न्यायालय के सामने सड़क को अवरुद्ध करने के बाद लगभग 75 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है. उन्हें यहां विरोध करने की पूर्व अनुमति नहीं थी. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया.’
रिश्वत के आरोप
पत्रकारों से बात करते हुए प्रदर्शनकारियों में से एक ने आरोप लगाया कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने उन्हें टीएसआर भर्ती अभियान में नौकरी देने का वादा किया था.
उन्होंने कहा, ‘पार्टी के लिए काम करने के दौरान मेरे पति की मृत्यु हुई थी. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता, जो अब एक प्रतिष्ठित पद पर हैं, मेरे घर आए और वादा किया कि जब टीएसआर पद के लिए आवेदन जारी किए जाएंगे, तो मुझे नौकरी मिल जाएगी.’
त्रिपुरा दक्षिण जिले के बेलोनिया उप-मंडल के एक अन्य अभ्यर्थी ने कहा, ‘यह अस्वीकार्य है. हमारे क्षेत्र में जिन लोगों को नौकरी मिली है, उनके परिवारों की पहचान कट्टर वामपंथी समर्थकों के रूप में की जाती है. सभी आवश्यक योग्यताएं होने और टीएसआर भर्ती के लिए सभी आवश्यक टेस्ट पास करने के बावजूद हमें नौकरी नहीं मिली, जबकि कम स्कोर वाले लोगों का चयन किया गया है.’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पूरी भर्ती प्रक्रिया में हेराफेरी की गई और लोगों को मोटी रकम के एवज में नौकरी मिली है.
इसी तरह के आरोप भाजपा चारिलम मंडल अध्यक्ष राजकुमार देबनाथ पर भी लगाए गए थे.
चारिलम के ब्रजापुर क्षेत्र की पार्टी कार्यकर्ता सुमिता देबनाथ ने दावा किया कि उन्होंने स्थानीय भाजपा नेता गोपाल देबनाथ की उपस्थिति में टीएसआर में नौकरी के लिए देबनाथ को तीन लाख रुपये की रिश्वत दी थी.
उन्होंने कहा, ‘कल सूची प्रकाशित हुई थी और मेरे बेटे का नाम गायब है. मैंने उन्हें (भाजपा नेता) कॉल करने की कोशिश की और वे फिर से आश्वासन दे रहे हैं. उन्होंने मुझसे कहा कि वे इस मुद्दे को राज्य समिति की बैठक में उठाएंगे. लेकिन ऐसा लगता है कि मेरे बेटे को नौकरी नहीं मिलेगी. मैं उनसे कहा है कि या तो वे अपना वादा पूरा करें या फिर मेरे पैसे लौटाएं.’
इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य भाजपा प्रवक्ता नबेंदु भट्टाचार्य ने कहा कि उनकी पार्टी पैसे के बदले या पार्टी के नाम पर नौकरी नहीं दिलाती है.
उन्होंने कहा, ‘हमारी सरकार गुणवत्ता में विश्वास करती है. हम इस तरह की गतिविधियों के सख्त खिलाफ हैं. हम (रिश्वत) आरोपों पर गौर करेंगे. जो लोग आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने नौकरी पाने के लिए पैसे दिए हैं, उन्हें पुलिस का दरवाजा खटखटाना चाहिए और हमारी पार्टी भी इस मामले की जांच करेगी. लेकिन भाजपा ऐसी गतिविधियों का समर्थन नहीं करती है.’
सीपीआई (एम) राज्य समिति के सचिव जितेंद्र चौधरी ने त्रिपुरा उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश द्वारा घटना की न्यायिक जांच की मांग की है.
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