पिछले कई हफ़्तों से डॉक्टर काम का अधिक बोझ होने के विरोध में नीट-पीजी काउंसिलिंग शुरू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. केंद्र सरकार के आश्वासन के बाद बीते दिनों उन्होंने अपना प्रदर्शन वापस ले लिया था. इस आदेश से उन अनेक डॉक्टरों को राहत मिलेगी, जो पोस्ट ग्रेजुएट चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए इंतज़ार कर रहे हैं.
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2021-22 की नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट-पोस्ट ग्रेजुएट (नीट-पीजी NEET-PG) की रुकी हुई काउंसलिंग प्रक्रिया को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की मौजूदा सीमा के आधार पर फिर से शुरू करने का रास्ता शुक्रवार को साफ कर दिया.
इस आदेश से उन अनेक डॉक्टरों को राहत मिलेगी, जो पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए इंतजार कर रहे हैं.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने अंतरिम आदेश सुनाते हुए कहा, ‘काउंसलिंग की प्रक्रिया शुरू करने की तत्काल आवश्यकता है.’
पीठ ने लगातार दो दिन तक आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के निर्धारण के लिए आठ लाख रुपये सालाना आय के मानदंड की स्वीकार्यता के विषय पर सुनवाई की थी.
पीठ ने कहा कि फैसले की विस्तृत व्याख्या जल्द ही की जाएगी.
पीठ ने कहा, ‘नीट-पीजी 2021 और नीट-यूजी 2021 के आधार पर काउंसलिंग 29 जुलाई 2021 को जारी नोटिस में दर्ज आरक्षण को प्रभावी बनाते हुए की जाएगी, जिसमें अखिल भारतीय कोटा सीटों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को 27 प्रतिशत तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए दस प्रतिशत आरक्षण शामिल है.’
शीर्ष अदालत ने कुछ डॉक्टरों की याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश दिया. डॉक्टरों ने केंद्र और मेडिकल काउंसलिंग कमेटी के 29 जुलाई, 2021 के नोटिस को चुनौती दी थी.
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिकाएं नीट-आधारित एडमिशन में ओबीसी/ईडब्ल्यूएस आरक्षण शुरू करने के केंद्र सरकार के फैसले की वैधता के खिलाफ चुनौतियों से संबंधित हैं. पिछली सुनवाई में पीठ ने ईडब्ल्यूएस कोटा के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए केंद्र सरकार की 8 लाख रुपये प्रति वर्ष की आय में कटौती पर संदेह जताया था.
25 अक्टूबर 2021 को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि नीट काउंसलिंग रोक दी जाएगी, हालांकि अदालत ने इस मामले में फैसला सुना दिया है.
पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने कहा था कि आठ लाख रुपये के कट-ऑफ मामले को देखने के लिए एक पैनल का गठन करने के बाद उसने इस साल के लिए इसी कट-ऑफ पर टिके रहने का फैसला किया है. समिति ने कहा था कि भविष्य में मानदंड में बदलाव किया जा सकता है, लेकिन इस वर्ष की काउंसलिंग को योजना के अनुसार आगे बढ़ने दिया जाए.
नीट-पीजी का आयोजन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय परीक्षा बोर्ड द्वारा किया जाता है.
समय पर काउंसिलिंग शुरू नहीं होने के कारण पिछले कई हफ्तों से डॉक्टर अधिक काम करने और अधिक बोझ होने के विरोध में इसे फिर से शुरू करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे. मेडिकल कॉलेजों में भर्ती होने से पहले इन छात्रों को आगे की पढ़ाई और देखभाल के काम करने के लिए काउंसलिंग अंतिम चरण है.
पीठ ने कहा कि भविष्य में ईडब्ल्यूएस की पहचान के लिए पांडे समिति द्वारा निर्धारित मानदंडों की वैधता पर निर्णय याचिकाओं पर सुनवाई के बाद लिया जाएगा.
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की यह दलील कि ओबीसी आरक्षण गैरकानूनी है, कानूनी रूप से टिक नहीं सकती.
मेहता ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आठ लाख रुपये की आय के मानदंड के क्रियान्वयन को सही ठहराते हुए कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने उचित विचार-विमर्श के बाद यह निर्णय लिया है.
केंद्र ने अजय भूषण पांडे, पूर्व वित्त सचिव, वीके मल्होत्रा, सदस्य सचिव, आईसीएसएसआर और केंद्र के प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की तीन सदस्यीय समिति का 30 नवंबर 2021 को गठन किया था.
समिति ने 31 दिसंबर 2021 को केंद्र को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा था, ‘ईडब्ल्यूएस के लिए वर्तमान सकल वार्षिक पारिवारिक आय सीमा आठ लाख रुपये या उससे कम को बरकरार रखा जा सकता है. या अन्य शब्दों में केवल वे परिवार जिनकी वार्षिक आय आठ लाख रुपये तक है, केवल वे ईडब्ल्यूएस आरक्षण का लाभ पाने के पात्र होंगे.’
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)