चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी 35 में से 14 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही थी. मेयर चुनाव में कुल 36 वोटों में से सिर्फ़ 28 वोट ही पड़े. भाजपा और आप के उम्मीदवारों के 14-14 वोट थे, लेकिन भाजपा पार्षद और पीठासीन अधिकारी महेश इंदर सिंह द्वारा आप का एक वोट अमान्य घोषित करने से भाजपा उम्मीदवार सरबजीत कौर जीत गईं. कांग्रेस और अकाली दल ने चुनाव में भाग नहीं लिया था.
चंडीगढ़ः आठ जनवरी को चंडीगढ़ नगर निकाय में मेयर पद का चुनाव एक वोट से हारने के बाद आम आदमी पार्टी ने भाजपा पर ‘लोकतंत्र की हत्या’ का आरोप लगाया है. दरअसल शनिवार (08 जनवरी) को मेयर पद के चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के एक वोट को खारिज कर दिया गया था.
पिछले महीने चंडीगढ़ नगर निकाय चुनाव में भाजपा के खराब प्रदर्शन के बावजूद पार्टी की उम्मीदवार सरबजीत कौर मात्र एक वोट से मेयर पद जीत गई हैं. मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर तीनों पद भाजपा के खाते में गए.
स्थानीय नगर निकाय चुनाव में पहली बार उतरी आम आदमी पार्टी को चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने के बाद मेयर पद का चुनाव जीतने की उम्मीद थी.
आठ जनवरी को मेयर पद के चुनाव में कुल 36 वोटों में से सिर्फ 28 वोट ही पड़े, क्योंकि कांग्रेस के सात पार्षदों और शिरोमणि अकाली दल के एकमात्र पार्षद ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया.
हालांकि, भाजपा और आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार 14-14 वोटों पर बराबरी पर थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के पक्ष में एक वोट को खारिज कर देने के बाद भाजपा की उम्मीदवार सबरजीत कौर जीत गईं.
जहां आम आदमी पार्टी का दावा है कि वोट को अमान्य घोषित करने का कोई वैध कारण नहीं था. वहीं, भाजपा सूत्रों का कहना है कि वोट को इसलिए खारिज कर दिया गया, क्योंकि बैलेट के पीछे ‘टिक’ का निशान था. हालांकि, इस स्पष्टीकरण से आम आदमी पार्टी संतुष्ट नहीं है.
भाजपा को लाभ कैसे मिला
चंडीगढ़ नगर निकाय चुनाव में आम आदमी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. उसने नगर निकाय की 35 सीटों में से 14 पर जीत दर्ज की थी. वहीं, सत्तारूढ़ भाजपा ने सिर्फ 12 सीटें जीती थीं. बाकी बची सीटों में से आठ पर कांग्रेस विजयी रही, जबकि एक सीट शिरोमणि अकाली दल के खाते में गई.
BJP wins all three positions in the Municipal Corporation Voting for offices of Mayor, Senior Deputy Mayor and Deputy Mayor.
Mayor : Mrs. Sarabjit Kaur BJP
Senior Deputy Mayor : Shri Dalip Sharma BJP
Deputy Mayor : Shri Anup Sharma BJP
SAFFRON WAVE IN CHANDIGARH ✊✌️ pic.twitter.com/ZCHjvRKKpC— Kirron Kher (@KirronKherBJP) January 8, 2022
नतीजों के ऐलान के तुरंत बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण सूद ने द वायर को बताया था कि उनकी पार्टी की इच्छा विपक्ष में बैठने की है. हालांकि, बाद में उन्होंने मेयर का चुनाव लड़ने की पार्टी की इच्छा जाहिर की थी.
सूद के ऐलान के बाद कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के सदस्यों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि भाजपा ने उनके उम्मीदवारों को मोटी रकम की पेशकश कर खरीदने की कोशिश की है.
भाजपा नेताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है.
कांग्रेस की नवनिर्वाचित पार्षद हरप्रीत कौर बाबला के भाजपा में शामिल होने पर क्षेत्र में सत्ता में वापसी की भाजपा की संभावनाओं को बल मिला था. इससे नगर निकाय में भाजपा की संख्या बढ़कर 13 हो गई.
चंडीगढ़ लोकसभा सीट से भाजपा सांसद किरण खेर के सदन में पदेन वोट (Ex-Officio Vote) डालने के बाद भाजपा, आम आदमी पार्टी के 14 वोटों की बराबरी कर सकी. इसके बाद इस सत्ता संघर्ष में भाजपा, आम आदमी पार्टी से आगे निकल गई.
अब चूंकि दल-बदल कानून नहीं होने से कांग्रेस पार्षद के दल बदलने से भाजपा को फायदा मिला.
दल बदल के विरोध में प्रावधान सहित 2018 में इस कानून में संशोधन के प्रयास किए गए थे. हालांकि, उस समय भाजपा के पास दो-तिहाई से अधिक बहुमत था, लेकिन उसने इस कानून में संशोधन को लेकर कोई उत्साह नहीं दिखाया.
कांग्रेस पार्षद के दल बदलने के बाद दिन भी सियासी ड्रामा चलता रहा. इसके बाद कांग्रेस अपने बाकी बचे सात पार्षदों को जयपुर लेकर चली गई, जबकि आम आदमी पार्टी अपने पार्षदों को लेकर दिल्ली पहुंच गई. वहीं, भाजपा ने अपने पार्षदों के पार्टी शासित शिमला में रहने की व्यवस्था की.
मेयर पद का चुनाव उस समय और भी अधिक दिलचस्प हो गया, जब कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल ने इसका बहिष्कार करने का फैसला किया. भाजपा और आप के 14-14 पार्षदों के समर्थन के साथ आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के संयोजक प्रेम गर्ग को उम्मीद थी कि अंतिम फैसला ड्रॉ के जरिये लिया जाएगा.
वोट अमान्य घोषित
दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के 14-14 वोट थे, लेकिन आम आदमी पार्टी के एक पार्षद का वोट अमान्य घोषित करने पर भाजपा की उम्मीदवार सरबजीत जीत गईं.
इस चुनाव के पीठासीन अधिकारी महेश इंदर सिंह ने आम आदमी पार्टी के पार्षद के वोट को अमान्य करार दिया था. महेश खुद भाजपा पार्षद हैं, जो सिर्फ नौ वोटों से नगर निकाय चुनाव जीते थे.
इसके बाद आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार अंजू कात्याल के पास सिर्फ 13 वोट थे, जबकि भाजपा की उम्मीदवार सरबजीत कौर के पक्ष में 14 वोट थे, जिनमें से 13 उनकी खुद की पार्टी के पार्षदों के थे, जबकि एक चंडीगढ़ से भाजपा सांसद किरण खेर का वोट था.
इसके बाद नाराज आम आदमी पार्टी के पार्षद उस स्थान पर गए, जहां नई मेयर को बैठाया गया था और विरोध करने लगे. वहां तैनात मार्शल भी स्थिति को नियंत्रित नहीं कर सके, जिसके बाद चंडीगढ़ पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा.
Chandigarh Mayoral polls
Scenes inside MC house 👇 pic.twitter.com/ZZz1o88trV
— Rajinder S Nagarkoti रजिन्दर सिंह नगरकोटी (@nagarkoti) January 8, 2022
बाद में आम आदमी पार्टी विधायक और पंजाब मामलों के सह-प्रभारी राघव चड्ढा भी नगर निगम पहुंचे और भाजपा पर गड़बड़ी का आरोप लगाया.
चड्ढा ने दोबारा मतदान की मांग करते हुए मीडिया को बताया कि भाजपा ने मेयर चुनाव में धोखाधड़ी की है और इस चुनाव ने शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस का भी पर्दाफाश कर दिया है.
उन्होंने कहा, ‘मैं पंजाब के लोगों को बताना चाहता हूं कि चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी को दूर रखने के लिए भाजपा, शिरोमणि अकाली दल और कांग्रेस ने गठजोड़ किया था.’
इस बीच मेयर चुनाव पद के लिए दोबार मतदान की मांग को खारिज कर दिया गया और नई मेयर ने कार्यभार संभाल लिया है.
लोकतंत्र की हत्याः आम आदमी पार्टी
आम आदमी पार्टी चंडीगढ़ के संयोजक प्रेम गर्ग ने द वायर से बातचीत में कहा कि मेयर चुनाव में लोकतंत्र की हत्या की गई है. उन्होंने कहा कि जनता का जनादेश आम आदमी पार्टी को सत्ता में लाने के लिए था, जो चुनाव नतीजों से स्पष्ट था लेकिन भाजपा ने हमेशा की तरह अन्य पार्टियों के पार्षदों को खरीदने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए.
उन्होंने कहा, ‘इतना भी पर्याप्त नहीं था, भाजपा ने नए मेयर के रूप में अपने उम्मीदवार को जीताने के लिए एक पार्षद का वोट अमान्य घोषित कर दिया. यह अपमानजनक है. यह अनुचित चुनाव है. हम इन नतीजों के खिलाफ हैं.’
गर्ग और उनके पार्टी के अन्य सदस्य सेक्टर-17 में चंडीगढ़ नगर निगम की इमारत के बाहर विरोध कर रहे हैं. गर्ग का कहना है कि चंडीगढ़ के पूरे प्रशासनिक तंत्र ने चुनाव में भाजपा की मदद की. भाजपा ने सिद्ध कर दिया है कि वह चुनाव जीतने के लिए किसी भी स्तर तक गिर सकता है.
उन्होंने भाजपा पर नगर निकाय में दल बदल विरोधी कानून को लागू करने की अनुमति नहीं देने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, ‘भाजपा यहां कई सालों से यह गंदा खेल खेल रही है. वे जानते हैं कि अगर यहां दल बदल विरोधी कानून लागू किया गया तो वे सत्ता का खेल नहीं खेल पाएंगे.’
गर्ग ने कांग्रेस पर भी आरोप लगाए. उन्होंने कहा, ‘यह साबित हो गया है कि भाजपा और कांग्रेस चंडीगढ़ में एक साथ चुनाव लड़ रहे थे. दोनों ने मेयर पद से आम आदमी पार्टी को दूर रखने के लिए साजिश रची थी, लेकिन लोग उन्हें देख रहे हैं. पंजाब के लोग (जहां जल्द विधानसभा चुनाव होंगे) उन्हें सबक सिखाएंगे.’
क्या आम आदमी पार्टी के खेमे में ही सेंधमारी हुई?
आम आदमी पार्टी के वोटिंग में गड़बड़ी के आरोपों के बीच यह संभव है कि आप खेमे से किसी ने पार्टी का ही समर्थन न किया हो.
वरिष्ठ डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार 13 वोट के मुकाबले 15 वोटों से जीता. भाजपा के पास अधिकतम 14 वोट थे, तो ऐसे में आम आदमी पार्टी के एक पार्षद ने भाजपा उम्मीदवार को वोट किया होगा. इससे यह संभावना बढ़ जाती है कि उसी पार्षद ने जान-बूझकर अमान्य बैलेट पेपर जमा किया, ताकि भाजपा का उम्मीदवार जीत सके.
डिप्टी मेयर के चुनाव में दोनों पार्टियों (भाजपा, आप) के पास एक बार फिर 14-14 वोट थे, लेकिन भाजपा की किस्मत एक बार फिर चमकी और उसने ड्रॉ से जीत दर्ज की.
दूसरी तरफ भाजपा नेताओं का कहना है कि उनकी जीत बीते पांच साल में पार्टी के विकास कार्यों का परिणाम है. सदन को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित मेयर सरबजीत कौर ने दावा किया कि पार्टी विकास कार्यों को जारी रखेगी.
मेयर का कार्यकाल एक साल में खत्म हो जाएगा और अगले साल नए सिरे से चुनाव दोबारा होंगे.
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